हल्द्वानी: मौनसून में गौला नदी का बहाव ग्रामीण इलाकों में न पहुंचे इसके लिए तटबंध का निर्माण किया गया था. लेकिन इस बार मौनसून आने से पहले ही तटबंध पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और इस साल बनाए गए नए तटबंध की गुणवत्ता पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर बिंदुखत्ता क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
दरअसल कुमाऊं की सबसे बड़ी नदी गौला नदी सरकार को हर साल खनन के रूप में करोड़ों का राजस्व देती है. लेकिन मानसून सत्र में अपने विकराल रूप से बिंदुखत्ता क्षेत्र के कई गांवो के तबाह कर देती है. जिससे हर साल किसानों के कई एकड़ जमीन खराब हो जाती है. साथ ही कई घर भी नदी में समा जाते हैं. ऐसी तबाही से बचने के लिए नदी किनारे तटबंध का निर्माण किया जाता है. लेकिन सरकार द्वार बनाए गए तटबंध गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि नदी के बहाव में तटबंध बह जाते हैं और गांव नदी में समा जाते हैं.
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बरसात का मौसम शुरू हो चुका है, बावजूद नदी के टूटे हुए तटबंध को अभी तक ठीक नहीं किया गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को एक बार फिर बाढ़ का डर सता रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध नहीं बनने और गुणवत्ता की शिकायत को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाया जा चुका है. लेकिन क्षतिग्रस्त हो चुके तटबंध का न ही निर्माण हो पा रहा है और न ही प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है.
वहीं, इस पूरे मामले में तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 9 करोड़ की लागत से जगह-जगह नदी के किनारे तटबंध का निर्माण किया गया है. इसके अलावा नदी के रुख को भी डायवर्ट किया गया है.