पिथौरागढ़: जिले में विश्वविद्यालय के निर्माण की मांग तेज हो गई है. छात्र संघ के आह्वान पर विश्वविद्यालय बनाओ आंदोलन की शुरुआत हो गयी है. छात्र संघ के अलावा विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठन भी जिले में विश्वविद्यालय बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि 1972 में विश्वविद्यालय बनाओ आंदोलन में पिथौरागढ़ के दो छात्र शहीद हुए थे. संघर्ष के 50 साल बीतने के बाद भी पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं हो पाई है. जिसके कारण सीमांत जिले के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा से महरूम होना पड़ रहा है.
पिथौरागढ़ में नये विश्वविद्यालय बनाने की मांग को लेकर छात्र संघ और विभिन्न संगठनों ने आज जिला मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया. छात्र संघ का कहना है कि पिथौरागढ़ उच्च शिक्षा के लिहाज से बेहद पिछड़ा हुआ है. जिले में उच्च शिक्षा का पूरा दबाव एकमात्र पिथौरागढ़ महाविद्यालय पर है. छात्रों का कहना है कि पिथौरागढ़ महाविद्यालय में करीब 7 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं. मगर यहां शिक्षण सुविधाओं के अभाव के साथ ही प्राध्यापकों का भी टोटा बना हुआ है. जिसके कारण युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए महानगरों की ओर रुख करना पड़ता है.
छात्रसंघ का कहना है कि प्रदेश में दो नये विश्वविद्यालय खुलने हैं. इनमें से एक विश्वविद्यालय कुमांऊ तो दूसरा गढ़वाल में खुलना है. कुमाऊं के लिए स्वीकृत नये विश्वविद्यालय को पिथौरागढ़ में खोले जाने की मांग छात्र लंबे समय से कर रहे हैं. लेकिन प्रदेश सरकार ने अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रख दिया है. ये प्रस्ताव शीघ्र ही विधानसभा में रखा जाना है. ज्सके कारण छात्रों में खासा आक्रोश है. छात्रों का कहना है कि अल्मोड़ा उच्च शिक्षा के मामले में पहले से ही संपन्न जिला है. जबकि चीन और नेपाल सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले में उच्च शिक्षा पूरी तरह पटरी से उतरी हुई है.