ऋषिकेश: अपने अंगों को गंवाने के बाद आर्मी से रिटायर्ड दिव्यांग जवानों ने सभी दिव्यांगों का हौसला बढ़ाने के लिए एक सराहनीय कार्य की शुरुआत की है, जिसमें सभी दिव्यांग साइकिल के जरिए कठिन पहाड़ियों की चढ़ाई करते हुए देहरादून से लेकर माणा तक का सफर तय करेंगे. इसका उद्देश्य है कि कोई भी किसी दिव्यांग को देखकर सहानुभूति ना दिखाए बल्कि उनकी हिम्मत की दात दें.
बता दें कि सेना में अपनी सेवा देते हुए हाथ-पैर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को गंवाने के बाद भी वीर जवानों ने साइकिल से देहरादून से ऋषिकेश होते हुए माणा तक का सफर तय करने की ठानी है.
इसके लिए आईटीबीपी ने इन सभी जवानों की मदद की है. इस यात्रा में भारतीय सेना के साथ-साथ विदेश से भी आए सेना के दिव्यांग जवानों ने हिस्सा लिया है. यह सफर 23 अगस्त को अंतिम गांव माणा में समाप्त होगा.
इस पर ग्रुप लीडर आदित्य मेहता ने बताया कि यह रेस प्रत्येक वर्ष कराई जाती है. इसमें सेना के इंडियन पैरा साइकिल के तीन हिस्सों सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवान प्रतिभाग कर रहे हैं. इसके साथ ही इसमें लंदन, यूएस समेत कई अन्य देशों के दिव्यांग जवान भी भाग ले रहे हैं.