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देश में क्यों गहरा रहा है जल संकट, जानें मुख्य कारण...

पिछले कुछ दशकों से लगातार गाड़-गधेरे सूखते जा रहे हैं. जिसके चलते कई छोटी नदियां सूख गई हैं. साथ ही कई छोटी नदियां सूखने की  कगार पर हैं. ऐसे में उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. वैज्ञानिकों ने भी आने वाले समय में जल संकट का संकेत दिया है.

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Published : Jul 5, 2019, 4:23 PM IST

आखिर क्यों बन गई है देश में जल संकट की स्थिति.

देहरादून : एक वक्त था जब पूरे उत्तर भारत को उत्तराखंड की नदियां पानी देती थी और इन नदियों में जल के मुख्य सहायक श्रोत पहाड़ों के गाड़-गधेरे होते थे. लेकिन पिछले कुछ दशकों से लगातार गाड़-गधेरे सूखते जा रहे हैं. जिसके चलते कई छोटी नदियां सूख गई हैं. साथ ही कई छोटी नदियां सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. जिसके चलते वैज्ञानिकों ने भी इसे एक गंभीर समस्या करार दे दिया है. साथ ही आने वाले समय में जल संकट का संकेत दिया है. आखिर जल संकट की मुख्य वजह क्या है? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......

उत्तराखंड में तेजी से सूख रहे जलस्रोत.

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रहा है. इसका असर अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी दिखाई दे रहा है. खासतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में जहां गलेशियर लगातार पिघल रहे हैं. वहीं प्राकृतिक स्रोत भी खत्म हो रहे हैं. उत्तराखंड में बीतें कुछ दशकों में हजारों प्राकृतिक जलस्रोत खत्म हो चुके हैं. आलम यह है की आज प्रदेश में पानी कि बड़ी किल्लत सामने आ रही है. खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के हालत और भी गंभीर हैं.
आखिर क्या है जल संकट के मुख्य कारण डालिए एक नजर...

शहरीकरण एक गंभीर समस्या

वाडिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार शहरों को डिवेलप करने के लिए हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं. जिससे छोटे-छोटे नदी नाले समाप्त हो जाते हैं. जिस तेजी से शहरीकरण हो रहा है, उतनी ही तेजी से पानी के स्रोत कम होते जा रहे हैं. शहरीकरण होने के चलते स्प्रिंग्स रिचार्ज नहीं हो रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में आम लोगों को जल मिलना बंद हो जाएगा.

ज्यादा मात्रा में भू-जल का इस्तेमाल

देश के पहाड़ी क्षेत्रों के बाद लगभग सभी राज्य भू-जल पर निर्भर हैं. धड़ल्ले से भू-जल का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में आने वाले समय में भू-जल लगभग समाप्त हो जाएगा. जानकारी के अनुसार जो भू-जल हम आज इस्तेमाल कर रहे हैं. वह 1 हजार साल पहले से धरती ने संजो कर रखी है. ऐसे में यदि भू-जल का इस्तेमाल कम नहीं किया गया तो, आने वाले कुछ ही सालों में इसका नतीजा मानव जाति को भुगतना पड़ेगा.

नदियों पर डैम बना दिए जाना

देश के सभी राज्यों में लगभग बिजली उत्पाद करने के लिए डैम बना दिए गए हैं. जिसके चलते नदियों में पानी का प्रवाह बेहद कम हो गया है. वहीं, कुछ छोटी नदियां पूरी तरह समाप्त हो गई हैं. जब नदियां ही नहीं रहेंगी तो स्प्रिंग्स रिचार्ज कैसे होगा. यह एक बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है. यदि इस पर जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में जो थोड़ा बहुत स्प्रिंग्स रिचार्ज हो रहा है वह भी ना के बराबर हो जाएगा. ऐसे में आने वाले समय मे भू-जल भी समाप्त हो जाएगा.

बारिश के चक्र में बदलाव

जलवायु परिवर्तन होने की वजह से बारिश चक्र में खासा परिवर्तन हुआ है. पहले मानसून सीजन में रूक-रूककर लगातार बारिश होती थी. जिससे स्प्रिंग्स रिचार्ज होते रहते थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते अब एक साथ भारी मात्रा में बारिश होती है और सारा पानी बह जाता है. जिस वजह से स्प्रिंग्स रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं.

ये भी पढ़े: 7 से 16 जुलाई तक मनाया जाएगा हरेला महोत्सव, इस बार ये चीजें रहेंगी खास

वर्षा के जल को संरक्षित ना करना

जिस तरह से लगातार जल के स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में एक मात्र विकल्प वर्षा के जल को संरक्षित करना ही है. वर्षा के जल से ही हिमालयी क्षेत्रों में गाड़-गधेरे तैयार होते हैं. जिनसे छोटी-छोटी नदियां तैयार होती हैं. ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही लोगों को भी जागरूक होने कि जरुरत है. ताकि ज्यादा से ज्यादा वर्षा का जल संरक्षित किया जा सके.

