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उत्तराखंडी मटर की बढ़ी डिमांड, पर मौसम ने बिगाड़ दिया किसानों का बजट

अन्य राज्यों में सर्दियों में मटर की खेती की जाती है. वहीं उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों मटर की खेती खूब हो रही है. गर्मी में पहाड़ों की जलवायु और मौसम मटर के उत्पादन के लिए बेहतर साबित हो रहा है. मंडी के आढ़तियों की मानें तो उत्तराखंड के मटर की डिमांड भारत के कई मंडियों में की जा रही है.

मौसम ने बिगाड़ा किसानों का बजट.
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Published : May 6, 2019, 7:12 PM IST

हल्द्वानी: यूं तो मटर की खेती सर्दियों में होती है, लेकिन इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पैदा होने वाली मटर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों के मंडियों में उत्तराखंड के मटर की खूब मांग है. बीते दिनों हुई ओलावृष्टि के चलते पहाड़ के किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है. ओलावृष्टि के कारण मटर की फसल बर्बाद हो गई है. जिससे किसान और काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.


दरअसल, मटर की फसल का सीजन खत्म हो गया है. अन्य राज्यों में सर्दियों में मटर की खेती की जाती है. वहीं उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों मटर की खेती खूब हो रही है. गर्मी में पहाड़ों की जलवायु और मौसम मटर के उत्पादन के लिए बेहतर साबित हो रहा है. मंडी के आढ़तियों की मानें तो उत्तराखंड के मटर की डिमांड भारत के कई मंडियों में की जा रही है.

मौसम ने बिगाड़ा किसानों का बजट.


लेकिन बीते दिनों हुई ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पहाड़ों में हुई ओलावृष्टि के चलते मटर की फसल बर्बाद हो गई है. इसके साथ ही मटर के उत्पादन पर भी असर पड़ा है. वहीं काश्तकारों का कहना है कि यहां के मटर की डिमांड मंडियों में है, लेकिन ओलावृष्टि के कारण उनकी मटर की फसल बर्बाद हो गई है. काश्तकारों का कहना है कि उन्हें मटर का अच्छा दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे उनके आगे रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है.


बता दें कि नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में बड़ी मात्रा में मटर की खेती की जाती है. पहाड़ी फलों के अलावा मटर की खेती किसानों की आय का मुख्य स्रोत है. ऐसे में पहाड़ों की मटर ₹10 किलो से लेकर ₹25 किलो तक मंडियो में बेची जा रही है. वहीं बात करें खुले बाजार की तो मटर की कीमत 40 से ₹50 प्रति किलो है.

हल्द्वानी: यूं तो मटर की खेती सर्दियों में होती है, लेकिन इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पैदा होने वाली मटर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों के मंडियों में उत्तराखंड के मटर की खूब मांग है. बीते दिनों हुई ओलावृष्टि के चलते पहाड़ के किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है. ओलावृष्टि के कारण मटर की फसल बर्बाद हो गई है. जिससे किसान और काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.


दरअसल, मटर की फसल का सीजन खत्म हो गया है. अन्य राज्यों में सर्दियों में मटर की खेती की जाती है. वहीं उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों मटर की खेती खूब हो रही है. गर्मी में पहाड़ों की जलवायु और मौसम मटर के उत्पादन के लिए बेहतर साबित हो रहा है. मंडी के आढ़तियों की मानें तो उत्तराखंड के मटर की डिमांड भारत के कई मंडियों में की जा रही है.

मौसम ने बिगाड़ा किसानों का बजट.


लेकिन बीते दिनों हुई ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पहाड़ों में हुई ओलावृष्टि के चलते मटर की फसल बर्बाद हो गई है. इसके साथ ही मटर के उत्पादन पर भी असर पड़ा है. वहीं काश्तकारों का कहना है कि यहां के मटर की डिमांड मंडियों में है, लेकिन ओलावृष्टि के कारण उनकी मटर की फसल बर्बाद हो गई है. काश्तकारों का कहना है कि उन्हें मटर का अच्छा दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे उनके आगे रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है.


बता दें कि नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में बड़ी मात्रा में मटर की खेती की जाती है. पहाड़ी फलों के अलावा मटर की खेती किसानों की आय का मुख्य स्रोत है. ऐसे में पहाड़ों की मटर ₹10 किलो से लेकर ₹25 किलो तक मंडियो में बेची जा रही है. वहीं बात करें खुले बाजार की तो मटर की कीमत 40 से ₹50 प्रति किलो है.

Intro:सलग -पहाड़ की मटर की डिमांड कई बड़ी मंडियों में
रिपोर्टर भावनाथ पंडित हल्द्वानी.।
एंकर -ऐसे तो मटर की खेती सर्दियों में होती है। मटर की खेती के लिए उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और पंजाब राज्यो में सर्दियों के मौसम में खूब हुआ करता है। लेकिन गर्मी के इस मौसम उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की मटर की डिमांड दिल्ली, उत्तर प्रदेश ,हरियाणा सहित कई राज्यों के मंडियों में खूब की जा रही। लेकिन मौसम की मार ने यहां के काश्तकारों उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।


Body:दरअसल मटर के किस फसल का सीजन खत्म हो गया है अन्य राज्यों में सर्दियों में मटर की खेती की जाती। लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों मटर की खेती खूब हो रही है। क्योंकि गर्मी में पहाड़ों की जलवायु और मौसम मटर के उत्पादन के लिए बेहतर साबित हो रहा है। मंडी के आढ़तियों की मानें तो उत्तराखंड की मटर की डिमांड भारत के कई मंदिरों में खूब की जा रहे हैं लेकिन पहाड़ पर इस बार होने वाले मटर ओलावृष्टि के चलते क्षतिग्रस्त हो गया है जिसके चलते हैं मटर के उत्पादन पर थोड़ा असर पड़ा है । बीते दिन हुई ओलावृष्टि के चलते पहाड़ के किसानों के मटर कि खेतों को काफी नुकसान पहुंचा है फिर भी पहाड़ से मटर काफी मात्रा में हल्द्वानी मंडी पहुंच रही है जहां से प्रदेश के अन्य मंडियों में यहां के मटर को भेजा जा रहा है।

बाइट- जीवन चंद्र कार्की अध्यक्ष मंडी आढ़ती एसियोसन


Conclusion:वहीं काश्तकारों का कहना है कि पहाड़ की मटर की डिमांड मंडियों में खूब किया जा रहा है लेकिन ओलावृष्टि से उनके खेतों के मटर को काफी नुकसान पहुंचा है ।मंडी में लाने के दौरान उनको अच्छा दाम नहीं मिल पा रहा है जिससे कि उनके आगे रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है ।काश्तकारों का कहना है कि सरकार को पहाड़ के किसानों के प्रति गंभीर होना चाहिए जिससे कि पहाड़ के किसानों को उनके फसल के दाम को उचित दाम मिल सके।
नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में मटर की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है ।पहाड़ी फल के अलावा मटर की खेती किसानों का आय का मुख्य स्रोत है। ऐसे में पहाड़ की मटर ₹10 किलो से लेकर ₹25 किलो तक मंडियों में काश्तकार बेच रहा है। यही नहीं मटर के खराब हो जाने के चलते काश्तकार को उचित दाम भी नहीं मिल पा रहे है। वही बात करें खुले बाजार की तो खुले बाजार में मटर की कीमत 40 से ₹50 प्रति किलो बेची जा रही है।

बाइक -प्रकाश चंद मटर काश्तकार
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