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Budget 2020: उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों को मिलेगा फायदा, लंबे समय से थी डिमांड

उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में आपदा जैसी स्थिति आम बात है. ऐसे में जब प्रदेश में आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाली सेब और अन्य फसलें स्टोर न होने के चलते खराब हो जाती हैं. स्टोरेज की व्यवस्था होने से इस सब समस्याओं से निपटा जा सकता है.

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Published : Feb 1, 2020, 8:15 PM IST

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उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में कोल्ड स्टोरेज की जरूरत

देहरादून: बजट 2020 में केंद्र सरकार ने ग्राम भंडारण योजना पर जोर दिया है, ताकि उत्पादों पर लॉजिस्टिक की लागत कम हो सके. इसके साथ ही जल्द खराब होने वाले उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान ट्रेन का प्रस्ताव भी बजट में किया गया है. जिसमें स्टोरेज की व्यवस्था की भी बात कही गई है. अगर कोल्ड स्टोरेज के लिहाज से उत्तराखंड को देखा जाए तो उसके लिए ये काफी अहम है और इसकी यहां जरूरत भी है.

उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है. ऐसे में जब प्रदेश में आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाली सेब और अन्य फसलें स्टोर न होने के चलते खराब हो जाती हैं. हालांकि प्रदेश में कुछ जगह स्टोरेज तो बने हैं, लेकिन वे सभी स्टोरेज मैदानी क्षेत्रों में हैं, जिसके कारण पहाड़ी इलाकों में फसलों का स्टोर नहीं हो पाता है.

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में कोल्ड स्टोरेज की जरूरत

पढ़ें-रोडवेज की बसों में सवारी खतरा-ए-जान, कहीं भी हो जाती हैं खड़ी

भागीरथ शर्मा ने बताते हैं कि सरकार अभी तक कोई ऐसी योजना नहीं बना पाई है जिससे पर्वतीय जनपदों में जिला और तहसील लेवल पर ही कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हो पाये. जहां पर कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखा जा सके. इसे साथ ही वहां पर प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया जा सके, जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके.

पढ़ें-ऋषिकेशः चाइनीज मांझे में फंसा बाज, वनकर्मियों ने रेस्क्यू कर बचाई जान

उन्होंने बताया उत्तराखंड के प्रति इन्वेस्टर जागरुक हो रहा है, परंतु पर्वतीय क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज बनाने को लेकर उनका रुझान देखने को नहीं मिल रहा है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा केंद्रीय बजट में जो स्टोरेज योजना लाई गई है उस योजना का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा. यहां की सरकार इसका लाभ उठाते हुए पर्वतीय क्षेत्रों स्टोरेज स्थापित कर सकती है. इससे सरकार और किसान दोनों को ही लाभ होगा.

देहरादून: बजट 2020 में केंद्र सरकार ने ग्राम भंडारण योजना पर जोर दिया है, ताकि उत्पादों पर लॉजिस्टिक की लागत कम हो सके. इसके साथ ही जल्द खराब होने वाले उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान ट्रेन का प्रस्ताव भी बजट में किया गया है. जिसमें स्टोरेज की व्यवस्था की भी बात कही गई है. अगर कोल्ड स्टोरेज के लिहाज से उत्तराखंड को देखा जाए तो उसके लिए ये काफी अहम है और इसकी यहां जरूरत भी है.

उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है. ऐसे में जब प्रदेश में आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाली सेब और अन्य फसलें स्टोर न होने के चलते खराब हो जाती हैं. हालांकि प्रदेश में कुछ जगह स्टोरेज तो बने हैं, लेकिन वे सभी स्टोरेज मैदानी क्षेत्रों में हैं, जिसके कारण पहाड़ी इलाकों में फसलों का स्टोर नहीं हो पाता है.

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में कोल्ड स्टोरेज की जरूरत

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भागीरथ शर्मा ने बताते हैं कि सरकार अभी तक कोई ऐसी योजना नहीं बना पाई है जिससे पर्वतीय जनपदों में जिला और तहसील लेवल पर ही कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हो पाये. जहां पर कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखा जा सके. इसे साथ ही वहां पर प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया जा सके, जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके.

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उन्होंने बताया उत्तराखंड के प्रति इन्वेस्टर जागरुक हो रहा है, परंतु पर्वतीय क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज बनाने को लेकर उनका रुझान देखने को नहीं मिल रहा है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा केंद्रीय बजट में जो स्टोरेज योजना लाई गई है उस योजना का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा. यहां की सरकार इसका लाभ उठाते हुए पर्वतीय क्षेत्रों स्टोरेज स्थापित कर सकती है. इससे सरकार और किसान दोनों को ही लाभ होगा.

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बजट 2020 में केंद्र सरकार ने ग्राम भंडारण योजना पर बल दिया है ताकि उत्पादो पर लॉजिस्टिक लागत कम हो सके। इसके साथ ही जल्द खराब होने वाले उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान ट्रैन का प्रस्ताव किया है। जिसमे स्टोरेज की व्यवस्था होगा। लेकिन अगर कोल्ड स्टोरेज का उत्तराखंड के लिहाज से देखे तो भौगोलिक परिस्थितियों के लिहाज से उत्तराखंड में कोल्ड स्टोरेज की बेहद जरूरत है। 


Body:उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है। ऐसे में जब प्रदेश में आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होने वाली सेब और अन्य फैसलो को स्टोर न करने के चलते खराब हो जाते है। क्योंकि आपदा के सड़के बाधित हो जाती है। हालांकि प्रदेश में कुछ जगह स्टोरेज तो बने है लेकिन वो सभी स्टोरेज मैदानी क्षेत्रो में यही वजह है कि प्रदेश के पहाड़ी फसलों को स्टोर नही किया जा सकता। यही वजह है कि हर साल आपदा के लाखो की फसल बर्बाद हो जाती है। 


वही जानकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि हम अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं बना पाए हैं। कि जो उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में जिला और तहसील लेवल पर कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध हो जहां पर कृषि और औद्यानिक उत्पादों को सुरक्षित रखा जा सके। इसे साथ ही वहां पर प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया जाए, ताकि किसानों को सही मूल्य मिल सके और वही प्रोसेसिंग और पैकिंग कर बाहर भी ज्यादा सके।


साथ ही बताया कि उत्तराखंड के प्रति इन्वेस्टर जागरूक हो रहा है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज बनाने को लेकर उनका रुझान देखने को नही मिल रहा है। जो एक बड़ी चिंता है। हालांकि मैदानी क्षेत्रों में भंडारण की कोई समस्या नहीं है। लेकिन जहां भंडारण की जरूरत है वहां पर नहीं है। जहां जरूरत नहीं है वहां पर अधिक मात्रा में स्टोरेज देखने को मिल रहे हैं। हालांकि केंद्रीय बजट में जो स्टोरेज की योजना लाई गई है उस योजना का लाभ, उत्तराखंड सरकार उठा सकती है और पर्वतीय क्षेत्रों में जहां स्टोरेज की सबसे अधिक जरूरत है वहां स्थापित कर सकती है।

बाइट - भगीरथ शर्मा, जानकार





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