हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग के टांडा रेंज के हरिपुर बच्ची, भान देव नेवाड़, हल्दूचौड़ के कई इलाकों में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक बढ़ता जा रहा है. हाथियों का झुंड शाम ढलते ही काश्तकारों के गन्ने और धान के खेतों में पहुंच जमकर उत्पात मचाते हैं. जिससे उनकी सारी फसल नष्ट हो जाती है. ग्रामीण इस मामले में कई बार वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं लेकिन अब तक मामला सिफर ही निकला.
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा क्षेत्र के जंगल से सटे हल्दुचौड़, भानदेव नेवाड़ गांवों के किसानों के माथे पर इन दिनों चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं. किसानों की चिंता का कारण जंगली जानवर हैं जो कि उनकी गाढ़ी मेहनत को पल भर में रौंदकर चले जाते हैं और किसाने बस देखते रह जाते हैं. टांडा क्षेत्र से सटे इन गांवों में जंगली हाथी आतंक का पर्याय बन चुके हैं. शाम ढ़लते ही हाथी किसानों के खेतों में आ धमकते हैं और जमकर उच्पात मचाते हैं.
पढ़ें-बदल गया बप्पा की मूर्तियों को बनाने का तरीका, नदियों को बचाने के लिए हो रहा इस चीज का इस्तेमाल
हाथियों को भगाने के लिए गांव के लोग पूरी रात जागकर मशाल और ढोल बजाते हैं लेकिन हाथी भागने के बजाय उल्टा ग्रामीणों पर ही हमला बोल देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का झुंड पूरी रात गन्ने के खेतों में रहता है और सुबह होते ही जंगल की ओर चला जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंमे इसकी शिकायत कई बार वन विभाग के अधिकारियों से की लेकिन उनके कान में जूं तक नहीं रेंगी.
पढ़ें-खेत में काम कर रहे शख्स पर भालू ने किया हमला, मौत
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग हर बार आश्वासन देकर मामले से पल्ला झाड़ लेता है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हर साल हाथी कई एकड़ पर लगी फसल को बर्बाद कर चला जाता है जिसका उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिलता.