देहरादून: अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए जिस पैनल का गठन किया है, उस पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय शीर्ष मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और पूर्व गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने आपत्ति जताई है. मामले में विहिप जल्द ही विधिक राय लेकर सर्वोच्च न्यायालय में अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा.
स्वामी चिन्मयानंद का कहना है कि पैनल में शामिल तीनों लोग इस मसले की गहराई से परिचित नहीं हैं. उनका कहना है कि मध्यस्थता पैनल में सभी पक्षकारों द्वारा सर्व-स्वीकार्य लोगों को शामिल किया जाना चाहिए. तब ही जल्द से जल्द श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग निकाला जा सकता है. वरना अभी तो लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल समय काटने के लिए इन तीन लोगों को मध्यस्थ बनाया है.
चिन्मयानंद के मुताबिक पैनल में शामिल श्री श्री रविशंकर ने पूर्व में भी अपने स्तर पर अयोध्या मामले में मध्यस्थता करने की कोशिश की थी, जिसे अयोध्या के संत समाज ने खारिज कर दिया था. उन्होंने पैनल में शामिल सेवानिवृत्त जस्टिस खलीफुल्लाह और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू के नामों पर भी आपत्ति जताई है. ये तीनों नाम उन्हें स्वीकार नहीं है.
बता दें कि अयोध्या केस को निपटाने के लिए मध्यस्थों की जो कमेटी बनी है उनमें जस्टिस खलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर शामिल हैं. इस कमेटी के चेयरमैन जस्टिस खलीफुल्ला होंगे. कमेटी को 8 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट देनी होगी.