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उत्तराखंड: गेहूं की बुवाई को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने कही ये बात - मौसम की खबर

प्रदेश में दो दिन पहले हुई झमाझम बारिश एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. तो वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक ऐसे किसानों के लिए इसे नुकसानदायक बता रहे हैं जिन्होंने अभीतक गेहूं की बुवाई नहीं की है. उनका कहना है कि ऐसे में किसानों को प्रतिदनि 50 किलो प्रति हेक्टेयर का नुकसान हो सकता है.

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बारिश को लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने कही ये बात
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Published : Nov 30, 2019, 11:52 PM IST

देहरादून: प्रदेश में दो दिन पहले हुई बारिश के कारण जहां पहाड़ों से लेकर तराई तक ठंड को महसूस किया जा सकता है. वहीं, शनिवार सुबह हुई निकली धूप ने मौसम को खुशनुमा कर दिया. ऐसे में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस बारिश को किसानों के लिए नुकसानदायक बताया है. उनका कहना है कि जिन किसानों ने अबतक गेहूं की बुवाई नहीं की है, उसका असर गेंहू के उत्पादन में दिखाई दे सकता है.

बारिश को लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने कही ये बात

बता दें कि दो दिन पहले हुई झमाझम बारिश एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. तो वहीं, कृषि वैज्ञानिक बारिश को उन किसानों के लिए नुकसान बता रहे है जिन्होंने अब तक गेंहू की बुवाई नहीं की है. उनका कहना है कि ऐसे में प्रत्येक दिन किसानों को 50 किलो प्रति हेक्टेयर नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही वैज्ञानिक दिसंबर खत्म होने तक या नए साल में पहाड़ी जिलों के निचले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना भी जता रहे हैं.

पढ़ें- शारदा नहर से सीमांत क्षेत्र में भारी नुकसान, रिसाव की वजह से दलदल बने खेत

विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो अभी मौसम खुशनुमा रहेगा दिन में धूप खिली रहेगी साथ ही रात में ठंड में इजाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि दिसम्बर और नए साल में पहाड़ी जिलों के ऊंचाई और निचले क्षेत्रों में बर्फबारी के आसार बन रहे हैं. जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि नए साल में खूब बर्फबारी होगी.

वहीं, मौसम वैज्ञानिक नैन ने बताया कि 28 नवम्बर को हुई बारिश से किसानों को फायदा भी हुआ है और नुकसान भी. उन्होंने बताया कि अभी उत्तराखंड में आगे कहीं भी बारिश होने की संभावना नहीं लग रही है. इसके कारण जितनी भी हवाएं चल रही है वह उत्तराखण्ड से बाहर की ओर चल रही हैं. जिस कारण आने वाले एक दो सप्ताह तक आसमान में धूप खिली रहेगी. लिहाजा, जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई नहीं की है, उन्हें थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

देहरादून: प्रदेश में दो दिन पहले हुई बारिश के कारण जहां पहाड़ों से लेकर तराई तक ठंड को महसूस किया जा सकता है. वहीं, शनिवार सुबह हुई निकली धूप ने मौसम को खुशनुमा कर दिया. ऐसे में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस बारिश को किसानों के लिए नुकसानदायक बताया है. उनका कहना है कि जिन किसानों ने अबतक गेहूं की बुवाई नहीं की है, उसका असर गेंहू के उत्पादन में दिखाई दे सकता है.

बारिश को लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने कही ये बात

बता दें कि दो दिन पहले हुई झमाझम बारिश एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. तो वहीं, कृषि वैज्ञानिक बारिश को उन किसानों के लिए नुकसान बता रहे है जिन्होंने अब तक गेंहू की बुवाई नहीं की है. उनका कहना है कि ऐसे में प्रत्येक दिन किसानों को 50 किलो प्रति हेक्टेयर नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही वैज्ञानिक दिसंबर खत्म होने तक या नए साल में पहाड़ी जिलों के निचले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना भी जता रहे हैं.

पढ़ें- शारदा नहर से सीमांत क्षेत्र में भारी नुकसान, रिसाव की वजह से दलदल बने खेत

विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो अभी मौसम खुशनुमा रहेगा दिन में धूप खिली रहेगी साथ ही रात में ठंड में इजाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि दिसम्बर और नए साल में पहाड़ी जिलों के ऊंचाई और निचले क्षेत्रों में बर्फबारी के आसार बन रहे हैं. जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि नए साल में खूब बर्फबारी होगी.

