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उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों की सैटेलाइट से होगी मॉनिटरिंग, नदियों से दूर बनेंगे वैकल्पिक मार्ग

उत्तराखंड सरकार सैटेलाइट के माध्यम से प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों की निगरानी करेगी. साथ ही आपदा के खतरे को देखते हुए नदियों के दूर वैकल्पिक मार्ग बनाने की भी योजना है.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.
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Published : Aug 10, 2019, 9:23 AM IST

Updated : Aug 10, 2019, 4:30 PM IST

देहरादून: साल 2013 की त्रासदी से सीख लेते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों की सैटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग करेगी. उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से प्रदेश के हिम शिखरों पर नजर रखी जाएगी. वहीं, आपदा के खतरे को देखते हुए नदियों के दूर वैकल्पिक मार्ग बनाने का भी काम शुरू किया जाएगा.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि दोबारा कोई चोराबाड़ी जैसी झील न बने इसके लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की मदद ली जाएगी. वहीं, वाडिया और यूसेक संस्थान सभी छोटे-बड़े जलाशयों पर नजर रखेंगे. ताकि भविष्य में 2013 जैसी कोई परिस्थिति न बने और अगर बने तो वैज्ञानिक पहले से इसके लिए तैयार रहें.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

पढ़ें: टिहरी हादसे के बाद जागा शिक्षा विभाग, बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर दर्ज होगा मुकदमा

वहीं, सतपाल महाराज ने कहा कि साल 2013 में नदियों के किनारे सभी मार्गों के टूटने से बचाव और रेस्क्यू कार्य चुनौती भरा हो गया था. जिसके चलते नदियों से हटकर पहाड़ी के ऊपर से सुरक्षित मार्ग बनाए जाने की भी योजना सरकार बना रही है.

सतपाल महाराज ने कहा कि जल संवर्धन के लिए भी सैटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिए प्रदेश के अलग-अलग इलाकों की निगरानी की जाएगी.

देहरादून: साल 2013 की त्रासदी से सीख लेते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों की सैटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग करेगी. उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से प्रदेश के हिम शिखरों पर नजर रखी जाएगी. वहीं, आपदा के खतरे को देखते हुए नदियों के दूर वैकल्पिक मार्ग बनाने का भी काम शुरू किया जाएगा.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि दोबारा कोई चोराबाड़ी जैसी झील न बने इसके लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की मदद ली जाएगी. वहीं, वाडिया और यूसेक संस्थान सभी छोटे-बड़े जलाशयों पर नजर रखेंगे. ताकि भविष्य में 2013 जैसी कोई परिस्थिति न बने और अगर बने तो वैज्ञानिक पहले से इसके लिए तैयार रहें.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

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वहीं, सतपाल महाराज ने कहा कि साल 2013 में नदियों के किनारे सभी मार्गों के टूटने से बचाव और रेस्क्यू कार्य चुनौती भरा हो गया था. जिसके चलते नदियों से हटकर पहाड़ी के ऊपर से सुरक्षित मार्ग बनाए जाने की भी योजना सरकार बना रही है.

सतपाल महाराज ने कहा कि जल संवर्धन के लिए भी सैटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिए प्रदेश के अलग-अलग इलाकों की निगरानी की जाएगी.

Intro:summary- जल शक्ति मंत्रालय, वाडिया इंस्टिट्यूट और यूसेक के माध्यम से करेगा उत्तराखंड में सेटेलाइट से मोनेटरिंग।

Note- फीड FTP से (uk_deh_04_sattalight_monitoring_in_uk_vis_byte_7205800) नाम से भेजी गई है।

एंकर- उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि 2013 की त्रासदी से सिख लेते हुए फिर से कोई चोरबाड़ी झील ना बने इसे शुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से उत्तराखंड के हिम शिखरों पर सेटेलाइट के जरिए नजर रखी जायेगी तो वहीं इसके अलावा जल संवर्धन को लेकर भी सेटेलाइट मोनेटरिंग के जरिए प्रदेश के अलग-अलग इलाकों की मॉनिटरिंग की जाएगी साथ ही वहीं आपदा के दृष्टिकोण से नदियों के से सटे हुए रास्तों के जोखिम को देखते हुए नदियों से हटकर वैकल्पिक मार्ग बनाने पर भी कम शुरू किया जाएगा।


Body:वीओ- शुक्रवार को उत्तराखंड के पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने 2013 की त्रासदी के बाद काफी सीख ली है और जिस तरह से केदारनाथ की ऊपर चोरबाड़ी झील इस विनाश का एक बड़ा कारण बनी थी, तो उसको देखते हुए अब केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय उत्तराखंड के पूरे हिमालयी क्षेत्र पर सेटेलाइट के माध्यम से अपनी पैनी नजर रखेगा। सतपाल महाराज ने बताया कि सेटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिए वाडिया और यूसेक संस्थान उत्तराखंड के हिम क्षेत्र में बनने वाले सभी छोटे बड़े जलाशयों की प्रकृति और लोकेशन पर सेटेलाइट पैनी नजर रहेगी जिससे भविष्य में 2013 जैसी कोई परिस्थिति ना बन पाए या फिर उससे पहले ही वैज्ञानिकों को इसका पता लग जाए।

इसके अलावा पुराने अनुभवों से सीखते हुए प्रदेश में नदियों से अलग हटकर वैकल्पिक मार्ग बनाने की बात भी मंत्री सतपाल महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि 2013 की आपदा ने हमें सिखाया है कि किस तरह से नदियों के किनारे बने मार्गों का जोखिम आपदा के समय बढ़ जाता है। 2013 में भी नदियों के किनारे सभी मार्गों के टूटने से बचाव और रेस्क्यू का काम और चुनौती भरा हो गया था। उन्होंने कहा कि इससे सीखते हुए प्रदेश में नदियों से हटकर पहाड़ी के ऊपर से सुरक्षित मार्गों को बनाए जाने की भी योजना सरकार बना रही है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि घनसाली और घुत्तु के बाद अगर एक सड़क बनाई जाए तो 40 किलोमीटर में त्रिजुगीनारायण पहुंचा जा सकता है और यह हमारे लिए आपदा जैसी स्थिति में वैकल्पिक मार्ग बन सकता है।

बाइट- सतपाल महाराज, सिंचाई और पर्यटन मंत्री उत्तराखंड


Conclusion:
Last Updated : Aug 10, 2019, 4:30 PM IST
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