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उत्तराखंड को आपदा राहत के लिए मिले ₹ 187.18 करोड़, गृह मंत्रालय ने दी अतिरिक्त राशि

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने छह राज्यों को 3,063.21 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता देने को मंजूरी दी है. इसमें उत्तराखंड को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी शामिल है.

Additional Central Assistance to Uttarakhand
उत्तराखंड को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता
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Published : Dec 31, 2021, 7:04 AM IST

देहरादून: असम, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को वर्ष 2021 के दौरान आई बाढ़/भूस्खलन/चक्रवाती तूफान के लिए धनराशि मिलेगी. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई थी. 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई प्राकृतिक आपदा में उत्तराखंड को बहुत नुकसान हुआ था.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने वर्ष 2021 के दौरान आई बाढ़, भूस्खलन और चक्रवाती तूफान से प्रभावित छह राज्यों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता देने को मंजूरी दी है. गृह मंत्रालय के अनुसार यह इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे छह राज्यों के लोगों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.

ये भी पढ़ें: YEAR ENDER: आपदा में मौत के हिसाब से खराब रहा साल-2021, गहरे जख्म भी दे गई अतिवृष्टि

एचएलसी ने एनडीआरएफ से 3,063.21 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी.

चक्रवाती तूफान ‘तौकते’- 2021 के लिए गुजरात को 1,133.35 करोड़ रुपये.

चक्रवाती तूफान ‘यास’- 2021 के लिए पश्चिम बंगाल को 586.59 करोड़ रुपये.

दक्षिण पश्चिम मानसून, 2021 के दौरान बाढ़/भूस्खलन के लिए असम को 51.53 करोड़ रुपये.

कर्नाटक को 504.06 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 600.50 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को 187.18 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

यह अतिरिक्त सहायता केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) में जारी की गई राशि के अतिरिक्त है, जो पहले से ही राज्यों के पास उपलब्ध है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 28 राज्यों को उनके एसडीआरएफ में 17,747.20 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इसके अलावा एनडीआरएफ से 7 राज्यों को 3,543.54 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

चक्रवाती तूफान ‘तौकते’ और ‘यास’ के बाद एनडीआरएफ से गुजरात को 20.05.2021 को 1,000 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 29.05.2021 को 300 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी किए गए थे.

ये भी पढ़ें: तीन महीने पहले आपदा में ध्वस्त हो गया था मार्ग, नेपाल से सटे बलतड़ी गांव में अब अनाज का संकट

वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं के तुरंत बाद ही प्रभावित राज्य सरकारों से ज्ञापन प्राप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना ही 22 अंतर-मंत्रालय केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) को वहां भेज दिया था.

2021 में 384 से अधिक मौतें: उत्तराखंड पिछले कुछ समय से प्राकृतिक आपदाओं के प्रदेश के तौर पर उभरकर आया है. स्टेट ऑपरेशन इमरजेंसी सेंटर यानी SEOC के आंकड़ों के मुताबिक इस साल उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं में 384 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इन आपदाओं में बाढ़, बादल फटने, हिमस्खलन, भूस्खलन और अतिवृष्टि से बने हालात शामिल हैं. प्राकृतिक आपदाओं के हिसाब से देखें तो यह रिकॉर्ड 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के बाद सबसे ज्यादा और भयावह रहा है.

7 फरवरी को रैणी में आई थी आपदा: 7 फरवरी 2021 को चमोली के रैणी गांव में आपदा आई थी. हिमालय के ऊपरी हिस्से में आई अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) ने आधिकारिक तौर पर 122 लोगों की जान लेते हुए गंगा नदी पर बने दो जलविद्युत संयंत्रों को भी नष्ट कर दिया था.

तीन दिन की अतिवृष्टि से मची तबाही: फरवरी में आई रैणी आपदा के बाद कुछ महीने के लिए भले ही मौसम साफ रहा लेकिन, अक्टूबर में 3 दिन की भारी बारिश से उत्तराखंड में भारी तबाही और जनहानि हुई. राज्य सरकार के मुताबिक इस घटना में 72 लोगों की मौत हुई थी और प्रदेश को करीब छह हजार करोड़ का नुकसान हुआ था.

