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WORLD MILK DAY: रोजाना 90 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर नंबर-1 बना नैनीताल

दूध क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की करने वाला जिला नैनीताल है. यहां 90 लाख लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन होता है.

विश्व दुग्ध दिवस विशेष.
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Published : Jun 1, 2019, 6:10 AM IST

Updated : Jun 1, 2019, 12:33 PM IST

हल्द्वानी: विश्वभर में आज 1 जून को दुग्ध दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक दूध के महत्व को लोगों को समझाना और लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है. इसके अलावा दूध के बिजनेस से स्वरोजगार को बढ़ावा देना भी दुग्ध दिवस मनाने का एक महत्वपूर्ण कारण है.

दुग्ध उत्पादन में नंबर-1 नैनीताल.

एक जून 2001 से शुरू हुए विश्व दुग्ध दिवस ने धीरे-धीरे व्यापक रूप ले लिया है. प्राकृतिक दूध की स्वाभाविक उत्पत्ति, दूध का पोषण संबंधी महत्व और विभिन्न दूध उत्पाद के बारे में लोगों का आज के दिन जागरूक किया जाता है. बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां दुग्ध विकास विभाग ने दूध उत्पादन के लिए राज्य भर में 11 सेंटर बनाए हैं और 2629 समितियां गठित की हैं.

पढ़ें- चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह, 3 लाख लोग करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन

इन समितियों के माध्यम से रोजाना 1,56,146 उत्पादकों द्वारा 2,25,931 लीटर दूध उत्पादित किया जाता है. उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन धीरे-धीरे एक बड़े व्यवसाय का रूप भी लेता जा रहा है. ये पहाड़ में स्वरोजगार का भी एक जरिया है. राज्य गठन के बाद 2002 में मात्र 1,01,855 लीटर दूध रोजाना उत्पादित हुआ करता था, जो 2018 में दोगुना से ज्यादा है.

पढ़ें- देवभूमि के इन व्यंजनों के देश-विदेश के लोग हैं मुरीद, इन से है उत्तराखंड की खास पहचान

राज्य में दुग्ध व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ते हुए 250 करोड़ से 300 करोड़ रुपए सालाना हो रहा है. दुग्ध व्यवसाय के मूल्यों की बात करें तो 2011 में 17₹ लीटर दूध बाजार में उपभोक्ताओं को मिलता था. वहीं, आज दूध 40₹ प्रति लीटर से बाजार में बिक रहा है.

दूध क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की करने वाला नैनीताल जिला है. 90 लाख लीटर प्रतिदिन उत्पादन नैनीताल जिले से होता है. इसके साथ ही पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 927 दुग्ध समितियां नैनीताल में ही हैं. यहां के रोजगार का और छोटे किसानों के आय का दुग्ध एक बड़ा साधन बनता जा रहा है.

हल्द्वानी: विश्वभर में आज 1 जून को दुग्ध दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक दूध के महत्व को लोगों को समझाना और लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है. इसके अलावा दूध के बिजनेस से स्वरोजगार को बढ़ावा देना भी दुग्ध दिवस मनाने का एक महत्वपूर्ण कारण है.

दुग्ध उत्पादन में नंबर-1 नैनीताल.

एक जून 2001 से शुरू हुए विश्व दुग्ध दिवस ने धीरे-धीरे व्यापक रूप ले लिया है. प्राकृतिक दूध की स्वाभाविक उत्पत्ति, दूध का पोषण संबंधी महत्व और विभिन्न दूध उत्पाद के बारे में लोगों का आज के दिन जागरूक किया जाता है. बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां दुग्ध विकास विभाग ने दूध उत्पादन के लिए राज्य भर में 11 सेंटर बनाए हैं और 2629 समितियां गठित की हैं.

पढ़ें- चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह, 3 लाख लोग करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन

इन समितियों के माध्यम से रोजाना 1,56,146 उत्पादकों द्वारा 2,25,931 लीटर दूध उत्पादित किया जाता है. उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन धीरे-धीरे एक बड़े व्यवसाय का रूप भी लेता जा रहा है. ये पहाड़ में स्वरोजगार का भी एक जरिया है. राज्य गठन के बाद 2002 में मात्र 1,01,855 लीटर दूध रोजाना उत्पादित हुआ करता था, जो 2018 में दोगुना से ज्यादा है.

पढ़ें- देवभूमि के इन व्यंजनों के देश-विदेश के लोग हैं मुरीद, इन से है उत्तराखंड की खास पहचान

राज्य में दुग्ध व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ते हुए 250 करोड़ से 300 करोड़ रुपए सालाना हो रहा है. दुग्ध व्यवसाय के मूल्यों की बात करें तो 2011 में 17₹ लीटर दूध बाजार में उपभोक्ताओं को मिलता था. वहीं, आज दूध 40₹ प्रति लीटर से बाजार में बिक रहा है.

दूध क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की करने वाला नैनीताल जिला है. 90 लाख लीटर प्रतिदिन उत्पादन नैनीताल जिले से होता है. इसके साथ ही पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 927 दुग्ध समितियां नैनीताल में ही हैं. यहां के रोजगार का और छोटे किसानों के आय का दुग्ध एक बड़ा साधन बनता जा रहा है.

Intro:स्लग- राष्ट्रीय दूध दिवस स्पेशल खबर
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी।

एंकर-1 जून को पूरे विश्व में विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है दुग्ध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दूध के महत्व को लोगों के पास तक पहुंचाया जा सके। 1 जून 2001 से शुरू हुआ विश्व दुग्ध दिवस धीरे धीरे अपना व्यापक रूप लेता जा रहा है विश्व दुग्ध दिवस का मतलब शरीर के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के अलावा इसे स्वरोजगार से जोड़कर व्यापक पैमाने में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी इसका विस्तार किया गया है ।


Body:बात अगर उत्तराखंड की की जाए तो उत्तराखंड सरकार की दुग्ध विकास विभाग द्वारा अपना दूध उत्पादन करने के लिए राज्य भर में 11 सेंटर बनाए गए हैं जिनमें 2629 समितियां गठित की गई है। और इन समितियों के माध्यम से रोजाना 156146 उत्पादकों द्वारा 225931 लीटर दूध उत्पादित किया जाता है। उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन धीरे धीरे एक बड़े व्यवसाय का रूप भी लेता जा रहा है। जिससे पहाड़ के छोटे-छोटे काश्तकारों को स्व रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है।

बाइट -प्रकाश चंद आर्य निदेशक डेयरी फेडरेशन उत्तराखंड


Conclusion:राज्य गठन के बाद 2002में मात्र 101855 लीटर दूध रोजाना उत्पादित हुआ करता था जो 2018 में दोगुने से ज्यादा हुआ है। धीरे-धीरे राज्य में दुग्ध व्यवसाय बढ़ते हुए आज 250 सौ करोड़ से 300 करोड़ रुपए तक सालाना हो रहा है। दुग्ध व्यवसाय के मूल्यों की बात करे तो जहां 2011 में ₹17 लीटर दूध बाजार में उपभोक्ताओं को मिलता था तो वहीं आज ₹40 लीटर दूध का मूल्य बाजार में है ।दूध क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की करने वाला नैनीताल जिला है जहां पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 927 दुग्ध समितियां हैं तो वही से 90 लाखलीटर प्रतिदिन उत्पादन भी इसी जिले से होता है जो यहां के रोजगार का और छोटे किसानों के आय का एक बड़ा साधन भी बनता जा रहा है।
Last Updated : Jun 1, 2019, 12:33 PM IST
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