देहरादून : एक वक्त था जब पूरे उत्तर भारत को उत्तराखंड की नदियां पानी देती थी और इन नदियों में जल के मुख्य सहायक श्रोत पहाड़ों के गाड़-गधेरे होते थे. लेकिन पिछले कुछ दशकों से लगातार गाड़-गधेरे सूखते जा रहे हैं. जिसके चलते कई छोटी नदियां सूख गई हैं. साथ ही कई छोटी नदियां सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. जिसके चलते वैज्ञानिकों ने भी इसे एक गंभीर समस्या करार दे दिया है. साथ ही आने वाले समय में जल संकट का संकेत दिया है. आखिर जल संकट की मुख्य वजह क्या है? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......

उत्तराखंड में तेजी से सूख रहे जलस्रोत.

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रहा है. इसका असर अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी दिखाई दे रहा है. खासतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में जहां गलेशियर लगातार पिघल रहे हैं. वहीं प्राकृतिक स्रोत भी खत्म हो रहे हैं. उत्तराखंड में बीतें कुछ दशकों में हजारों प्राकृतिक जलस्रोत खत्म हो चुके हैं. आलम यह है की आज प्रदेश में पानी कि बड़ी किल्लत सामने आ रही है. खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के हालत और भी गंभीर हैं.
आखिर क्या है जल संकट के मुख्य कारण डालिए एक नजर...

शहरीकरण एक गंभीर समस्या

वाडिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार शहरों को डिवेलप करने के लिए हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं. जिससे छोटे-छोटे नदी नाले समाप्त हो जाते हैं. जिस तेजी से शहरीकरण हो रहा है, उतनी ही तेजी से पानी के स्रोत कम होते जा रहे हैं. शहरीकरण होने के चलते स्प्रिंग्स रिचार्ज नहीं हो रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में आम लोगों को जल मिलना बंद हो जाएगा.

ज्यादा मात्रा में भू-जल का इस्तेमाल

देश के पहाड़ी क्षेत्रों के बाद लगभग सभी राज्य भू-जल पर निर्भर हैं. धड़ल्ले से भू-जल का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में आने वाले समय में भू-जल लगभग समाप्त हो जाएगा. जानकारी के अनुसार जो भू-जल हम आज इस्तेमाल कर रहे हैं. वह 1 हजार साल पहले से धरती ने संजो कर रखी है. ऐसे में यदि भू-जल का इस्तेमाल कम नहीं किया गया तो, आने वाले कुछ ही सालों में इसका नतीजा मानव जाति को भुगतना पड़ेगा.

नदियों पर डैम बना दिए जाना

देश के सभी राज्यों में लगभग बिजली उत्पाद करने के लिए डैम बना दिए गए हैं. जिसके चलते नदियों में पानी का प्रवाह बेहद कम हो गया है. वहीं, कुछ छोटी नदियां पूरी तरह समाप्त हो गई हैं. जब नदियां ही नहीं रहेंगी तो स्प्रिंग्स रिचार्ज कैसे होगा. यह एक बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है. यदि इस पर जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में जो थोड़ा बहुत स्प्रिंग्स रिचार्ज हो रहा है वह भी ना के बराबर हो जाएगा. ऐसे में आने वाले समय मे भू-जल भी समाप्त हो जाएगा.

बारिश के चक्र में बदलाव

जलवायु परिवर्तन होने की वजह से बारिश चक्र में खासा परिवर्तन हुआ है. पहले मानसून सीजन में रूक-रूककर लगातार बारिश होती थी. जिससे स्प्रिंग्स रिचार्ज होते रहते थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते अब एक साथ भारी मात्रा में बारिश होती है और सारा पानी बह जाता है. जिस वजह से स्प्रिंग्स रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं.

ये भी पढ़े: 7 से 16 जुलाई तक मनाया जाएगा हरेला महोत्सव, इस बार ये चीजें रहेंगी खास

वर्षा के जल को संरक्षित ना करना

जिस तरह से लगातार जल के स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में एक मात्र विकल्प वर्षा के जल को संरक्षित करना ही है. वर्षा के जल से ही हिमालयी क्षेत्रों में गाड़-गधेरे तैयार होते हैं. जिनसे छोटी-छोटी नदियां तैयार होती हैं. ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही लोगों को भी जागरूक होने कि जरुरत है. ताकि ज्यादा से ज्यादा वर्षा का जल संरक्षित किया जा सके.

