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वनाग्नि नियंत्रण के लिए 2.25 करोड़ का बजट जारी, सैटेलाइट से रखी जाएगी निगरानी

वनाग्नि से हर वर्ष कई हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान होता है. साथ ही बड़ी संख्या में वन्य जीवों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इस वर्ष उत्तराखंड में वनाग्नि पर नियंत्रण करने के लिए शासन ने 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट पारित किया है.

वनाग्नि
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Published : Apr 16, 2019, 11:42 AM IST

Updated : Apr 16, 2019, 12:52 PM IST

हल्द्वानी: गर्मियों का सीजन आते ही वनसंपदा और वन्य जीवों पर वनाग्नि का खतरा मंडराने लगता है. वनाग्नि से हर वर्ष कई हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान होता है. साथ ही बड़ी संख्या में वन्य जीवों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इस वर्ष उत्तराखंड में वनाग्नि पर नियंत्रण करने के लिए शासन ने 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट पारित किया है. जिसके बाद से वन विभाग की तैयारियां चरम पर है.

जानकारी देते वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते.

आपको बता दें कि वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए वन विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जिसके लिए वन विभाग ने कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजन में 513 फायर वाचरों की तैनाती की है और 173 फायर क्रु स्टेशन भी स्थापित किए हैं. साथ ही घने जंगलों में लगने वाली आग का पता लगाने के लिए सेटेलाइट की मदद से निगरानी भी की जा रही है.

वहीं वन संरक्षक पश्चिमी तराई डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजनों के वनों में लगने वाली अग्नि की घटना से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. पूरे कुमाऊं डिवीजन में 939 फायर वाचरों की तैनाती प्रस्ताव पारित किया गया है. जिसमें 513 फायर वाचरों की नियुक्ति की जा चुकी है. जिनके लिए 32 वाच टावर भी स्थापित किए गए हैं.

वहीं 5 कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं. साथ ही 173 फायर क्रू स्टेशन स्थापित किए गए हैं. वनाग्नि की जानकारी के लिए 459 वायरलेस उपकरण भी कर्मियों को उपलब्ध कराए गए हैं. साथ ही बताया की पहाड़ी इलाकों में लगने वाली आग की निगरानी के लिए जीपीएस का सहारा लिया जा रहा है और एसएमएस अलर्ट के माध्यम से भी वनाग्नि को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है.

ये भी पढ़े: पैराग्लाइडिंग का रखते हैं शौक तो चले आइये यहां, पर्यटक जमकर उठा रहे लुत्फ

वहीं मधुकर धकाते ने वानाग्नि के आंकड़े जाहिर करते हुए बताया कि 2016 में कुमाऊं मंडल के पांच डिवीजन में 120 वानाग्नि की घटना हुई. जिसमें करीब 119 घन मीटर वन संपदा को नुकसान हुआ था. वहीं 2017 में 120 वनअग्नि की घटना हुई जिसमें 168 घन मीटर बन संपदा जलकर खाक हुई थी. 2018 में 24 वनाग्नि की घटना हुई जिसमें 23 हेक्टेयर वन संपदा का नुकसान हुआ. साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष वानाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए शासन से 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट अवमुक्त हुआ है.

गौर हो कि पिछले वर्ष पूरे प्रदेश के जंगलों में 2150 वानाग्नि की घटनाएं हुई थी. जिनमें 4480.03 हेक्टेयर में जंगल जलकर खाक हो गए थे. साथ ही 2016 में नैनीताल जिले के जंगलों में लगी भीषण आग कई महीनों तक जंगल जलाती रही जिस पर काबू करने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी.

हल्द्वानी: गर्मियों का सीजन आते ही वनसंपदा और वन्य जीवों पर वनाग्नि का खतरा मंडराने लगता है. वनाग्नि से हर वर्ष कई हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान होता है. साथ ही बड़ी संख्या में वन्य जीवों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इस वर्ष उत्तराखंड में वनाग्नि पर नियंत्रण करने के लिए शासन ने 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट पारित किया है. जिसके बाद से वन विभाग की तैयारियां चरम पर है.

जानकारी देते वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते.

आपको बता दें कि वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए वन विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जिसके लिए वन विभाग ने कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजन में 513 फायर वाचरों की तैनाती की है और 173 फायर क्रु स्टेशन भी स्थापित किए हैं. साथ ही घने जंगलों में लगने वाली आग का पता लगाने के लिए सेटेलाइट की मदद से निगरानी भी की जा रही है.

वहीं वन संरक्षक पश्चिमी तराई डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजनों के वनों में लगने वाली अग्नि की घटना से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. पूरे कुमाऊं डिवीजन में 939 फायर वाचरों की तैनाती प्रस्ताव पारित किया गया है. जिसमें 513 फायर वाचरों की नियुक्ति की जा चुकी है. जिनके लिए 32 वाच टावर भी स्थापित किए गए हैं.

