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क्षतिग्रस्त अवस्था में गौला नदी के तटबंध, बरसात में कई गांवों को है बाढ़ का खतरा - डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी

मौनसून में गौला नदी का बहाव ग्रामीण इलाकों में न पहुंचे इसके लिए तटबंध का निर्माण किया गया था. लेकिन इस बार मौनसून आने से पहले ही तटबंध पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

क्षतिग्रस्त अवस्था में गौला नदी के तटबंध.
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Published : Jun 26, 2019, 1:43 PM IST

हल्द्वानी: मौनसून में गौला नदी का बहाव ग्रामीण इलाकों में न पहुंचे इसके लिए तटबंध का निर्माण किया गया था. लेकिन इस बार मौनसून आने से पहले ही तटबंध पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और इस साल बनाए गए नए तटबंध की गुणवत्ता पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर बिंदुखत्ता क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

क्षतिग्रस्त अवस्था में गौला नदी के तटबंध.

दरअसल कुमाऊं की सबसे बड़ी नदी गौला नदी सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व देती है. लेकिन मानसून सत्र में अपने विकराल रूप से बिंदुखत्ता क्षेत्र के कई गांवो के तबाह कर देती है. जिससे हर साल किसानों के कई एकड़ जमीन खराब हो जाती है. साथ ही कई घर भी नदी में समा जाते हैं. ऐसी तबाही से बचने के लिए नदी किनारे तटबंध का निर्माण किया जाता है. लेकिन सरकार द्वार बनाए गए तटबंध गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि नदी के बहाव में तटबंध बह जाते हैं और गांव नदी में समा जाते हैं.

पढ़ें: केदारनाथ: डेढ़ महीने में 7.50 लाख से ज्यादा यात्रियों ने किए बाबा के दर्शन, हर दिन बन रहा नया रिकॉर्ड

बरसात का मौसम शुरू हो चुका है, बावजूद नदी के टूटे हुए तटबंध को अभी तक ठीक नहीं किया गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को एक बार फिर बाढ़ का डर सता रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध नहीं बनने और गुणवत्ता की शिकायत को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाया जा चुका है. लेकिन क्षतिग्रस्त हो चुके तटबंध का न ही निर्माण हो पा रहा है और न ही प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है.

वहीं, इस पूरे मामले में तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 9 करोड़ की लागत से जगह-जगह नदी के किनारे तटबंध का निर्माण किया गया है. इसके अलावा नदी के रुख को भी डायवर्ट किया गया है.

हल्द्वानी: मौनसून में गौला नदी का बहाव ग्रामीण इलाकों में न पहुंचे इसके लिए तटबंध का निर्माण किया गया था. लेकिन इस बार मौनसून आने से पहले ही तटबंध पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और इस साल बनाए गए नए तटबंध की गुणवत्ता पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर बिंदुखत्ता क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

क्षतिग्रस्त अवस्था में गौला नदी के तटबंध.

दरअसल कुमाऊं की सबसे बड़ी नदी गौला नदी सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व देती है. लेकिन मानसून सत्र में अपने विकराल रूप से बिंदुखत्ता क्षेत्र के कई गांवो के तबाह कर देती है. जिससे हर साल किसानों के कई एकड़ जमीन खराब हो जाती है. साथ ही कई घर भी नदी में समा जाते हैं. ऐसी तबाही से बचने के लिए नदी किनारे तटबंध का निर्माण किया जाता है. लेकिन सरकार द्वार बनाए गए तटबंध गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि नदी के बहाव में तटबंध बह जाते हैं और गांव नदी में समा जाते हैं.

पढ़ें: केदारनाथ: डेढ़ महीने में 7.50 लाख से ज्यादा यात्रियों ने किए बाबा के दर्शन, हर दिन बन रहा नया रिकॉर्ड

बरसात का मौसम शुरू हो चुका है, बावजूद नदी के टूटे हुए तटबंध को अभी तक ठीक नहीं किया गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को एक बार फिर बाढ़ का डर सता रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध नहीं बनने और गुणवत्ता की शिकायत को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाया जा चुका है. लेकिन क्षतिग्रस्त हो चुके तटबंध का न ही निर्माण हो पा रहा है और न ही प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है.

वहीं, इस पूरे मामले में तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 9 करोड़ की लागत से जगह-जगह नदी के किनारे तटबंध का निर्माण किया गया है. इसके अलावा नदी के रुख को भी डायवर्ट किया गया है.

Intro:sammry-गौला नदी के तटबंध क्षतिग्रस्त बरसात में कई गांव को हो सकता है खतरा।
एंकर- बरसात सर पर है ऐसे में कुमाऊ की सबसे बड़ी गौला नदी कभी भी विकराल रूप धारण कर सकती हैं। नदी का बहाव ग्रामीण इलाकों में न पहुंचे इसको लेकर तटबंध का निर्माण तो किया गया है लेकिन तटबंध पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं या जो इस साल बनाए गए हैं वह भी गुणवत्ता विहीन है। ऐसे में एक बार फिर बाढ़ का खतरा बिंदुखता क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों पर मंडरा रहा है । ग्रामीण बरसात से पहले एक बार फिर चिंतित है की गौला नदी पहले के जैसे एक बार फिर उनके जमीनों को अपने आगोश के बहाव में बहा ना ले जाए।


Body:दरअसल कुमाऊ की सबसे बड़ी नदी गौला नदी सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व तो देती है लेकिन मानसून सत्र में अपने विकराल रूप से बिन्दुखत्ता के बिंदुखता क्षेत्र के कई गांवो पर अपना कहर बरपा ते हुए किसानों के सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को भी अपने आगोश में ले जाती हैं जिससे हर साल किसानों के कई एकड़ जमीन नदी में जमीजोद हो जाते हैं। नदी का रुख ग्रामीण इलाकों में ना पहुंचे इसको लेकर सरकार हर साल नदी किनारे तटबंध बनाती है लेकिन गुणवत्ता खराब होने के चलते नदी के बहाव में तटबंध बह जाते हैं और ग्रामीणों के जमीन नदी में समा जाते हैं।
बरसात शुरू हो चुका है लेकिन नदी के टूटे हुए तटबंध को अभी तक ठीक नहीं किया गया है जिससे कि एक बार फिर ग्रामीणों को डर सता रहा है कि कहीं गोला नदी के विकराल रूप में एक बार फिर उनकी कृषि भूमि को नदी अपने आगोश में ना ले ले।
ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध नहीं बनने और गुणवत्ता की शिकायत को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं लेकिन क्षतिग्रस्त हो चुके तटबंध का नहीं निर्माण हो पा रहा है नहीं प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है।

बाइट-ग्रामीण



Conclusion:इस पूरे मामले में तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में 9 करोड़ की वजह से नदी के किनारे जगह-जगह तटबंध और चक डैम का निर्माण किया गया है। इसके अलावा नदी के रुख को भी डायवर्जन किया गया है।
बाइट नीतीश मणि त्रिपाठी डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग
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