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मेक्सिको में आयोजित होगी सिस्मोलॉजिकल मीटिंग, वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक लेंगे हिस्सा

वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि इस एनुअल मीटिंग में स्लो अर्थक्वेक की कितनी संभावनाएं हैं इस पर चर्चा की जाएगी. साथ ही इस मीटिंग के विदेशों के वैज्ञानिकों से समन्वय भी बनाया जाएगा.

seismological meeting in Mexico
वाडिया इंस्टिट्यूट
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Published : Dec 29, 2019, 5:44 PM IST

Updated : Dec 29, 2019, 5:51 PM IST

देहरादून: साल 2020 के मार्च महीने में मैक्सिको में सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की एनुअल मीटिंग आयोजित की जाएगी. जिसमें वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भी बतौर कन्वीनर शामिल होंगे. इस मीटिंग में 'स्लो एंड फास्ट अर्थक्वेक इन एशियन रीजन' टॉपिक पर चर्चा की जाएगी.

भूकंप को लेकर न सिर्फ देश के वैज्ञानिक बल्कि विदेशों के वैज्ञानिक भी लगातार शोध कर रहे हैं, ताकि भूकंप का प्रीडिक्शन किया जा सके. दुनिया में अभीतक ऐसा कोई उपकरण नहीं बना है जिससे भूकंप आने का प्रीडिक्शन किया जा सके. लिहाजा, समय-समय पर देश और विदेश के वैज्ञानिक इस पर चर्चा करते रहते हैं.

मेक्सिको में आयोजित होगी सिस्मोलॉजिकल मीटिंग.

पढ़ें-खुशखबरी: बेरोजगार युवाओं के लिए सुनहरा मौका, 21 जनवरी को लगेगा रोजगार मेला

वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि इस एनुअल मीटिंग में स्लो अर्थक्वेक की कितनी संभावनाएं हैं, इस पर चर्चा की जाएगी. साथ ही इस मीटिंग में विदेशों के वैज्ञानिकों से समन्वय बनाया जाएगा, ताकि हिमालय को भी जाना जा सके कि क्या हिमालय रीजन में भी स्लो अर्थक्वेक के माध्यम से एनर्जी रिलीज हो रही है या नहीं.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समा, जमकर थिरके पर्यटक

वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया अभी उत्तराखंड में जो अर्थक्वेक आ रहे हैं वे सभी फास्ट अर्थक्वेक हैं. उन्होंने बताया साल 1950 के बाद से इन 70 सालों में कोई भी बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि कहीं एनर्जी स्टोर तो नहीं हो रही है?

देहरादून: साल 2020 के मार्च महीने में मैक्सिको में सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की एनुअल मीटिंग आयोजित की जाएगी. जिसमें वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भी बतौर कन्वीनर शामिल होंगे. इस मीटिंग में 'स्लो एंड फास्ट अर्थक्वेक इन एशियन रीजन' टॉपिक पर चर्चा की जाएगी.

भूकंप को लेकर न सिर्फ देश के वैज्ञानिक बल्कि विदेशों के वैज्ञानिक भी लगातार शोध कर रहे हैं, ताकि भूकंप का प्रीडिक्शन किया जा सके. दुनिया में अभीतक ऐसा कोई उपकरण नहीं बना है जिससे भूकंप आने का प्रीडिक्शन किया जा सके. लिहाजा, समय-समय पर देश और विदेश के वैज्ञानिक इस पर चर्चा करते रहते हैं.

मेक्सिको में आयोजित होगी सिस्मोलॉजिकल मीटिंग.

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वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि इस एनुअल मीटिंग में स्लो अर्थक्वेक की कितनी संभावनाएं हैं, इस पर चर्चा की जाएगी. साथ ही इस मीटिंग में विदेशों के वैज्ञानिकों से समन्वय बनाया जाएगा, ताकि हिमालय को भी जाना जा सके कि क्या हिमालय रीजन में भी स्लो अर्थक्वेक के माध्यम से एनर्जी रिलीज हो रही है या नहीं.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समा, जमकर थिरके पर्यटक

वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया अभी उत्तराखंड में जो अर्थक्वेक आ रहे हैं वे सभी फास्ट अर्थक्वेक हैं. उन्होंने बताया साल 1950 के बाद से इन 70 सालों में कोई भी बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि कहीं एनर्जी स्टोर तो नहीं हो रही है?

Intro:ready to air......

साल 2020 के मार्च महीने में मैक्सिको में आयोजित होने वाले सेस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की एनुअल मीटिंग में वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक भी बतौर कन्वीनियर शामिल होंगे। जिसमे "स्लो एंड फास्ट अर्थ क्विक इन एशियन रीजन" टॉपिक पर चर्चा किया जायेगा। ताकि स्लो अर्थ क्विक की जानकारियो को आदान-प्रदान किया जा सके।





Body:भूकंप को लेकर ना सिर्फ देश की वैज्ञानिक बल्कि विदेशों के वैज्ञानिक भी लगातार शोध कर रहे हैं ताकि भूकंप आने का प्रिडिक्शन किया जा सके। लेकिन दुनिया अभी तक ऐसी कोई इक्विपमेंट्स नहीं है जिससे भूकंप आने का प्रेडिक्शन किया जा सके। लिहाजा समय-समय पर भूकंप को लेकर देश-विदेश के वैज्ञानिकों द्वारा चर्चा किया जाता है।


वही वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक सुशील कुमार ने बताया कि इस एनुअल मीटिंग में चर्चा किया जाएगा कि स्लो अर्थ क्विक की कितनी संभावनाएं हैं और कहां-कहां इसे महसूस किया गया है कि स्लो अर्थ क्विक के रूप में एनर्जी रिलीज हो रही है। इसके साथ ही इस मीटिंग के विदेशों के वैज्ञानिकों से समन्वय बनाया जाएगा, ताकि हिमालय में भी जाना जा सके कि क्या हिमालय रीजन में भी स्लो अर्थ क्विक के माध्यम से एनर्जी रिलीज हो रही है या नहीं।


साथ ही बताया कि जो अभी अर्थ क्विक आ रहे हैं वह फास्ट अर्थ क्विक हैं, जो उत्तराखंड के तमाम जिलों में देखे जा रहा हैं। लेकिन 1950 के बाद इन 70 सालों में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि कहीं एनर्जी स्टोर तो नहीं हो रही है या फिर एनर्जी स्लो अर्थ क्विक के रूप में रिलीज हो रही है। जिस पर वाडिया इंस्टिट्यूट लगातार रिसर्च कर रहा है।

बाइट - सुशील कुमार, वैज्ञानिक, वाडिया इंस्टीट्यूट




Conclusion:
Last Updated : Dec 29, 2019, 5:51 PM IST
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