काशीपुर: लॉकडाउन में सिडकुल की एक कंपनी में इंजीनियर की नौकरी गंवा चुके एक युवा ने वैज्ञानिकों की मदद से मछली पालन कर स्वरोजगार की एक मिसाल पेश की है. नौकरी जाने के बाद इस युवा को मत्स्य पालन से काफी अच्छी कमाई होने की उम्मीद है. साथ ही आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है.
सिडकुल में इंजीनियर थे विपुल
बता दें, उधम सिंह नगर जिले के किच्छा के नारायणपुर निवासी विपुल कुमार सागर रुद्रपुर सिडकुल की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. वैश्विक महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन में सागर को भी नौकरी छोड़कर घर वापस लौटना पड़ा. ऐसे में विपुल ने हिम्मत नहीं हारी और किसान परिवार से होने के नाते वो अपने पिता के साथ खेती के कार्यों में जुट गए.
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से किया संपर्क
विपुल परिवार के बढ़ते खर्चों के कारण व्यवसायिक खेती करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने काशीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र क्वात्रा और अजय प्रभाकर से संपर्क किया और व्यावसायिक खेती करने के लिए सलाह मशविरा किया. वैज्ञानिकों ने विपुल को कृषि विविधीकरण द्वारा खेती से आय बढ़ाने के लिए एकीकृत मत्स्य पालन, सह मुर्गी पालन और आधुनिक कृषि विधियों से खेती करने का सुझाव दिया. जिसके बाद विपुल ने मत्स्य पालन शुरू कर दिया.
पढ़ें- शिक्षक दिवस: उत्तरा बहुगुणा की कहानी, जिन्होंने CM जनता दरबार में उठाई हक की आवाज
स्वरोजगार के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पहुंच रहे युवा
विपुल के मुताबिक इस समय उनके तालाब में 9 हजार से ज्यादा मछलियां हैं, जो अच्छे तरीके से ग्रोथ कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में उनकी आय जरूर बढ़ेगी.
बता दें, विपुल कुमार सागर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है. विपुल आईटी एक्सपर्ट भी हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र क्वात्रा बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद से 25 से 30 युवा उनके पास आ चुके हैं, जो प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत अपना कार्य शुरू करना चाहते हैं. इन युवाओं का आयु वर्ग 20 से 32 वर्ष है.