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सरकार ने विवादित बोर्डिंग स्कूल को CBSE मान्यता के लिए दी NOC, छात्रा का हुआ था गैंगरेप - dehradun Boarding School Latest News

सरकार ने देहरादून स्थित उस बोर्डिंग स्कूल को CBSE मान्यता के लिए एनओसी दी है, जहां पर छात्रा का गैंगरेप हुआ था.

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सरकार ने बोर्डिंग स्कूल को CBSE मान्यता के लिए दी NOC
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Published : Feb 6, 2020, 9:18 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 10:31 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार का एक फैसला इन दिनों फिर विवादों में है. सरकार ने सीबीएसई मान्यता के लिए उस स्कूल को एनओसी दे दी है, जिसमें एक छात्रा का गैंग रेप हुआ था. बीते सोमवार को पॉक्सो कोर्ट ने इस बोर्डिंग स्कूल में हुये गैंगरेप के मामले में सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन को भी मामले में दोषी पाया था.

बता दें कि अगस्त 2018 में थाना सहसपुर के अंतर्गत आने वाले भाऊवाला स्थित निजी बोर्डिंग स्कूल में दसवीं में पढ़ने वाली बालिग छात्रा के साथ स्कूल के ही 4 सीनियर छात्रों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. वहीं मामला सामने आने पर स्कूल प्रबंधन ने मामले को दबाने का प्रयास किया था. यही नहीं स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ित बच्ची का गर्भपात कराने के साथ ही पुलिस और परिजनों से इस मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव भी बनाया था.

पढ़ें-दहेज के लिए महिला को करते थे प्रताड़ित, पति समेत आधा दर्जन लोगों पर FIR

कोर्ट ने इस मामले में सरबजीत नाम के छात्र को दोषी करार दिया. इसके साथ ही स्कूल डॉयरेक्टर लता गुप्ता, प्रबंधक दीपक और उसकी पत्नी सहित तीन लोगों को साक्ष्य छुपाने और गर्भपात कराने के मामले में नौ-नौ साल की कठोर सजा सुनाई. जबकि स्कूल के प्रिंसिपल जितेंद्र शर्मा को 3 साल की सजा सुनाई गई.

पढ़ें-डोईवाला: जहरीला फल खाने से पांच बच्चे बीमार, दून हॉस्पिटल में हुए भर्ती

बीते साल 2018 में हुई इस गैंगरेप की घटना के बाद राज्य सरकार ने इस स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी. वहीं कोर्ट में इस मामले का ट्रायल चलने के बाद सीबीएसई बोर्ड ने भी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी. मगर इसके उलट शासन ने इस साल इस स्कूल को एक बार फिर सीबीएसई मान्यता के लिए एनओसी दे दी है. शासन द्वारा इस शिक्षण संस्थान को दी गई एनओसी के बाद जहां एक तरफ सरकार की किरकिरी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एनओसी देकर सरकार इस तरह के संस्थानों को क्यों बढ़ावा दे रही है?

देहरादून: उत्तराखंड सरकार का एक फैसला इन दिनों फिर विवादों में है. सरकार ने सीबीएसई मान्यता के लिए उस स्कूल को एनओसी दे दी है, जिसमें एक छात्रा का गैंग रेप हुआ था. बीते सोमवार को पॉक्सो कोर्ट ने इस बोर्डिंग स्कूल में हुये गैंगरेप के मामले में सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन को भी मामले में दोषी पाया था.

बता दें कि अगस्त 2018 में थाना सहसपुर के अंतर्गत आने वाले भाऊवाला स्थित निजी बोर्डिंग स्कूल में दसवीं में पढ़ने वाली बालिग छात्रा के साथ स्कूल के ही 4 सीनियर छात्रों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. वहीं मामला सामने आने पर स्कूल प्रबंधन ने मामले को दबाने का प्रयास किया था. यही नहीं स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ित बच्ची का गर्भपात कराने के साथ ही पुलिस और परिजनों से इस मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव भी बनाया था.

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कोर्ट ने इस मामले में सरबजीत नाम के छात्र को दोषी करार दिया. इसके साथ ही स्कूल डॉयरेक्टर लता गुप्ता, प्रबंधक दीपक और उसकी पत्नी सहित तीन लोगों को साक्ष्य छुपाने और गर्भपात कराने के मामले में नौ-नौ साल की कठोर सजा सुनाई. जबकि स्कूल के प्रिंसिपल जितेंद्र शर्मा को 3 साल की सजा सुनाई गई.

