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उत्तराखंड: बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए कई पुलिसकर्मी, ज्यादातर ने आपदा में गंवाई जान

उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है जिसके कारण यहां अक्सर आपदाएं आती रहती हैं. यहां पुलिस के जवानों का जान ज्यादातर दूसरों को बचाने में ही जाती है. साल 2013 में भी कई पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी थी. क्राइम के लिहाज से बात करें तो राज्य निर्माण से अब तक केवल 13 जवानों ने बदमाशों से मुठभेड़ में जान गंवाई है.

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बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए कई पुलिसकर्मी
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Published : Jul 9, 2020, 10:21 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 10:21 PM IST

देहरादून: कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे जैसे बड़े अपराधियों को पकड़ना कई बार पुलिस के लिए बड़ी चुनौती का काम हो जाता है. कई बार इस तरह के ऑपरेशन्स में पुलिसकर्मियों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. यूपी में भी विकास दुबे की धरपकड़ में सर्कल ऑफिसर सहित आठ पुलिसकर्मियों को शहीद होना पड़ा. जिसके बाद से देशभर के राज्यों की पुलिस कार्यप्रणाली बदलकर बदमाशों और गैंगस्टर को पकड़ने की योजना बना रही है. वहीं, बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां पुलिस के जवानों की ज्यादातर जान आपदा, राहत और बचाव कार्य के दौरान जाती है. चूंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है जिसके कारण यहां पुलिस के जवानों का जान दूसरों को बचाने में ही जाती है. क्राइम के लिहाज से बात करें तो राज्य निर्माण से अब तक केवल 13 जवानों ने एनकाउंटर में जान गंवाई है.

बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए कई पुलिसकर्मी

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से अलग होकर उत्तराखंड बनने के बाद यहां पिछले 20 सालों में अलग-अलग घटनाओं में कुल 175 पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान अभी तक शहीद हो चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा जवान साल 2013 की आपदा में शहीद हुए. वहीं, उत्तराखंड में मोस्ट वांटेड अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान अब तक 13 पुलिसकर्मी ड्युटी के दौरान जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं.

पढ़ें- शासन में अधिकारियों की कारस्तानी से मचा हड़कंप, वन विभाग में तबादलों का आदेश निरस्त

ईटीवी भारत ने मामले में जानकारी जुटाते हुए पुलिस मुख्यालय से ये जानने का प्रयास किया कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद संगीन अपराधों को अंजाम देने वाले मोस्ट वांटेड अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान किन-किन पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवाई.

राज्य निर्माण से अबतक शहादत देने वाले पुलिसकर्मियों की कार्रवाई पर नजर

  • 21 दिसंबर सन 2000 को रुड़की में हुई एक मुठभेड़ में कुख्यात बदमाश मनोज सैनी और शशि सैनी को मारने के दौरान उपनिरीक्षक पुलिस मंगू राम शहीद हुए थे. इस कार्रवाई में शहादत देने वाले उपनिरीक्षक मंगू राम मूल रूप से शास्त्री नगर थाना नौचंदी जिला मेरठ उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.
  • 13 मार्च, 2002 को शातिर अपराधी गौरव भारद्वाज को जब पुलिस काशीपुर न्यायालय में पेश करने के बाद नैनीताल जेल में दाखिल करने जा रही थी, तभी फिल्मी अंदाज में नैनीताल के गुडप्पू नाम के जंगल वाले स्थान में अज्ञात बदमाशों ने आरक्षियों के वाहन को पीछे से टक्कर मारी. जिसमें कई पुलिसकर्मियों को पूरी तरह से कुचल दिया गया था. इस दौरान अज्ञात बदमाश अपने साथी गौरव भारद्वाज को पुलिस के चंगुल से छुड़ा ले गए. इस कार्रवाई के दौरान मुकाबला करने वाले कॉन्स्टेबल मुन्ना खां की घटनास्थल पर दर्दनाक मौत हो गई थी. शहीद कॉन्स्टेबल मूल रूप से ग्राम जलाला नगर पोस्ट भाकुरा जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.
  • 25 जुलाई 2003 को जनपद बागेश्वर के राजस्व क्षेत्र में सक्रिय संगीन अपराधी दुर्गा सिंह को गिरफ्तार करने के दौरान कई बार चाकू लगने से कांस्टेबल विक्रांत सिंह शहीद हो गये थे. गिरफ्तार दुर्गा सिंह ने कार्रवाई के दौरान कॉन्स्टेबल विक्रांत सिंह पर कई बार चाकुओं से वार किया. फिर भी विक्रम सिंह ने उसे नहीं छोड़ा. शहीद कांस्टेबल विक्रम सिंह मूल रूप से टनकपुर जिला चंपावत के रहने वाले थे.


फिल्मी अंदाज में तीन जेल ड्यूटी में तैनात तीन जवानों की मौत का मामला

  • 15 जनवरी 2005 को जब जिला कारागार अल्मोड़ा से शातिर बदमाश राजेंद्र सिंह और हरीश सिंह को रानीखेत कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस टीम वापस जेल लौट रहे थी, तभी क्वेराली जंगल क्षेत्र में दोनों अभियुक्तों के साथियों ने पुलिस टीम पर हमला बोला. जिसमें ड्यूटी पर तैनात कॉस्टेबल गिरीशचंद्र, कॉस्टेबल संजय कुमार व कॉस्टेबल महेश सिंह पर ताबड़तोड़ गोली चलाई गई. जिससे तीनों की मौत हो गई. इस दौरान हथकड़ी लगे दोनों ही बदमाश मौके से अपने अन्य साथियों के साथ फरार हो गए. कॉन्स्टेबल हरीश सिंह मूल रूप से ग्राम भंडारी थाना बेरीनाग जिला पिथौरागढ़ का रहने वाला था. जबकि कॉस्टेबल संजय कुमार ग्राम-ककडाट, थान- शाहपुर, जिला-मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. इसके अलावा महेश सिंह, जिला-बिजनौर उत्तर प्रदेश का रहने वाला था.
  • 14 जुलाई 2013 को हरिद्वार के संतोष नर्सिंग होम में डॉ. हिना खरे के यहां पांच से छह हथियारबंद बदमाश डकैती डालने पहुंचे थे. घटना की सूचना पर चेतक ड्युटी पर तैनात कॉन्स्टेबल सुनीता नेगी व कॉन्स्टेबल विशाल कनौजिया मौके पर पहुंचे. इस दौरान डकैती डालकर भाग रहे बदमाशों का पीछा करने के दौरान बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर महिला कॉस्टेबल सुनीता सिंह नेगी पर गोलियां चलाई. जिससे उनकी मौत हो गई.
  • 28 मई 2014 को रिपोर्टिंग पुलिस चौकी मुखनी थाना हल्द्वानी में निगरानी ड्यूटी के दौरान पुलिस कस्टडी से भाग रहे बदमाश को पकड़ने में संघर्ष के दौरान अभियुक्त ने नुकीले सरिये कार्रवाई करने वाले कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह के सीने पर कई वार किया गया. जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई. कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले थे.
  • 6 अप्रैल 2016 को सब इंस्पेक्टर एसके भट्ट के नेतृत्व में जब कॉस्टेबल लोकेंद्र सिंह, अनंत कुमार और वाहन चालक शंकर नेगी सरकारी वाहन से वन्य जीव के तस्कर की गिरफ्तारी के लिए 10:15 बजे जब उत्तरकाशी के वन क्षेत्र दिगोली बैंड पहुंचे, इस दौरान गिरफ्तारी को लेकर हुई मुठभेड़ के समय वन तस्कर बदमाशों ने STF कॉन्स्टेबल अनंत कुमार को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. इस घटना में शहीद हुआ STF कॉन्स्टेबल आनंद कुमार मूल रूप से ज्वालापुर, हरिद्वार का रहने वाला था.
  • 23 अगस्त 2009 को नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाले कोटाबाग ब्लॉक प्रमुख बलवंत सिंह कल्याण की हत्या हुई. इन घटना से गुस्साए ग्राम चमुलूवा के ग्रामीणों की उग्र भीड़ ने थाना कालाढूंगी में आगजनी कर जमकर तोड़फोड़ की. इस भीषण आग घटना के दौरान पुलिस बल पर जानलेवा हमला किया गया. इस दौरान दंगाइयों ने जबरदस्त मारपीट करते हुए ड्यूटी पर तैनात हेड कॉस्टेबल पूरनलाल को की हत्या कर दी. ड्यूटी पर तैनात हेड कांस्टेबल पूरनलाल मूल रूप से डूबरा. पिथौरागढ़ के रहने वाला था.
  • 12 सितंबर 2007 को उधम सिंह नगर में अवैध शराब तस्करी पर अंकुश लगाने की कार्रवाई दौरान मुख्य अभियुक्त गुरमीत उर्फ करन व अन्य 5 लोगों को रुद्रपुर में गिरफ्तार किया गया. इस कार्रवाई के कुछ समय बीतने के बाद जब कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश एक दिन गदरपुर थाने से रात्रि गश्त ड्यूटी पर महेश मोड़ पर थे, तभी उसको पुरानी रंजिश के दौरान शराब तस्करों के साथियों ने एकांत पर बुलाकर उसकी हत्या कर दी. ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाला कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश मूल रूप से लाल इमली, जिला चंपावत का रहने वाला था.
  • 13 जुलाई 2016 को उधम सिंह नगर जिले में सक्रिय जीव तस्करों के भैंसों से लदे पिकअप वाहन का पीछा कर जब पुलिस कार्रवाई हुई तो बदमाशों ने बैरियर तोड़कर वापस आते समय जानबूझकर ड्यूटी पर तैनात कॉन्स्टेबल बसंत कुमार बोहरा को अपने वाहन से कुचल दिया. जिससे कॉन्स्टेबल बसंत कुमार बोहरा की मौत हो गई.

