नैनीताल: उत्तराखंड के एलीफेंट कॉरिडोर में हो रहे अवैध अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक को 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड में हाथियों के कॉरिडोर में अवैध अतिक्रमण के मामले में इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं. जिसमें से तीन मुख्य कॉरिडोर कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगते हुए हैं जो 27 किलोमीटर लंबे हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक रिसॉर्ट का निर्माण किया गया है. जिसके कारण यह कॉरिडोर पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने कहा है कि कॉरिडोर में निर्माणकार्य होने के कारण हाथियों ने यहां से अपना रास्ता बदल लिया है.
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इसके अलवा इंडिपेंडेंट मेडिकल सोसाइटी ने हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा कि मोहन क्षेत्र में भी बड़े रिसॉर्ट का निर्माण होने की वजह से रात में नेशनल हाईवे पर लगातार वाहनों की आवाजाही होती है. जिसके कारण हाथी और जंगली जानवरों को कोसी नदी तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. जिस वजह से वन्य जीव जंतुओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं.
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साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि बड़े रिसॉर्ट द्वारा जंगलों में आयोजित की जाने वाली शादियों, पार्टियों से होने वाली रोशनी और शोर की वजह से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है. उन्होनें कहा कि विभाग हाथियों को नेशनल हाईवे पर आने से रोकने के लिए हरी मिर्च का पाउडर खिलाकर और पटाखे छोड़कर रोकता है जो कि अवैधानिक है. इस ममाले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया है. जिसके तहत मुख्य वन्यजीव संरक्षक, डीएफओ रामनगर और कॉर्बेट पार्क के निदेशक से 15 अक्टूबर तक जवाब पेश करने को कहा है.