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उत्तराखंड की दो जेलों में बंद कैदियों पर पांच साल में खर्च हुए करोड़ों रुपए, RTI से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

हल्द्वानी के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर केंद्रीय कारागार सितारगंज और संपूर्णानंद शिविर जेल से सूचना मांगी थी कि उनके कारागार में कितने बंदी निरुद्ध हैं और इन कैदियों पर पिछले 5 सालों में कितना खर्च किया गया है.

उत्तराखंड की दो जेलों में बंद कैदियों पर पांच साल में खर्च हुए करोड़ों रुपए
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Published : May 26, 2019, 5:57 PM IST

हल्द्वानी: देश की जेलों की दशा और दिशा कितनी खराब है ये स्थिति किसी से छुपी नहीं है. देश की जेलों में लगातार कैदियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. कैदियों की बढ़ती संख्या के चलते सरकार पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है. एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के सितारगंज केंद्रीय कारागार और संपूर्णानंद शिविर जेल में कैदियों के खानपान और चिकित्सा पर बीते 5 सालों में 2 करोड़ से अधिक का खर्च किया गया है.

उत्तराखंड की दो जेलों में बंद कैदियों पर पांच साल में खर्च हुए करोड़ों रुपए

हल्द्वानी के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर केंद्रीय कारागार सितारगंज और संपूर्णानंद शिविर जेल से सूचना मांगी थी कि उनके कारागार में कितने बंदी निरुद्ध हैं और इन कैदियों पर पिछले 5 सालों में कितना खर्च किया गया है. जिसके बाद जो आंकड़े सामने आये वो चौंकाने वाले हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जेल प्रशासन ने बताया है कि सितारगंज केंद्रीय कारागार में 503 जबकि संपूर्णानंद शिविर जेल में कुल 47 कैदी हैं. साथ ही आरटीआई में एक और जानकारी सामने आई है, जिसमें कैदियों पर खर्च की जाने वाली कुल धनराशि का खुलासा हुआ है.

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2014 से दिसंबर 2018 तक इन कैदियों के लंच, डिनर और नाश्ते में कुल 1 करोड़ 63 लाख 99 हजार 291 रुपए खर्च हुए हैं. जबकि कैदियों के दवाइयों और ऑपरेशन पर लगभग 64 लाख 99 हजार 313 रुपए खर्च हुआ है. साथ ही यह भी जानकारी सामने आई है कि चावल, आटा, तेल और कई खाद्य पदार्थ जेल में ही उत्पादित किये जाते हैं. आरटीआई में मिली जानकारी से पता लगा है कि जेल में बंद हर कैदी पर 28 रुपये 9 पैसा प्रतिदिन खाने-पीने पर खर्च किया जाता है.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि एक तो देश में जेलों की हालत ठीक नहीं है. न तो जेलों में कैदियों में रहने के लिए पूरी व्यवस्था है और न ही सुरक्षा व्यवस्था के पूरे इंतजामात हैं. बात अगर जेलों की इमारत और परिसर की करें तो ये भी जर्जर हो चुकी हैं. ऐसे में कैदियों पर इतना अधिक खर्च किया जाना कहीं न कहीं सवाल खड़े करता है. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वे कैदियों पर होने वाले खर्चों को रोककर जेलों की स्थिति सुधारे.

हल्द्वानी: देश की जेलों की दशा और दिशा कितनी खराब है ये स्थिति किसी से छुपी नहीं है. देश की जेलों में लगातार कैदियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. कैदियों की बढ़ती संख्या के चलते सरकार पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है. एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के सितारगंज केंद्रीय कारागार और संपूर्णानंद शिविर जेल में कैदियों के खानपान और चिकित्सा पर बीते 5 सालों में 2 करोड़ से अधिक का खर्च किया गया है.

उत्तराखंड की दो जेलों में बंद कैदियों पर पांच साल में खर्च हुए करोड़ों रुपए

हल्द्वानी के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर केंद्रीय कारागार सितारगंज और संपूर्णानंद शिविर जेल से सूचना मांगी थी कि उनके कारागार में कितने बंदी निरुद्ध हैं और इन कैदियों पर पिछले 5 सालों में कितना खर्च किया गया है. जिसके बाद जो आंकड़े सामने आये वो चौंकाने वाले हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जेल प्रशासन ने बताया है कि सितारगंज केंद्रीय कारागार में 503 जबकि संपूर्णानंद शिविर जेल में कुल 47 कैदी हैं. साथ ही आरटीआई में एक और जानकारी सामने आई है, जिसमें कैदियों पर खर्च की जाने वाली कुल धनराशि का खुलासा हुआ है.

