देहरादून: प्रदेश में आचार संहिता खत्म होने के बाद अल्मोड़ा में त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक होनी है. जिसे लेकर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कैबिनेट के आयोजन को लेकर पक्ष-विपक्ष एक दूसरे के आमने सामने आ गये हैं. सत्ताधारी पार्टी बीजेपी नेता जहां इस बैठक को जायज बता रहे हैं वहीं कांग्रेसी नेता इस कैबिनेट बैठक को पिकनिक बता रहे हैं.
त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक 23 अक्टूबर को अल्मोड़ा में होने जा रही है. इस कैबिनेट मीटिंग से खासी उम्मीद की जा रही है कि सरकार पहाड़ में बैठक कर पहाड़ पर चर्चा करेगी. पहाड़ में होने वाली इस कैबिनेट बैठक में सरकार मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए निर्णय लेगी. ताकि पहाड़ी क्षेत्रों की जनता के विकास के सपने को साकार किया जा सके. हालांकि अल्मोड़ा में होने वाली त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक पर कांग्रेस ने कई सवाल खड़े किये हैं. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अल्मोड़ा में होने जा रही कैबिनेट को पिकनिक तक करार दे दिया है.
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वहीं सियासी पंडितों का भी मानना है कि कैबिनेट बैठक को दूसरे जिलों में आयोजित कर जो फैसले लिए जाते हैं वो देहरादून में बैठकर भी लिये जा सकते हैं. उनका कहना है कि बिना किसी दिखावे के कम लागत में पहाड़ी जिलों में कैबिनेट बैठक आयोजित करवाई जाए. जो कि एक बेहतर आर्थिक प्रबन्धन के साथ जनहित में एक मील का पत्थर साबित हो सकेगा.
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वहीं बीजेपी नेताओं की राय इससे उलट है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि अल्मोड़ा में होने वाली कैबिनट बैठक को पहाड़ के हित में है. कैबिनेट आहूत होने के सम्बंध में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने आदेश जारी कर दिए हैं. गौरतलब है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के शासन काल मे तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण और हरीश रावत ने तीर्थ नगरी हरिद्वार में कैबिनेट बैठक आयोजित की थी.
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मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में भी टिहरी झील में मरीना बोट पर कैबिनेट बैठक हुई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री के गृह जनपद पौड़ी गढ़वाल में भी एक कैबिनेट की बैठक की गई. जिसके बाद अब फिर से अल्मोड़ा में कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है.
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विपक्षी पार्टी त्रिवेंद्र कैबिनेट के अल्मोड़ा में आहूत होने पर कई सवाल खड़े कर रही है. वहीं सत्ताधारी पार्टी के नेता सरकार की पैरोकारी कर रहे हैं लेकिन इन सबके बीच ये देखना दिलचस्प होगा कि अल्मोड़ा में आयोजित होने वाली इस कैबिनेट के बाद ही पहाड़ी क्षेत्रों के विकास को कितना आगे बढ़ाया जाता है. यहां बैठकर आखिर त्रिवेंद्र सरकार ऐसे कौन स फैसले लेती है जो पहाड़ में रुके हुए विकास को रफ्तार देती है.