अपराधियों पर शिकंजा कसने में उत्तराखंड पुलिस टॉप पर

वहीं, अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में अब तक 13 पुलिसकर्मियों की शहादत को लेकर महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्य निर्वहन करने वाले सभी पुलिसकर्मियों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है. हालांकि, हमेशा से ही चुनौती भरे पुलिस की कार्रवाई में एक भी पुलिसकर्मी की जान जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स: 24 घंटे में छह लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि

ऐसे में किसी भी संगीन अपराधी की धरपकड़ में वर्तमान और पुराने अनुभव को देखते हुए लगातार राज्य पुलिस कर्मियों को योजनाबद्ध व प्रभावी इंटेलिजेंस सहित जरूरत पड़ने पर कमांडो फोर्स जैसे के अलावा कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम कर किसी भी ऑपरेशन को सफल बनाने के दिशा निर्देश लगातार दिए जा रहे हैं. डीजी अशोक कुमार ने माना कि उत्तर प्रदेश राज्य से अलग अलग होने के बाद पिछले 20 वर्षों में उत्तराखंड पुलिस ने अपराध व अपराधियों पर प्रभावी कार्रवाई कर शिकंजा कसा है. इसी का नतीजा है कि आज देश के टॉप पुलिसिंग में उत्तराखंड राज्य का नाम भी गिना जाता है.

देहरादून: कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे जैसे बड़े अपराधियों को पकड़ना कई बार पुलिस के लिए बड़ी चुनौती का काम हो जाता है. कई बार इस तरह के ऑपरेशन्स में पुलिसकर्मियों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. यूपी में भी विकास दुबे की धरपकड़ में सर्कल ऑफिसर सहित आठ पुलिसकर्मियों को शहीद होना पड़ा. जिसके बाद से देशभर के राज्यों की पुलिस कार्यप्रणाली बदलकर बदमाशों और गैंगस्टर को पकड़ने की योजना बना रही है. वहीं, बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां पुलिस के जवानों की ज्यादातर जान आपदा, राहत और बचाव कार्य के दौरान जाती है. चूंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है जिसके कारण यहां पुलिस के जवानों का जान दूसरों को बचाने में ही जाती है. क्राइम के लिहाज से बात करें तो राज्य निर्माण से अब तक केवल 13 जवानों ने एनकाउंटर में जान गंवाई है.

बदमाशों से मुठभेड़ में शहीद हुए कई पुलिसकर्मी

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से अलग होकर उत्तराखंड बनने के बाद यहां पिछले 20 सालों में अलग-अलग घटनाओं में कुल 175 पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान अभी तक शहीद हो चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा जवान साल 2013 की आपदा में शहीद हुए. वहीं, उत्तराखंड में मोस्ट वांटेड अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान अब तक 13 पुलिसकर्मी ड्युटी के दौरान जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं.

पढ़ें- शासन में अधिकारियों की कारस्तानी से मचा हड़कंप, वन विभाग में तबादलों का आदेश निरस्त

ईटीवी भारत ने मामले में जानकारी जुटाते हुए पुलिस मुख्यालय से ये जानने का प्रयास किया कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद संगीन अपराधों को अंजाम देने वाले मोस्ट वांटेड अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान किन-किन पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवाई.