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2014 से दिसंबर 2018 तक इन कैदियों के लंच, डिनर और नाश्ते में कुल 1 करोड़ 63 लाख 99 हजार 291 रुपए खर्च हुए हैं. जबकि कैदियों के दवाइयों और ऑपरेशन पर लगभग 64 लाख 99 हजार 313 रुपए खर्च हुआ है. साथ ही यह भी जानकारी सामने आई है कि चावल, आटा, तेल और कई खाद्य पदार्थ जेल में ही उत्पादित किये जाते हैं. आरटीआई में मिली जानकारी से पता लगा है कि जेल में बंद हर कैदी पर 28 रुपये 9 पैसा प्रतिदिन खाने-पीने पर खर्च किया जाता है.

आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि एक तो देश में जेलों की हालत ठीक नहीं है. न तो जेलों में कैदियों में रहने के लिए पूरी व्यवस्था है और न ही सुरक्षा व्यवस्था के पूरे इंतजामात हैं. बात अगर जेलों की इमारत और परिसर की करें तो ये भी जर्जर हो चुकी हैं. ऐसे में कैदियों पर इतना अधिक खर्च किया जाना कहीं न कहीं सवाल खड़े करता है. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वे कैदियों पर होने वाले खर्चों को रोककर जेलों की स्थिति सुधारे.

Intro:स्लग-आरटीआई से खुलासा ,कैदियों पर हुए 5 सालों में 2 करोड़ से अधिक का सरकारी खर्च।( विसुअल बाइट मेल से उठाने का कष्ट करें) रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी एंकर-- देश की जेलों की दशा और दिशा कितनी खराब है किसी से नहीं छुपा हुआ है। देश के जिलों में लगातार कैदियों की संख्या में इजाफा हो रहा है । बढ़ते कैदियों की संख्या के चलते सरकार के ऊपर भी बोझ पड़ रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के सितारगंज केंद्रीय कारागार और संपूर्णानंद शिविर जेल में कैदियों के खानपान और चिकित्सा के ऊपर 5 सालों के भीतर 2 करोड से अधिक का खर्च किया गया है।


Body:हल्द्वानी के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर केंद्रीय कारागार सितारगंज और संपूर्णानंद शिविर जेल से सूचना मांगी थी कि उनके कारागार में कितने बंदी निरुद्ध है और इन कैदियों पर पिछले 5 सालों में कितना खर्च किया गया है। जिसके बाद आंकड़े चौकाने वाले सामने आए हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जेल प्रशासन ने बताया है कि केंद्रीय कारागार सितारगंज में 503 जबकि संपूर्णानंद शिविर जेल में 47 बंदी विरुद्ध है। यह भी जानकारी सामने आई है कि जनवरी 2014 से दिसंबर 2018 तक इन कैदियों के लंच ,डिनर ,नाश्ते में कुल 1 करोड़ 63 लाख 99 हजार 291 रुपए खाने पीने में सरकारी धन खर्च हुए हैं। जबकि कैदियों के उपचार दवाइयां और ऑपरेशन पर 64 लाख 99 हजार 313 रुपए सरकारी धन खर्च हुआ है। यह भी जानकारी सामने आई है कि चावल ,आटा ,तेल और कई खाद्य पदार्थ जेल द्वारा उत्पादित किया जाता है। प्रति कैदी पर 28 रुपये 9 पैसा प्रतिदिन खाने-पीने पर ऊपर खर्च भी आता है।


Conclusion:आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि एक तो जेलों की दशा ठीक नहीं है ऊपर से कैदियों के ऊपर इतना खर्च किया जाना सवाल खड़ा करता है। सरकार को चाहिए कि इस तरह के खर्चे को रोका जा सके। बाइट--हेमंत गोनिया आरटीआई कार्यकर्ता हल्द्वानी
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