वहीं 5 कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं. साथ ही 173 फायर क्रू स्टेशन स्थापित किए गए हैं. वनाग्नि की जानकारी के लिए 459 वायरलेस उपकरण भी कर्मियों को उपलब्ध कराए गए हैं. साथ ही बताया की पहाड़ी इलाकों में लगने वाली आग की निगरानी के लिए जीपीएस का सहारा लिया जा रहा है और एसएमएस अलर्ट के माध्यम से भी वनाग्नि को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है.

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वहीं मधुकर धकाते ने वानाग्नि के आंकड़े जाहिर करते हुए बताया कि 2016 में कुमाऊं मंडल के पांच डिवीजन में 120 वानाग्नि की घटना हुई. जिसमें करीब 119 घन मीटर वन संपदा को नुकसान हुआ था. वहीं 2017 में 120 वनअग्नि की घटना हुई जिसमें 168 घन मीटर बन संपदा जलकर खाक हुई थी. 2018 में 24 वनाग्नि की घटना हुई जिसमें 23 हेक्टेयर वन संपदा का नुकसान हुआ. साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष वानाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए शासन से 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट अवमुक्त हुआ है.

गौर हो कि पिछले वर्ष पूरे प्रदेश के जंगलों में 2150 वानाग्नि की घटनाएं हुई थी. जिनमें 4480.03 हेक्टेयर में जंगल जलकर खाक हो गए थे. साथ ही 2016 में नैनीताल जिले के जंगलों में लगी भीषण आग कई महीनों तक जंगल जलाती रही जिस पर काबू करने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी.

Intro:स्लग- वन विभाग फायर अलर्ट आग से निपटने के लिए वन विभाग ने किस तरह से की तैयारी ।पिछले वर्ष कितने हुई वनाग्नि की घटना।
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित/ हल्द्वानी
एंकर-गर्मियों में वनाग्नि पर नियंत्रण को लेकर वन विभाग ने पूरी तैयारियां कर लिया है। वनों में लगने वाली आग की घटना को कैसे रोका जाए इसको लेकर लेकर वन विभाग ने कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजन में 513 फायर वाचरो की तैनाती किया है। जबकी 173 फायर क्रु स्टेशन स्थापित किया है इसके अलावा करीब 2 करोड़ के बजट भी जारी किया है। साथी सेटेलाइट के माध्यम से भी वनो में लगने वाली आग की घटना की भी निगरानी कर रहा हैं।


Body:वन संरक्षक पश्चिमी तराई डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि कुमाऊं मंडल के 5 वन डिविजनो के वनों में लगने वाली अग्नि की घटना से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। पूरे डिवीजन में 939 फायर वाचरो की तैनाती प्रस्ताव पारित किया गया है जिसमें 513 फायर वचनों की तलाशी की जा चुकी है। इसके अलावा 5 कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। 173 फायर क्रू स्टेशन स्थापित किए गए हैं।32 वाच टावर स्थापित किए गए हैं 459 वायरलेस उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा पहाड़ों पर लगने वाले आग की निगरानी के लिए जीपीएस का सहारा लिया जा रहा है । साथी एसएमएस अलर्ट के माध्यम से भी वनों में लगने वाली आग को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है।
पराग मधुकर धक्काते ने बताया कि 2016 में कुमाऊं मंडल के पांच डिविजन में 120 वानाग्निकी घटना हुई थी जिसमें करीब 119 घन मीटर वन संपदा का नुकसान हुआ था।
2017 में 120 वनअग्नि की घटना हुई थी जिसमें 168 घन मीटर बन सकता खाक हुई थी ।जबकि 2018 में मात्र 24 वनाग्नि की घटना हुई थी जिसमें 23 हेक्टेयर वन संपदा का नुकसान हुआ था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष वानाग्नि की घटना को रोकने के लिए शासन से 2 करोड़ 24 लाख 72 हजार का बजट शासन ने अवमुक्त किया है।

बाइट -पराग मधुकर धकाते वन संरक्षक पाश्चमी वृत्त


Conclusion:गौरतलब है कि हर साल गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। वन विभाग अपने पुराने संसाधनो से ही जंगलों के आग पर काबू पा रहा है ।पिछले साल सबसे ज्यादा उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आई थी ।पिछले साल पूरे प्रदेश में 2150 मामले आग लगने के आए थे जो उत्तराखंड के जंगलों में अलग-अलग स्थानों पर लगे थे जिसमें4480.03 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए थे।
यही नहीं सन 2016 में नैनीताल जिले के कई जंगलों में आग लगे थे जिसको बुझाने के लिए वायु सेना का हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी थी जिसमे जिले के जंगल कई महीने तक जलते रहे।

Last Updated : Apr 16, 2019, 12:52 PM IST
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