Intro:एक वक्त था जब पूरे उत्तर भारत को उत्तराखंड की नदियां पानी देती थी और इन नदियोंं के मुख्य श्रोत पहाड़ो के गाद-गदरे होते थे। लेकिन पिछले कुछ दशकों से लगातार गाद-गदरे सूखते जा रहे हैं जिस वजह से कई छोटी नदियां खत्म हो गई हैं तो कई छोटी नदिया खत्म होने की कगार पर हैं। और अब हालत यह हैं कि उत्तराखंड के कई क्षेत्रो में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। तो वही वैज्ञानिकों ने भी इसे एक गम्भीर समस्या करार दिया है। साथ ही आने वाले समय मे जल संकट का संकेत दे दिया है। आखिर जल संकट के क्या मुख्य वजह है देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......


Body:दुनियां भर में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रहा है और इसका असर अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी दिखाई दे रहा है, और खासतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में जहां गलेशियर लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं साथ ही प्राकृतिक श्रोत भी खत्म हो रहे है। तो वहीं उत्तराखंड में बीते कुछ दशकों में हजारों प्राकृतिक जल श्रोत खत्म हो चुके हैं। आलम यह है की आज प्रदेश में पानी कि बड़ी किल्लत सामने आ रही है। और खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में तो हालत और भी गंभीर हैं।


शहरीकरण एक गंभीर समस्या.......

वाडिया के वैज्ञानिकों की माने तो उनके अनुसार लगातार शहरों को डिवेलप करने के लिए हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं इसके साथ ही जितने नदी नाले हैं उन नदी नालों को समाप्त कर दिया जाता है और जितनी तेजी से शहरीकरण हो रहा है उतनी ही तेजी से पानी के स्रोत कम होते जा रहे हैं। साथ ही शहरीकरण होने के चलते स्प्रिंग्स रिचार्ज नही हो पर रहे है, ऐसे में आने वाले समय में आम लोगों को जल मिलना बंद हो जाएगा। 


ज्यादा मात्रा में भू-जल का इस्तेमाल.....

देश के पहाड़ी क्षेत्रो को छोड़ लगभग सभी राज्य भू-जल पर निर्भर है। बावजूद इसके लोग धड़ल्ले से भू-जल का इस्तेमाल कर रहे हैं यही नहीं पानी की कीमत ना समझते हुए पानी को ब्यर्थ में बहाते जा रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में भू-जल लगभग समाप्त हो जाएगा, क्योंकि जो आज इंसान पानी पी रहा है वह 1 हज़ार साल पहले का पानी पी रहे हैं, ऐसे में अगर अभी से भू-जल का इस्तेमाल कम नहीं किया गया तो, आने वाले कुछ ही सालों में इसका नतीजा लोगों को भुगतना पड़ेगा।


नदियो को पुनर्जीवित करना जरूरी.......

सभी राज्य में लगभग बिजली उत्पाद करने के लिए डैम बना दिए गए हैं जिस वजह से नदियों में पानी का प्रवाह बेहद कम हो गया है तो वहीं कुछ छोटी नदियां पूरी तरह समाप्त हो गई है। और जब नदिया ही नहीं रहेंगी तो स्प्रिंग्स रिचार्ज कैसे हो पाएगा। और यह एक बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है और अगर इस पर जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में जो थोड़ा बहुत स्प्रिंग्स रिचार्ज हो रहा है वह भी ना के बराबर हो जाएगा। ऐसे में आने वाले समय मे भू-जल भी समाप्त हो जाएगा। 


बारिश के चक्र में बदलाव.......

जलवायु परिवर्तन होने की वजह से बारिश के चक्र में भी अच्छा खासा परिवर्तन हुआ है आलम यह है पहले मानसून सीजन में रुक रुक कर लगातार बारिश होती थी जिससे स्प्रिंग्स रिचार्ज होते रहते थे लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से अब बारिश पहले से ज्यादा होती है लेकिन एक साथ भारी मात्रा में बारिश होती है और सारा का सारा पानी बह जाता है। जिस वजह से स्प्रिंग्स रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं।


वर्षा के जल को संरक्षित करने की जरूरत.....

जिस तरह से लगातार जल के स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं ऐसे में अब मात्र एक ही विकल्प बचा है कि वर्षा के जल को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित किया जाए। क्योंकि वर्षा के जल की वजह से ही हिमालयी क्षेत्रों में गाद-गदेरे तैयार होते हैं और इन्हीं गाद-गदेरे से छोटी-छोटी नदियां तैयार होती है, लेकिन अब सरकार को कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा वर्षा के जल को संरक्षित किया जा सके और जितना ज्यादा वर्षा का जल संरक्षित होगा, उतना ही स्प्रिंग्स रिचार्ज होंगे।


बाइट - डॉ समीर तिवारी, वैज्ञानिक
बाइट - अनिल जोशी, पर्यावरण विद


Conclusion:
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