राज्य निर्माण से अबतक शहादत देने वाले पुलिसकर्मियों की कार्रवाई पर नजर

  • 21 दिसंबर सन 2000 को रुड़की में हुई एक मुठभेड़ में कुख्यात बदमाश मनोज सैनी और शशि सैनी को मारने के दौरान उपनिरीक्षक पुलिस मंगू राम शहीद हुए थे. इस कार्रवाई में शहादत देने वाले उपनिरीक्षक मंगू राम मूल रूप से शास्त्री नगर थाना नौचंदी जिला मेरठ उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.
  • 13 मार्च, 2002 को शातिर अपराधी गौरव भारद्वाज को जब पुलिस काशीपुर न्यायालय में पेश करने के बाद नैनीताल जेल में दाखिल करने जा रही थी, तभी फिल्मी अंदाज में नैनीताल के गुडप्पू नाम के जंगल वाले स्थान में अज्ञात बदमाशों ने आरक्षियों के वाहन को पीछे से टक्कर मारी. जिसमें कई पुलिसकर्मियों को पूरी तरह से कुचल दिया गया था. इस दौरान अज्ञात बदमाश अपने साथी गौरव भारद्वाज को पुलिस के चंगुल से छुड़ा ले गए. इस कार्रवाई के दौरान मुकाबला करने वाले कॉन्स्टेबल मुन्ना खां की घटनास्थल पर दर्दनाक मौत हो गई थी. शहीद कॉन्स्टेबल मूल रूप से ग्राम जलाला नगर पोस्ट भाकुरा जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.
  • 25 जुलाई 2003 को जनपद बागेश्वर के राजस्व क्षेत्र में सक्रिय संगीन अपराधी दुर्गा सिंह को गिरफ्तार करने के दौरान कई बार चाकू लगने से कांस्टेबल विक्रांत सिंह शहीद हो गये थे. गिरफ्तार दुर्गा सिंह ने कार्रवाई के दौरान कॉन्स्टेबल विक्रांत सिंह पर कई बार चाकुओं से वार किया. फिर भी विक्रम सिंह ने उसे नहीं छोड़ा. शहीद कांस्टेबल विक्रम सिंह मूल रूप से टनकपुर जिला चंपावत के रहने वाले थे.


