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विश्व दिव्यांग दिवस: पैर गंवाने के बाद भुवन चंद्र ने बदली तकदीर, बना डाली एक खास कार

हल्दुचौड़ के रहने वाले दिव्यांग भुवन चंद्र गुणवंत (51) ने अपनी जरूरत के हिसाब से एक कार मॉडिफाई किया है. जिनके दोनों पैर नहीं हैं. जिससे वे रोजाना शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाते दिखाई देते हैं.

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भुवन चंद्र ने बदली तकदीर
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Published : Dec 3, 2019, 12:47 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 1:34 PM IST

हल्द्वानी: 'मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं', जो अपनी दिव्यांगता को तकदीर का अभिशाप न समझकर अपने मन की उमंग से हाथों में खिंची लकीर को बदलकर इसे वरदान में बदल लेते हैं. जो अपनी किस्मत की लकीरों पर भरोसा न करके अपने हुनर को ही जीवनशैली का हिस्सा बना लेते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं हल्द्वानी के भुवन चंद्र गुणवंत, जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों से कार को दिव्यांगों के हिसाब से मॉडिफाई किया है.

पैर गंवाने के बाद भुवन चंद्र ने बदली तकदीर.

हुनर से बदली तस्वीर

हल्द्वानी की सड़कों पर सरपट दौड़ती इस कार को किसी इंजीनियर ने नहीं बल्कि एक दिव्यांग व्यक्ति ने अपनी जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया है. आज दुनिया में पहली पेट्रोल कार बनाने वाले कार्ल बेंज जिंदा होते तो वे भी हैरान रह जाते. इस कार को हल्द्वानी के हल्दुचौड़ के रहने वाले दिव्यांग भुवन चंद्र गुणवंत (51) ने मॉडिफाई किया है. जिनके दोनों पैर नहीं हैं. जिससे वे रोजाना शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाते दिखाई देते हैं.

पढ़ें-...हाथों की लकीरों पर मत कर यकीन, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

खेलों में भी दिखा चुके हैं अपना जलवा

कार कंपनियां आज तक दिव्यांगों के लिए जो नहीं कर सकीं उसे भुवनचंद्र ने आसानी से कर दिखाया है. यही नहीं भुवन चंद्र गुणवंत दिव्यांगों के कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल कर चुके हैं और स्वरोजगार को भी अपनाया है. जिसके बाद आज दिव्यांग दिवस के अवसर पर उन्हें सम्मानित किया गया.

ये हैं उपलब्धियां

भुवन चंद्र गुणवंत 2010 में एक सड़क हादसे में दोनों पैर गंवा चुके हैं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कुछ कर गुजरने के जज्बे की बदौलत वे आज देश-दुनिया में अपना नाम भी रोशन कर रहे हैं. भुवन चंद्र गुणवंत दिव्यांगों के कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल कर चुके हैं. साथ ही तैराकी और बैडमिंटन में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. यही नहीं, वो उत्तराखंड दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं. भुवन चंद्र ने साइबर कैफे को अपना रोजगार का साधन बनाया है. शहर के लोग ही नहीं कार बनाने वाली कंपनियां भी भुवन चंद्र के इस जज्बे को सलाम करती हैं.

हल्द्वानी: 'मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं', जो अपनी दिव्यांगता को तकदीर का अभिशाप न समझकर अपने मन की उमंग से हाथों में खिंची लकीर को बदलकर इसे वरदान में बदल लेते हैं. जो अपनी किस्मत की लकीरों पर भरोसा न करके अपने हुनर को ही जीवनशैली का हिस्सा बना लेते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं हल्द्वानी के भुवन चंद्र गुणवंत, जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों से कार को दिव्यांगों के हिसाब से मॉडिफाई किया है.

पैर गंवाने के बाद भुवन चंद्र ने बदली तकदीर.

हुनर से बदली तस्वीर

हल्द्वानी की सड़कों पर सरपट दौड़ती इस कार को किसी इंजीनियर ने नहीं बल्कि एक दिव्यांग व्यक्ति ने अपनी जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया है. आज दुनिया में पहली पेट्रोल कार बनाने वाले कार्ल बेंज जिंदा होते तो वे भी हैरान रह जाते. इस कार को हल्द्वानी के हल्दुचौड़ के रहने वाले दिव्यांग भुवन चंद्र गुणवंत (51) ने मॉडिफाई किया है. जिनके दोनों पैर नहीं हैं. जिससे वे रोजाना शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाते दिखाई देते हैं.

