हरिद्वार : रंगों का त्योहार होली बस दो दिन दूर है. ऐसे में होली का नाम आते ही रंगों के साथ मावे से बने पकवानों का टेस्ट आना लाजिमी है. लेकिन इन मिठाइयों की मिठास ही होली के रंग में भंग डालने का काम कर सकती है. स्थिति यह है कि जिले के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा बनाने का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है. मावा कारोबारी त्योहार के चलते जमकर बाजारों में मावा खपा रहे हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि ग्राहक बाजार से देख समझ कर मिठाइयां और मावा खरीदें. क्योंकि थोड़ी सी चूक आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है.
त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां लेकर आते हैं. ऐसे मौके पर तरह-तरह के पारंपरिक खान-पान की बहार रहती है. लोग इसे जितना अपने घरों में बनाते हैं, उतना ही बाजार से भी खरीदते हैं. बाजार में मांग बढ़ने के साथ ही मिलावटखोरों को अच्छा बाजार मिल जाता है. ऐसे में यह मिलावट बाजार के साथ ही घर पर बनाने वाली सामग्री को भी दूषित कर देती है. होली से पहले ईटीवी भारत अपने पाठकों को इस मिलावट के बारे में बताने जा रहा है जिससे आप स्वस्थ रहे. होली के दिनों में सबसे ज्याद खपत मावे की होती है. ऐसे में लोगों को असली मावे और नकली मावे के बीच अंतर पता होना बहुत जरूरी है.
असली और नकली मावे के बीच अंतर
- नकली मावे को पहचानने के लिए मावे को थोड़ा सा चख कर देखें, अगर वह मुंह में चिपक रहा है तो वह नकली मावा है.
- मावे को लेकर हाथ पर एक छोटी गोली बनाएं अगर मावा बिखरने और फटने लगे तो समझ जाएं मावा नकली है.
- जरा सा मावा लेकर अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़े अगर यह असली होगा तो उसमें से घी की महक आएगी और अगर उसमें से कोई खुशबू नहीं आ रही है तो वह नकली है.
- मावे में थोड़ी चीनी डाल कर गर्म करने से अगर वह पानी छोड़ने लगे तो मावा नकली है.
- मावे को गर्म पानी में डालने से अगर वह छोटे छोटे टुकड़ों में बिखरने लगे तो मावा नकली है.
- इस बात का ध्यान रखें कि हमेशा मावा अपने जान-पहचान की दुकान से ही खरीदें.
- सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है नकली मावा
नकली मावा खाने की वजह से फूड प्वाइजनिंग, उल्टी, पेट दर्द होने का खतरा बना रहता है. साथ ही नकली मावे से बनी मिठाइयां खाने से किडनी और लीवर पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है.
ऐसे बनता है नकली मावा
घटिया किस्म के मिल्क पाउडर, टेलकम पाउडर, चूना, चौक, पुट्टी और सफेद केमिकल जैसी चीजों को मिलाकर नकली मावा बनाया जाता है. साथ ही इसमें शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का भी प्रयोग होता है.