फिल्मी अंदाज में तीन जेल ड्यूटी में तैनात तीन जवानों की मौत का मामला

  • 15 जनवरी 2005 को जब जिला कारागार अल्मोड़ा से शातिर बदमाश राजेंद्र सिंह और हरीश सिंह को रानीखेत कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस टीम वापस जेल लौट रहे थी, तभी क्वेराली जंगल क्षेत्र में दोनों अभियुक्तों के साथियों ने पुलिस टीम पर हमला बोला. जिसमें ड्यूटी पर तैनात कॉस्टेबल गिरीशचंद्र, कॉस्टेबल संजय कुमार व कॉस्टेबल महेश सिंह पर ताबड़तोड़ गोली चलाई गई. जिससे तीनों की मौत हो गई. इस दौरान हथकड़ी लगे दोनों ही बदमाश मौके से अपने अन्य साथियों के साथ फरार हो गए. कॉन्स्टेबल हरीश सिंह मूल रूप से ग्राम भंडारी थाना बेरीनाग जिला पिथौरागढ़ का रहने वाला था. जबकि कॉस्टेबल संजय कुमार ग्राम-ककडाट, थान- शाहपुर, जिला-मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. इसके अलावा महेश सिंह, जिला-बिजनौर उत्तर प्रदेश का रहने वाला था.
  • 14 जुलाई 2013 को हरिद्वार के संतोष नर्सिंग होम में डॉ. हिना खरे के यहां पांच से छह हथियारबंद बदमाश डकैती डालने पहुंचे थे. घटना की सूचना पर चेतक ड्युटी पर तैनात कॉन्स्टेबल सुनीता नेगी व कॉन्स्टेबल विशाल कनौजिया मौके पर पहुंचे. इस दौरान डकैती डालकर भाग रहे बदमाशों का पीछा करने के दौरान बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर महिला कॉस्टेबल सुनीता सिंह नेगी पर गोलियां चलाई. जिससे उनकी मौत हो गई.
  • 28 मई 2014 को रिपोर्टिंग पुलिस चौकी मुखनी थाना हल्द्वानी में निगरानी ड्यूटी के दौरान पुलिस कस्टडी से भाग रहे बदमाश को पकड़ने में संघर्ष के दौरान अभियुक्त ने नुकीले सरिये कार्रवाई करने वाले कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह के सीने पर कई वार किया गया. जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई. कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले थे.
  • 6 अप्रैल 2016 को सब इंस्पेक्टर एसके भट्ट के नेतृत्व में जब कॉस्टेबल लोकेंद्र सिंह, अनंत कुमार और वाहन चालक शंकर नेगी सरकारी वाहन से वन्य जीव के तस्कर की गिरफ्तारी के लिए 10:15 बजे जब उत्तरकाशी के वन क्षेत्र दिगोली बैंड पहुंचे, इस दौरान गिरफ्तारी को लेकर हुई मुठभेड़ के समय वन तस्कर बदमाशों ने STF कॉन्स्टेबल अनंत कुमार को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. इस घटना में शहीद हुआ STF कॉन्स्टेबल आनंद कुमार मूल रूप से ज्वालापुर, हरिद्वार का रहने वाला था.
  • 23 अगस्त 2009 को नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाले कोटाबाग ब्लॉक प्रमुख बलवंत सिंह कल्याण की हत्या हुई. इन घटना से गुस्साए ग्राम चमुलूवा के ग्रामीणों की उग्र भीड़ ने थाना कालाढूंगी में आगजनी कर जमकर तोड़फोड़ की. इस भीषण आग घटना के दौरान पुलिस बल पर जानलेवा हमला किया गया. इस दौरान दंगाइयों ने जबरदस्त मारपीट करते हुए ड्यूटी पर तैनात हेड कॉस्टेबल पूरनलाल को की हत्या कर दी. ड्यूटी पर तैनात हेड कांस्टेबल पूरनलाल मूल रूप से डूबरा. पिथौरागढ़ के रहने वाला था.
  • 12 सितंबर 2007 को उधम सिंह नगर में अवैध शराब तस्करी पर अंकुश लगाने की कार्रवाई दौरान मुख्य अभियुक्त गुरमीत उर्फ करन व अन्य 5 लोगों को रुद्रपुर में गिरफ्तार किया गया. इस कार्रवाई के कुछ समय बीतने के बाद जब कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश एक दिन गदरपुर थाने से रात्रि गश्त ड्यूटी पर महेश मोड़ पर थे, तभी उसको पुरानी रंजिश के दौरान शराब तस्करों के साथियों ने एकांत पर बुलाकर उसकी हत्या कर दी. ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाला कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश मूल रूप से लाल इमली, जिला चंपावत का रहने वाला था.
  • 13 जुलाई 2016 को उधम सिंह नगर जिले में सक्रिय जीव तस्करों के भैंसों से लदे पिकअप वाहन का पीछा कर जब पुलिस कार्रवाई हुई तो बदमाशों ने बैरियर तोड़कर वापस आते समय जानबूझकर ड्यूटी पर तैनात कॉन्स्टेबल बसंत कुमार बोहरा को अपने वाहन से कुचल दिया. जिससे कॉन्स्टेबल बसंत कुमार बोहरा की मौत हो गई.

अपराधियों पर शिकंजा कसने में उत्तराखंड पुलिस टॉप पर

वहीं, अपराधियों की धरपकड़ और दबिश के दौरान उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में अब तक 13 पुलिसकर्मियों की शहादत को लेकर महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्य निर्वहन करने वाले सभी पुलिसकर्मियों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है. हालांकि, हमेशा से ही चुनौती भरे पुलिस की कार्रवाई में एक भी पुलिसकर्मी की जान जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है.

पढ़ें- ऋषिकेश एम्स: 24 घंटे में छह लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि

ऐसे में किसी भी संगीन अपराधी की धरपकड़ में वर्तमान और पुराने अनुभव को देखते हुए लगातार राज्य पुलिस कर्मियों को योजनाबद्ध व प्रभावी इंटेलिजेंस सहित जरूरत पड़ने पर कमांडो फोर्स जैसे के अलावा कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम कर किसी भी ऑपरेशन को सफल बनाने के दिशा निर्देश लगातार दिए जा रहे हैं. डीजी अशोक कुमार ने माना कि उत्तर प्रदेश राज्य से अलग अलग होने के बाद पिछले 20 वर्षों में उत्तराखंड पुलिस ने अपराध व अपराधियों पर प्रभावी कार्रवाई कर शिकंजा कसा है. इसी का नतीजा है कि आज देश के टॉप पुलिसिंग में उत्तराखंड राज्य का नाम भी गिना जाता है.

Last Updated : Jul 10, 2020, 10:21 PM IST
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