पढ़ें-...हाथों की लकीरों पर मत कर यकीन, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

खेलों में भी दिखा चुके हैं अपना जलवा

कार कंपनियां आज तक दिव्यांगों के लिए जो नहीं कर सकीं उसे भुवनचंद्र ने आसानी से कर दिखाया है. यही नहीं भुवन चंद्र गुणवंत दिव्यांगों के कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल कर चुके हैं और स्वरोजगार को भी अपनाया है. जिसके बाद आज दिव्यांग दिवस के अवसर पर उन्हें सम्मानित किया गया.

ये हैं उपलब्धियां

भुवन चंद्र गुणवंत 2010 में एक सड़क हादसे में दोनों पैर गंवा चुके हैं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कुछ कर गुजरने के जज्बे की बदौलत वे आज देश-दुनिया में अपना नाम भी रोशन कर रहे हैं. भुवन चंद्र गुणवंत दिव्यांगों के कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल कर चुके हैं. साथ ही तैराकी और बैडमिंटन में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. यही नहीं, वो उत्तराखंड दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं. भुवन चंद्र ने साइबर कैफे को अपना रोजगार का साधन बनाया है. शहर के लोग ही नहीं कार बनाने वाली कंपनियां भी भुवन चंद्र के इस जज्बे को सलाम करती हैं.

Intro:sammry- विश्व दिव्यांग दिवस - दोनों पैर से दिव्यांग भूवन चंद्र गुणवंत कार को मॉडिफाई कर सरपट दौड़ आते हैं हाईवे पर, कार कंपनियों को दी चुनौती।( स्पेशल खबर)


एंकर- कहते हैं हौसले बुलंद हो तो हर मंजिल आसान हो सकती हैं ऐसा ही कर दिखाया है हल्द्वानी के हल्दुचौड़ के रहने वाले दिव्यांग भुवन चंद्र गुणवंत ,51 वर्षीय दिव्यांग भुवन गुणवंत के दोनों पैर नहीं हैं उन्होंने कार कंपनियों को चुनौती देते हुए अपने हिसाब से कार को मॉडिफाई कर सड़क पर सरपट दौड़ आते हैं। कार कंपनियां दिव्यांगों के लिए अभी तक कोई कार नहीं बनाई है लेकिन भूवनचंद्र गुणवंत ने उन कंपनियों को आईना दिखाते हुए अपने मनमाफिक कार को मॉडिफाई किया है। यही नहीं भुवन चंद गुणवंत दिव्यांगों की कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल किए हैं और स्वरोजगार को भी अपनाया है जिसके बाद आज दिव्यांग दिवस के अवसर पर वह देहरादून में सम्मानित भी हो रहे हैं।


Body:दिव्यांग भूवनचंद्र गुणवंत का 2010 में एक सड़क हादसे में दोनों पैर गवा चुके है लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने हिम्मत और जज्बे के बदौलत आज देश दुनिया में अपना नाम भी रोशन कर रहे हैं। भुवन चंद्र गुणवंत दिव्यांगों के कई पैरा ओलंपिक खेलों में महारत हासिल कर चुके हैं। तैराकी, बैडमिंटन में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं जबकि उत्तराखंड दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। भुवन चंद्र कभी भी अपने आपको दिव्यांग महसूस नहीं किया और उन्होंने स्वरोजगार अपनाते हुए साइबर कैफे खोल रखा है जहां साइबर कैफे के माध्यम से अपना रोजी-रोटी भी चलाते हैं।


Conclusion:उनके इस हौसले और जज्बे को देखते हुए समाज कल्याण विभाग ने उनको सम्मानित करने का मन बनाया है। फिलहाल भूवनचंद्र गुणवंत आज देहरादून में विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर समाज कल्याण मंत्री द्वारा स्वरोजगार के क्षेत्र में सम्मानित भी किए जाएंगे।

बाइट -भूवनचंद्र गुणवंत दिव्यांग
Last Updated : Dec 3, 2019, 1:34 PM IST
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