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बीते साल 2018 में हुई इस गैंगरेप की घटना के बाद राज्य सरकार ने इस स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी. वहीं कोर्ट में इस मामले का ट्रायल चलने के बाद सीबीएसई बोर्ड ने भी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी. मगर इसके उलट शासन ने इस साल इस स्कूल को एक बार फिर सीबीएसई मान्यता के लिए एनओसी दे दी है. शासन द्वारा इस शिक्षण संस्थान को दी गई एनओसी के बाद जहां एक तरफ सरकार की किरकिरी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एनओसी देकर सरकार इस तरह के संस्थानों को क्यों बढ़ावा दे रही है?

Intro:एंकर- अगस्त, 2018 में देहरादून के सेलाकुई स्थित जीआरडी बोर्डिंग स्कूल में छात्रा के साथ गैंग रेप के आरोप पर जहां एक तरफ इसी सोमवार को कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया तो वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा इस शिक्षण संस्थान को सीबीएसई मान्यता के लिए एक बार फिर से एनओसी प्रदान कर दी गई है और जो कि अपने आप में एक बड़ा विरोधाभास फैसला है।


Body:वीओ- अगस्त 2018 में थाना सहसपुर के अंतर्गत आने वाले भाऊवाला में स्थित जीआरडी बोर्डिंग स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली 16 साल की नाबालिग छात्रा के साथ स्कूल के ही 4 सीनियर छात्रों द्वारा गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था तो वहीं मामला सामने आने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा मामले को दबाने का प्रयास किया गया। यही नही स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ित बच्ची का गर्भपात कराने के साथ ही पुलिस और परिजनों से इस मामले को रफा-दफा कराने के लिए दबाव बनाने की भी बात सामने आई थी।

इस पूरे मामले पर देहरादून पॉक्सो कोर्ट ने आरोपित गैंगरेप छात्रों के खिलाफ पर्याप्त सबूत और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ साक्ष्यों को छुपाने और बच्ची का गर्भपात कराने के मामले में सभी तकनीकी तथ्यों के आधार पर दोषी मानते हुए इसी सोमवार 3 फरवरी को बड़ी सजा सुनाई। पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले में आरोपी सरबजीत नाम के छात्र को दोषी करार देते हुए 20 साल जेल और 5 हजार का जुर्माना, स्कूल डायरेक्टर लता गुप्ता, प्रबंधक दीपक और उसकी पत्नी सहित तीन लोगों को साक्ष छुपाने और गर्भपात कराने के चलते नो-नो साल की कठोर सजा तो वहीं स्कूल के प्रिंसिपल जितेंद्र शर्मा को 3 साल की सजा सुनाई। इतना ही नहीं कोर्ट ने पीड़ित नाबालिग बच्ची के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लिए स्कूल प्रबंधन पर 10 लाख का जुर्माना भी अदा करने का भी फैसला सुनाया है।


बीते साल 2018 में भाऊवाला स्थित जीआरडी बोर्डिंग स्कूल में गैंगरेप की इस बड़ी घटना और स्कूल प्रबंधन की मिली भगत मीडिया और कानून के शिंकजे में आने के बाद राज्य सरकार ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी तो वहीं कोर्ट में इस मामले की बड़े पैमाने पर ट्रायल चलने के बाद सीबीएसई बोर्ड ने भी स्कूल प्रबंधन की मान्यता रद्द कर दी। लेकिन बीते सोमवार को जहां कोर्ट ने इस मामले पर सभी आरोपियों को दोषी करार दिया तो इसके उलट शासन द्वारा इस स्कूल को एक बार फिर सीबीएसई की मान्यता के लिए एनओसी दे दी है।
शासन द्वारा इस शिक्षण संस्थान को दी गई एनओसी के बाद जहां एक तरफ सरकार की किरकिरी हो रही है वहीं दूसरी तरफ यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एनओसी देकर सरकार इस तरह के संस्थानों को क्यों बढ़ावा दे रही है।


Conclusion:
Last Updated : Feb 6, 2020, 10:31 PM IST
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