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एलीफेंट कॉरिडोर मामले में HC सख्त, प्रशासन से 15 अक्टूबर तक मांगा जवाब

बता दें कि उत्तराखंड में हाथियों के कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण के मामले में इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

एलीफेंट कॉरिडोर मामले में सख्त हुआ हाईकोर्ट.
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Published : Oct 11, 2019, 5:11 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 5:22 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के एलीफेंट कॉरिडोर में हो रहे अवैध अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक को 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

एलीफेंट कॉरिडोर मामले में सख्त हुआ हाईकोर्ट.


बता दें कि उत्तराखंड में हाथियों के कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण के मामले में इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं. जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगते हुए हैं जो 27 किलोमीटर लंबे हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक रिसॉर्ट का निर्माण किया गया है. जिसके कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने कहा है कि कॉरिडोर में निर्माणकार्य होने के कारण हाथियों ने यहां से अपना रास्ता बदल लिया है.

पढ़ें-कोर्ट से समन मिलने पर 35 वर्षीय व्यक्ति ने गोली मारकर की आत्महत्या

इसके अलवा इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा कि मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसॉर्ट का निर्माण होने की वजह से रात में नेशनल हाईवे पर लगातार वाहनों की आवाजाही होती है. जिसके कारण हाथी और जंगली जानवरों को कोसी नदी तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. जिस वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं.

पढ़ें-RTO कर्मचारी के घर लूट मामले में पुलिस जल्द करेगी मुकदमा दर्ज

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसॉर्ट द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और शोर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है. उन्होनें कहा कि विभाग हाथियों को नेशनल हाईवे पर आने से रोकने के लिए हरी मिर्च का पाउडर खिलाकर और पटाखे छोड़कर रोकता है जो कि अवैधानिक है. इस ममाले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया है. जिसके तहत मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक से 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने को कहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड के एलीफेंट कॉरिडोर में हो रहे अवैध अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक को 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

एलीफेंट कॉरिडोर मामले में सख्त हुआ हाईकोर्ट.


बता दें कि उत्तराखंड में हाथियों के कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण के मामले में इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं. जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगते हुए हैं जो 27 किलोमीटर लंबे हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक रिसॉर्ट का निर्माण किया गया है. जिसके कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने कहा है कि कॉरिडोर में निर्माणकार्य होने के कारण हाथियों ने यहां से अपना रास्ता बदल लिया है.

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इसके अलवा इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा कि मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसॉर्ट का निर्माण होने की वजह से रात में नेशनल हाईवे पर लगातार वाहनों की आवाजाही होती है. जिसके कारण हाथी और जंगली जानवरों को कोसी नदी तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. जिस वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं.

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साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसॉर्ट द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और शोर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है. उन्होनें कहा कि विभाग हाथियों को नेशनल हाईवे पर आने से रोकने के लिए हरी मिर्च का पाउडर खिलाकर और पटाखे छोड़कर रोकता है जो कि अवैधानिक है. इस ममाले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया है. जिसके तहत मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक से 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने को कहा है.

Intro:Summry उत्तराखंड के एलीफेंट कॉरिडोर में हो रहे अवैध अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट ने मुख्य वन्य जीव संरक्षक को 15 अक्टूबर को जवाब पेश करने के दिये आदेश। Intro उत्तराखंड में एलीफेंट कॉरिडोर में हो रहे अवैध अतिक्रमण का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है, आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर, निर्देशक कॉर्बेट पार्क को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में हाथी कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण किया गया है, उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर है जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगते हुए हैं जो 27 किलोमीटर लंबे हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग में है जिसमें ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक रिसोर्ट का निर्माण किया गया है और रिसोर्ट के निर्माण के कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, वहीं कॉरिडोर बंद होने से हाथियों ने अपना रास्ता बदल कर दक्षिणी पतली दून से बना लिया है,


Conclusion:और मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसोर्ट का निर्माण कार्य होने की वजह से रात में नेशनल हाईवे में लगातार वाहनों के संचालन हो रहा है और हाथी, जंगली पशुओं को कोसी नदी तक पहुंचने में परेशानी हो रही है जिस वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वो हिंसक हो रहे हैं, इसी वजह से बीते 1 साल में करीब 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें हाथियों ने हमला किया, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसोर्ट द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और सुअर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है, वहीं वन विभाग द्वारा हाथियों को नेशनल हाईवे में आने से रोकने के लिए हरी मिर्च के पाउडर खिलाकर और पटाखे छोड़कर उनको नेशनल हाईवे में रोकने का काम किया जा रहा है जो अवैधानिक है। आज मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर, निर्देशक कॉर्बेट पार्क से पूछा है कि जंगली हाथियों को मिर्च खिलाने जैसे कृत्य करने की अनुमति किसने दी। बाईट- दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Oct 11, 2019, 5:22 PM IST
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