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सावन के पहले सोमवार पर कोरोना की मार, ई-पास के बाद भी बॉर्डर से बैरंग लौट रहे लोग - रुड़की लेटेस्ट न्यूज

आज सावन का पहला सोमवार है. ऐसे में रुड़की बॉर्डर यात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिली. लेकिन कोरोना संकट के चलते राज्य सरकार के आदेश पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध है.

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रुड़की सावन न्यूज
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Published : Jul 6, 2020, 4:39 PM IST

रुड़की: भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने की शुरुआत हो गई है. आज सावन का पहला सोमवार है. शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव इस माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन इस बार सावन के सोमवार पर कोरोना संक्रमण का कहर भारी है.

रुड़की बॉर्डर पर लोगों की भारी भीड़

कोविड-19 के चलते अंतरराज्यीय व अंतर जनपदीय सीमाओं को सील किया गया है. इस बार राज्य सरकार ने कांवड़ मेले को भी स्थगित कर दिया है. ऐसे में बाहरी राज्यों से आने वाले कावड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध है. बॉर्डर पर विशेष इंतजामात किए गए हैं. सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए जनपद में प्रवेश खोला गया है, जिनको इमरजेंसी है या जो उत्तराखंड प्रवासी हैं. या फिर हरिद्वार गंगा में अस्थियां विसर्जन करने के लिए आ रहे हैं. ऐसे में बॉर्डर का जायजा लेने पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने यात्रियों और अधिकारियों से बातचीत की और व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

अगर बाहरी यात्रियों की माने तो उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है. हालांकि, कुछ यात्री ऐसे भी हैं जिनके पास ई-पास मौजूद है, लेकिन उन्होंने बॉर्डर पर बताया गया कि तमाम पास तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं. इसके साथ ही कुछ यात्री ऐसे हैं जो मेडिकल चेकअप या इमरजेंसी के चलते जनपदीय सीमा में दाखिल होना चाह रहे हैं. उन्हें भी वापस भेज दिया गया.

पढ़ें- हरदा की सक्रियता पर बीजेपी कस रही तंज, कांग्रेसी बोले- रावत ही दे सकते हैं टक्कर

बॉर्डर पर यात्रियों के वाहनों की लंबी-लंबी कतारें हैं. बॉर्डर पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है. जिसके लिए बॉर्डर पर पीएससी फोर्स व सिविल फोर्स लगाई गई है. जो लोग स्नान या कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार आ रहे हैं, उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है.

बता दें कि आज सावन माह का पहला सोमवार है. ऐसे में शिवभक्त हरिद्वार का रुख कर रहे हैं. हालांकि तमाम शिव भक्तों या बाहरी यात्रियों को बॉर्डर से ही वापस भेजा रहा है. मौजूदा हालात देखते हुए बॉर्डर पर मात्र वाहनों से आने वाले यात्रियों को ही रोका जा रहा है, जबकि पैदल आने वाले लोगों से कोई पूछताछ नहीं हो रही है. ऐसे में पैदल आने वाले कावड़ियों के प्रवेश पर कैसे रोक लग पाएगी ये बड़ा सवाल है?

रुड़की: भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने की शुरुआत हो गई है. आज सावन का पहला सोमवार है. शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव इस माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन इस बार सावन के सोमवार पर कोरोना संक्रमण का कहर भारी है.

रुड़की बॉर्डर पर लोगों की भारी भीड़

कोविड-19 के चलते अंतरराज्यीय व अंतर जनपदीय सीमाओं को सील किया गया है. इस बार राज्य सरकार ने कांवड़ मेले को भी स्थगित कर दिया है. ऐसे में बाहरी राज्यों से आने वाले कावड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध है. बॉर्डर पर विशेष इंतजामात किए गए हैं. सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए जनपद में प्रवेश खोला गया है, जिनको इमरजेंसी है या जो उत्तराखंड प्रवासी हैं. या फिर हरिद्वार गंगा में अस्थियां विसर्जन करने के लिए आ रहे हैं. ऐसे में बॉर्डर का जायजा लेने पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने यात्रियों और अधिकारियों से बातचीत की और व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

अगर बाहरी यात्रियों की माने तो उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है. हालांकि, कुछ यात्री ऐसे भी हैं जिनके पास ई-पास मौजूद है, लेकिन उन्होंने बॉर्डर पर बताया गया कि तमाम पास तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं. इसके साथ ही कुछ यात्री ऐसे हैं जो मेडिकल चेकअप या इमरजेंसी के चलते जनपदीय सीमा में दाखिल होना चाह रहे हैं. उन्हें भी वापस भेज दिया गया.

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बॉर्डर पर यात्रियों के वाहनों की लंबी-लंबी कतारें हैं. बॉर्डर पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है. जिसके लिए बॉर्डर पर पीएससी फोर्स व सिविल फोर्स लगाई गई है. जो लोग स्नान या कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार आ रहे हैं, उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है.

बता दें कि आज सावन माह का पहला सोमवार है. ऐसे में शिवभक्त हरिद्वार का रुख कर रहे हैं. हालांकि तमाम शिव भक्तों या बाहरी यात्रियों को बॉर्डर से ही वापस भेजा रहा है. मौजूदा हालात देखते हुए बॉर्डर पर मात्र वाहनों से आने वाले यात्रियों को ही रोका जा रहा है, जबकि पैदल आने वाले लोगों से कोई पूछताछ नहीं हो रही है. ऐसे में पैदल आने वाले कावड़ियों के प्रवेश पर कैसे रोक लग पाएगी ये बड़ा सवाल है?

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