बीआरओ कैंप एवलॉन्च की चपेट में: चमोली जिले में जोशीमठ के पास 23 अप्रैल की रात भारत चीन सीमा पर नीती घाटी के सुमना में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी. जोशीमठ सेक्टर के सुमना क्षेत्र में भारी बर्फबारी के चलते एक बीआरओ (BRO) कैंप एवलॉन्च की चपेट में आ गया. जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 291 लोगों को रेस्क्यू किया गया था.

देहरादून: असम, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को वर्ष 2021 के दौरान आई बाढ़/भूस्खलन/चक्रवाती तूफान के लिए धनराशि मिलेगी. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई थी. 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई प्राकृतिक आपदा में उत्तराखंड को बहुत नुकसान हुआ था.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने वर्ष 2021 के दौरान आई बाढ़, भूस्खलन और चक्रवाती तूफान से प्रभावित छह राज्यों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता देने को मंजूरी दी है. गृह मंत्रालय के अनुसार यह इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे छह राज्यों के लोगों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.

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एचएलसी ने एनडीआरएफ से 3,063.21 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी.

चक्रवाती तूफान ‘तौकते’- 2021 के लिए गुजरात को 1,133.35 करोड़ रुपये.

चक्रवाती तूफान ‘यास’- 2021 के लिए पश्चिम बंगाल को 586.59 करोड़ रुपये.

दक्षिण पश्चिम मानसून, 2021 के दौरान बाढ़/भूस्खलन के लिए असम को 51.53 करोड़ रुपये.

कर्नाटक को 504.06 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 600.50 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को 187.18 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

यह अतिरिक्त सहायता केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) में जारी की गई राशि के अतिरिक्त है, जो पहले से ही राज्यों के पास उपलब्ध है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 28 राज्यों को उनके एसडीआरएफ में 17,747.20 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इसके अलावा एनडीआरएफ से 7 राज्यों को 3,543.54 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

चक्रवाती तूफान ‘तौकते’ और ‘यास’ के बाद एनडीआरएफ से गुजरात को 20.05.2021 को 1,000 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 29.05.2021 को 300 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी किए गए थे.

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वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं के तुरंत बाद ही प्रभावित राज्य सरकारों से ज्ञापन प्राप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना ही 22 अंतर-मंत्रालय केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) को वहां भेज दिया था.

2021 में 384 से अधिक मौतें: उत्तराखंड पिछले कुछ समय से प्राकृतिक आपदाओं के प्रदेश के तौर पर उभरकर आया है. स्टेट ऑपरेशन इमरजेंसी सेंटर यानी SEOC के आंकड़ों के मुताबिक इस साल उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं में 384 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इन आपदाओं में बाढ़, बादल फटने, हिमस्खलन, भूस्खलन और अतिवृष्टि से बने हालात शामिल हैं. प्राकृतिक आपदाओं के हिसाब से देखें तो यह रिकॉर्ड 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के बाद सबसे ज्यादा और भयावह रहा है.

7 फरवरी को रैणी में आई थी आपदा: 7 फरवरी 2021 को चमोली के रैणी गांव में आपदा आई थी. हिमालय के ऊपरी हिस्से में आई अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) ने आधिकारिक तौर पर 122 लोगों की जान लेते हुए गंगा नदी पर बने दो जलविद्युत संयंत्रों को भी नष्ट कर दिया था.

तीन दिन की अतिवृष्टि से मची तबाही: फरवरी में आई रैणी आपदा के बाद कुछ महीने के लिए भले ही मौसम साफ रहा लेकिन, अक्टूबर में 3 दिन की भारी बारिश से उत्तराखंड में भारी तबाही और जनहानि हुई. राज्य सरकार के मुताबिक इस घटना में 72 लोगों की मौत हुई थी और प्रदेश को करीब छह हजार करोड़ का नुकसान हुआ था.

बीआरओ कैंप एवलॉन्च की चपेट में: चमोली जिले में जोशीमठ के पास 23 अप्रैल की रात भारत चीन सीमा पर नीती घाटी के सुमना में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी. जोशीमठ सेक्टर के सुमना क्षेत्र में भारी बर्फबारी के चलते एक बीआरओ (BRO) कैंप एवलॉन्च की चपेट में आ गया. जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 291 लोगों को रेस्क्यू किया गया था.

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