हल्द्वानी: गौलापार में बना कुमाऊं का पहला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बदहाली के दौर से गुजर रहा है. 194 करोड़ की लागत से बने इस स्टेडियम का उद्घाटन 18 दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इस स्टेडियम का निर्माणकार्य अधूरा पड़ा है. 3 साल बीत जाने के बाद भी अबतक इस स्टेडियम में किसी तरह के खेल का आयोजन नहीं हो पाया है.
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि गौलापार में बना इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम 15 .20 हेक्टेयर में बना है. जिसका निर्माणकार्य आज भी अधूरा है. ऐसे में आज ये स्टेडियम केवल शोपीस बनकर रह गया है. अव्यवस्थाओं और तमाम बदइंतजामी के चलते आज ये स्टेडियम बदहाली के दौर से गुजर रहा है. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 194 करोड़ की लागत से बनने वाले स्टेडियम पर 2017 तक 150 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं और अब तक इसका 80% काम ही पूरा हो पाया है. स्टेडियम की निर्माणदायी संस्था नागार्जुन कंस्ट्रक्शन हैदराबाद की कंपनी है. बताया जा रहा है कि बजट के अभाव में कंपनी ने अब तक स्टेडियम के काम को पूरा नहीं किया है.
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देहरादून के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के बाद कुमाऊं में भी इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण कराया गया था. जिससे उत्तराखंड में खेल प्रतिभाओं को आगे लाया जा सके, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते अभी तक इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में एक भी मैच नहीं हो पाया है. आलम यह है कि स्टेडियम का काम अधूरा पड़ा हुआ है और जो निर्माणकार्य हुआ भी है वह भी धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है.
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आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि इस तरह सरकारी धन को बर्बाद कर अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को बदहाली की ओर धकेला जा रहा है. सरकार को चाहिए कि इस अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की दुर्दशा को जल्द से जल्द ठीक कराएं. इसमें अंतरराष्ट्रीय मैच कराए जाएं जिससे कि राजस्व के साथ ही यहां के खिलाड़ियों को इसका फायदा मिल सके. गौरतलब है कि यह स्टेडियम हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, वालीबॉल सहित कई खेलों के लिए बनाया गया था. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मैचों को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण करवाया जा रहा था