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पंचायत चुनाव: राज्य आंदोलनकारी ने मतदाता सूची में लगाया गड़बड़ी का आरोप

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Published : Sep 29, 2019, 7:01 PM IST

देहारदून में राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतदाता सूची को लेकर कई सवाल खड़े किए. साथ ही मतदाता सूची में गड़बड़ी होने की बात कही.

राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान.

देहरादून: उत्तराखंड आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने रविवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में गड़बड़ी होने की बात कही. साथ ही कहा कि वोटर लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम भी आए हैं जो सालों पहले ही गांव छोड़ कर चले गए हैं. इसी के विरोध में रविंद्र जुगरान ने चुनाव आयोग से संशोधन की मांग कर राज्य में लोकसभा, विधानसभा, निकाय और पंचायत चुनाव की एक ही मतदाता सूची होने की बात कही.

राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान.

आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर 2019 को राज्य निर्वाचन आयोग को कई बिंदुओं पर दिशा निर्देश दिए थे. जिसमें लोकसभा, विधानसभा, पंचायत चुनाव व निकाय की एक ही मतदाता सूची होने और मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक किया जाने के निर्देश दिए थे. साथ ही जिसके पास मतदाता पहचान पत्र हो उसका अनिवार्य रूप से मतदान का अधिकार सुनिश्चित किया जाए. लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार ने इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें: पौड़ी में तीव्र मोड़ से हटाए जाएंगे होर्डिंग-बैनर, जानिए क्या है वजह ?

रविंद्र जुगरान ने आरोप लगाते हुए कहा कि न ही स्थाई निवास का सत्यापन हुआ और न ही उत्तराखंड में रहने का सत्यापन हुआ, घर में ही बैठकर मतदाता सूची तैयार करने का काम किया जा रहा है. इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग को दो बार पत्र लिख चुके हैं कि दूसरे राज्यों की तरह इस राज्य में भी एक मतदाता सूची तैयार की जाए. रविंद्र ने कहा कि अगर गांवों में अगर 80 प्रतिशत तक मतदान हो रहे है, तो फिर पलायन कहां हो रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने रविवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में गड़बड़ी होने की बात कही. साथ ही कहा कि वोटर लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम भी आए हैं जो सालों पहले ही गांव छोड़ कर चले गए हैं. इसी के विरोध में रविंद्र जुगरान ने चुनाव आयोग से संशोधन की मांग कर राज्य में लोकसभा, विधानसभा, निकाय और पंचायत चुनाव की एक ही मतदाता सूची होने की बात कही.

राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान.

आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर 2019 को राज्य निर्वाचन आयोग को कई बिंदुओं पर दिशा निर्देश दिए थे. जिसमें लोकसभा, विधानसभा, पंचायत चुनाव व निकाय की एक ही मतदाता सूची होने और मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक किया जाने के निर्देश दिए थे. साथ ही जिसके पास मतदाता पहचान पत्र हो उसका अनिवार्य रूप से मतदान का अधिकार सुनिश्चित किया जाए. लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार ने इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की.

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रविंद्र जुगरान ने आरोप लगाते हुए कहा कि न ही स्थाई निवास का सत्यापन हुआ और न ही उत्तराखंड में रहने का सत्यापन हुआ, घर में ही बैठकर मतदाता सूची तैयार करने का काम किया जा रहा है. इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग को दो बार पत्र लिख चुके हैं कि दूसरे राज्यों की तरह इस राज्य में भी एक मतदाता सूची तैयार की जाए. रविंद्र ने कहा कि अगर गांवों में अगर 80 प्रतिशत तक मतदान हो रहे है, तो फिर पलायन कहां हो रहा है.

Intro:भाजपा नेता व उत्तराखंड आंदोलनकारी रविंद्र योगदान ने आज प्रेस वार्ता आयोजन कर आरोप लगाया कि राज्य में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में गड़बड़ होने की बात कही,साथ ही वोटर लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम भी आए हैं जो सालों से पहले ही गांव छोड़ कर चले गए हैं और अब बड़े नगरों में रह रहे हैं ऐसे लोगों का भी वोटर लिस्ट में नाम है।जिसके विरोध में आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने चुनाव आयोग से संशोधन की मांग की है कि राज्य में लोकसभा,विधानसभा, निकाय और पंचायत चुनाव की एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए जिससे इस गड़बड़ी से बचा जा सके और मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कराया जाए।साथ ही आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग,शासन प्रशासन इस प्रक्रिया में चुनाव से संबंधित सिस्टम से जुड़े सभी पक्ष,राजनीतिक दल व चुनाव में उम्मीदवार सभी प्रत्याशी गारंटी ले सकते है कि त्रिस्तरीय चुनाव में पूर्ण पारदर्शिता के अनुसार चुनाव हो रहे हैं या नही।


Body:आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने बताया कि उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर 2019 को अपने फैसले में राज्य निर्वाचन आयोग को कई बिंदुओं पर दिशा निर्देश देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को आवश्यक कार्यवाही करने को कहा गया था।जिसमें लोकसभा, विधानसभा,त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव व निकाय की एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए और मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक किया जाना चाहिए साथ ही जिसके पास भी मतदाता पहचान पत्र हो उस को अनिवार्य रूप से मतदान का अधिकार सुनिश्चित किया जाए।इन बिंदुओं को लागू करने से कोई भी मतदाता वोट के अधिकार से वंचित नहीं होगा सब को मतदान का अधिकार मिलेगा।फर्जी मतदाता जो अन्य प्रदेशों में भी मतदाता के रूप में पंजीकृत है उन्हें पंचायत चुनाव में फर्जी मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो पाएंगे।लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग वह राज्य सरकार सभी मौन बने हुए हैं।


Conclusion:आन्दोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने आरोप लगाया कि बिना सत्यापन के लाखों लोग पर्वतीय और ग्रामीण को मतदाता बना रहे हैं,ना ही स्थाई निवास का सत्यापन हुआ और उत्तराखंड में रहने का सत्यापन हुआ घर में ही बैठकर मतदाता सूची तैयार करने का काम किया जा रहा है।हमने निर्वाचन आयोग को दो बार पत्र लिख चुके हैं कि दूसरे राज्यों की व्यवस्था की तरह इस राज्य में भी एक मतदाता सूची तैयार की जाए।पिछले 15 सालों में प्रवासी जहां रह रहा है वहां भी वोट देता है और यहां आकर भी अपने वोट का इस्तेमाल कर रहा है जो कि अवैधानिक है। और सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि तेरी अस्त्रीय चुनाव के बाद 80 प्रतिशत हुआ तो फिर पलायन कहां हो रहा है,अगर गांव में आबादी के अनुसार चुनाव हो गए तो आखिरी निकल कर आएंगे कि पलायन तो हुआ ही नहीं है।

बाइट-रविन्द्र जुगरान(आंदोलकारी)
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