ऋषिकेश: ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर दमदार असर देखने को मिला है. एम्स ऋषिकेश अस्पताल में बुधवार रात 108 एंबुलेंस सेवा द्वारा हरिद्वार से ले जाए गए गंभीर रूप से घायल युवक को करीब सवा घंटे तक इमरजेंसी में भर्ती न किए जाने की खबर का एम्स ऋषिकेश प्रबंधन ने संज्ञान लिया है. चिकित्सकों की इस लापरवाही की प्रबंधन द्वारा जांच बैठा दी गई है. प्रबंधन ने साफ किया है कि इसमें जो भी चिकित्सक दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
हादसे में घायल हो गया था कार चालक: ईटीवी भारत ने गुरुवार सुबह एक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसमें बताया गया था कि बुधवार देर रात बहादराबाद थाना क्षेत्र में एक कार खड़े हुए ऑयल टैंकर से जा टकराई थी. दुर्घटना इतनी जबरदस्त थी कि कार चालक को गंभीर चोटें आई थी. स्थानीय पुलिस की सूचना पर मौके पर पहुंची 108 एंबुलेंस द्वारा अज्ञात घायल को जिला चिकित्सालय भेजा गया.
108 एंबुलेंस कर्मी घायल को एम्स लाया था: उसकी गंभीर हालत को देखते हुए एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया था. लेकिन हैरानी की बात यह रही थी कि अस्पताल पहुंचने पर 108 कर्मी धीरज ने गंभीर रूप से घायल युवक को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराना चाहा तो आरोप है कि वहां तैनात चिकित्सकों ने भर्ती नहीं किया. पहले तो बेड न होने की बात कहकर एंबुलेंस चालक को दून अस्पताल के लिए टरकाना चाहा. लेकिन जब चालक ने ज्यादा जिद की तो उन्होंने साफ कह दिया कि या तो पुलिस को साथ लेकर आओ या फिर उसके परिजनों को लाओ.
घायल को भर्ती कराने के लिए जूझता रहा था एंबुलेंस कर्मी धीरज: करीब सवा घंटा इंतजार कराने के बाद आपातकालीन विभाग प्रबंधन घायल को भर्ती करने पर राजी हुआ. लेकिन साथ ही यह शर्त रख दी कि एंबुलेंस का अटेंडेंट अस्पताल में मरीज के साथ ही रहेगा. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. इस खबर के प्रकाशित होते ही एम्स प्रबंधन में भी हड़कंप मच गया. मामले को गंभीर मानते हुए प्रबंधन ने इस तरह की हरकत करने वाले चिकित्सकों की पहचान करना शुरू कर दिया है.
एम्स के लापरवाह स्टाफ के खिलाफ होगी कार्रवाई: एम्स के असिस्टेंट पीआरओ वीरेंद्र नौटियाल ने बताया कि अब एम्स अस्पताल में थोड़ी व्यवस्था बदल गई है. यदि किसी डॉक्टर ने कोई गलती की है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई तत्काल की जा रही है. इस तरह की लापरवाही बरतने के मामले में विभाग पूरी तत्परता से जांच शुरू कराने जा रहा है. साथ ही उस 108 एंबुलेंस के कर्मचारी से ही बात कर रात का पूरा वाक्या जाना जाएगा.
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बदनामी का दाग धोने में लगा एम्स ऋषिकेश: एम्स के असिस्टेंट पीआरओ वीरेंद्र नौटियाल ने कहा कि एम्स अस्पताल की प्राथमिकता रहती है कि वह किसी भी तरह कहीं से भी आए किसी भी मरीज की पहले जान बचाई जाए. कागजी कार्रवाई बाद में होती रहे. ताकि मरीज को समय रहते उपचार देकर बचाया जा सके. लेकिन बुधवार देर रात एम्स ऋषिकेश के स्टाफ ने जो हरकत की थी उससे संस्थान की बदनामी हुई थी.