देहरादून: प्रदेश में ऊर्जा निगम के वित्तीय हालात धीरे-धीरे बिगड़ रहे हैं. आलम ये है कि घाटा करोड़ों रुपये से बढ़कर अरबों में पहुंचा चुका है. वित्तीय वर्ष 2018 तक जहां ऊर्जा निगम 230 करोड़ के घाटे में चल रहा था. वहीं,साल 2019 तक यह घाटा बढ़कर 695 करोड़ पहुंच गया है.
बता दें कि मौजूदा वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद भी बैंकों का 800 करोड़ का ओवरड्राफ्ट यूपीसीएल कर चुका है. जबकि करीब 1300 करोड़ का लंबित भुगतान भी ऊर्जा निगम अब तक नहीं कर पाया है. उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड का कुल राजस्व वित्तीय वर्ष 2019 में 63 अरब के करीब है, जबकि इसके सापेक्ष करीब 58 अरब की बिजली खरीदी जाती है. साथ ही कर्मियों का 5 अरब और रिपेयर-मेंटेनेंस को मिलकर कुल 70 अरब का खर्चा है.
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वित्तीय वर्ष 2018 में यूपीसीएल का खर्चा करीब 61 अरब था, जबकि राजस्व लगभग 59 अरब था. वहीं, घाटे को लेकर यूपीसीएल का कहना है कि वे महंगी बिजली खरीद रहे हैं. बावजूद बिजली दरों में वृद्धि नहीं हो रही, जिसके चलते उन्हें घाटा हो रहा है. ऐसे में संभावना है कि आने वाले समय में विद्युत नियामक आयोग के सामने यूपीसीएल बिजली की कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव रख सकता है.