हरिद्वार: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई है. जीत के बाद मोदी कैबिनेट में कई नए चेहरों के जगह दी गई है. जिनमें हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को मानव संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है, जिसे काफी अहम पद माना जाता है. लेकिन उनके यहां तक पहुंचने के सफर में कई लोगों का खास योगदान रहा है और उन्हीं में से एक ओमप्रकाश जमदग्नि भी हैं.
गौर हो कि मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के सामने अपने को साबित करने की चुनौती होगी. क्योंकि पीएम मोदी और अमित शाह ने उन पर भरोसा जताया है. वहीं निशंक के इस मुकाम पर पहुंचने तक के सफर में हरिद्वार में भाजपा के जिला अध्यक्ष व मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश जमदग्नि निशंक के साथ कदम से कदम मिलाकर चले. जिनकी निशंक की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका रही. ओमप्रकाश जमदग्नि के बारे में कहा जाता है कि जैसे बीजेपी के जीत के लिए अमित शाह का दिमाग माना जाता है, वैसे ही हरिद्वार सांसद के यहां तक के सफरनामे में उनकी भूमिका काफी अहम मानी जाती है.
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सूबे के कद्दावर नेता रमेश पोखरियाल निशंक जो रणनीति चुनाव मैदान में बनाते हैं, उसे धरातल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जमदग्नि की ही रहती है. लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले और निशंक के कैबिनेट मिनिस्टर का कार्यभार संभालने तक ओम प्रकाश जमदग्नि निशंक के साथ साए की तरह रहे हैं. माना जा रहा है कि ओमप्रकाश जमदग्नि को भी पार्टी में बड़ा पद मिल सकता है जिसके चलते निशंक ने कैबिनेट का कार्यभार संभालने के बाद ओम प्रकाश जमदग्नि के साथ अमित शाह और अन्य कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात की इस दैरान उन्होंने सभी से ओम प्रकाश जमदग्नि की तारीफ की.
ओमप्रकाश जमदग्नि की बात करें तो ओमप्रकाश हरिद्वार की राजनीति में काफी सक्रिय नेता माने जाते हैं. हरिद्वार के व्यापारियों में ओमप्रकाश की अच्छी खासी पकड़ रखते हैं. साथ ही ओमप्रकाश हरिद्वार में संत समाज और समाज के सभी वर्गों से मधुर संबंध के लिए जाने जाते हैं. भाजपा में उनकी सबसे ज्यादा नजदीकी हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक से रही है. करीब डेढ़ दशक से निशंक के तमाम चुनाव का प्रबंधक उन्होंने ही संभाला है.
ओमप्रकाश जमदग्नि ने ही चुनाव के दौरान निशंक के पक्ष में वातावरण तैयार किया और उनके पक्ष में माहौल बनाया. हरिद्वार में गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है. यहां कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और निशंक के दो गुट माने जाते हैं. अंदरखाने दोनों गुट एक दूसरे की मुखालफत करते नजर आते हैं. एक समय ऐसा भी था जब निशंक और कौशिक ने एक साथ मिलकर 2010 के कुंभ का नेतृत्व किया था. उस समय निशंक मुख्यमंत्री और मदन कौशिक कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे. वहीं साल 2014 में मदन कौशिक को लोकसभा चुनाव का टिकट मिला और अगले ही दिन उनका टिकट काटकर निशंक को दे दिया गया. इसे ही गुटबाजी की वजह माना जाता रहा है.
उस वक्त भी ओमप्रकाश जमदग्नि ने निशंक को चुनाव जिताने में जी जान लगा दी थी. उनकी मेहनत से निशंक ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को तकरीबन डेढ़ लाख वोट से पराजित किया था. तभी से हरिद्वार में जमदग्नि निशंक की जीत के 'चाणक्य' के नाम से जाने जाने लगे थे. ओमप्रकाश जमदग्नि के चुनावी कौशल को देखते हुए इस बार मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें भी आमंत्रित किया गया था.