वहीं, मौसम वैज्ञानिक नैन ने बताया कि 28 नवम्बर को हुई बारिश से किसानों को फायदा भी हुआ है और नुकसान भी. उन्होंने बताया कि अभी उत्तराखंड में आगे कहीं भी बारिश होने की संभावना नहीं लग रही है. इसके कारण जितनी भी हवाएं चल रही है वह उत्तराखण्ड से बाहर की ओर चल रही हैं. जिस कारण आने वाले एक दो सप्ताह तक आसमान में धूप खिली रहेगी. लिहाजा, जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई नहीं की है, उन्हें थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Intro:Summry - 2 दिन पूर्व हुई बारिश ने जहा रात्रि में पहाड़ों से लेकर तराई तक ठंड को बढ़ा दिया है तो वही दिन में तेज धूप ने मौषम को खुशनुमा बना दिया है। वैज्ञानिक दो दिन पूर्व हुई बारिश को ऐसे किसानों के लिए नुकसान दायक बता रहे है जिन किसानों द्वारा अब तक गेंहू की फसल नही बोई गई है। जिसका खामियाजा गेंहू के उत्पादन में दिखाई देगा।

एंकर - दो दिन पूर्व हुई झमाझम बारिश एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हुई तो वही दिल्ली एनसीआर में रहने वालों को भी धुवे से निजाद मिल चूकि है। वैज्ञानिक बारिश को ऐसे किसानों के लिए नुकसान बता रही है जिन्होंने अब तक गेंहू की बुआई नही की है। अब जितने दिन गेंहू की फसल बौने में लेट लतीफी होती रहेगी उतना ही किसान को नुकसान होता रहेगा। इसके साथ साथ दिसम्बर लास्ट या नए साल में पहाड़ी जिलों के निचले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना भी जाता रहे है।

Body:वीओ - पहाड़ो ओर मैदानी क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद तराई से लेकर पहाड़ो तक धूप खिली हुई है। गुरुवार को हुई बारिश जहा किसानों के लिए फायदेमंद बताई जा रही है तो वही पन्तनगर कृषि विश्विद्यालय के वैज्ञानिक इसे कुछ किसानों को नुकशान दायक बता रहे है। वैज्ञानिकों की माने तो ऐसे किसानों के लिए बारिश फायदेमंद रही है जिनकी गेंहू की फसल उग आई है। लेकिन ऐसे काश्तकारों के लिए बारिश नुकशान दायक है जिन्होंने गेंहू की अभी बुआई अभी तक नही की है। उन्होंने बताया कि बारिश के बाद अभी किसानों को फसल बोन में टाइम लगेगा ऐसे में जितना बोने में टाइम लगेगा उस हिसाब से आगे पैदावार में कमी रहेगी। मौषम वैज्ञानिको की माने तो प्रत्येक दिन किसानों को 50 किलो प्रति हेक्टेयर नुकशान हो सकता है। यही नही बारिश के कारण वायु मण्डल में धूल और धुवे के गुम्बर से भी निजात मिली है। विभाग के वैज्ञानिकों की माने तो अभी मौषम खुशनुमा रहेगा दिन में धूप खिली रहेगी साथ ही रात में ठंड में इज़ाफ़ा होगा। उन्होंने बताया कि दिसम्बर ओर नए साल में पहाड़ी जिलों के उचाई ओर निचले क्षेत्रो में बर्फबारी के आसार बन रहे है। उमीद जताई जा रही है कि नए साल में सैलानी बर्फ का उत्फ़ उठा सकते है।
वही मौषम वैज्ञानिक नैन ने बताया कि 28 नवम्बर को हुई बारिश से किसानों को फायदा भी हुआ है और नुकशान भी। यही नही दिल्ली में फैसले धुवे के गुम्बर से भी निजाद मिली है। उन्होंने बताया कि अभी उत्तराखण्ड में आगे कही भी बारिश होने की संभावना नही लग रही। इसके कारण जितनी भी हवाएं चल रही है वह उत्तराखण्ड से बाहर की ओर चल रही है। जिसकारण आने वाले एक दो सप्ताह तक आसमान में धूप खिली रहेगी। सम्भावना लग रही है कि दिसम्बर अंत या फिर नए साल में पहाड़ी जिलों के उचाई ओर निचले क्षेत्रो में बर्फ बारी देखने को मिल सकती है।

बाइट - डॉ अजित नैन, मौषम वैज्ञानिकConclusion:
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