देहरादून: उत्तरकाशी के डामटा क्षेत्र में रविवार को हुए यात्री बस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई थी. घटना को लेकर भले ही मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हो, लेकिन चारधाम यात्रा मार्गों पर आवाजाही में कई तरह की अव्यवस्था का मामला एक बार फिर गर्माया है. उत्तराखंड ट्रैफिक निदेशालय ने यात्रा मार्गों में 164 ब्लैक स्पॉट और 77 क्रैश बैरियर स्थानों में आवश्यक सुधार के दृष्टिगत एक बार फिर से शासन को सूची प्रेषित की है. ताकि दुर्घटना प्रभावित कुछ यात्रा मार्गों में सड़कों की मरम्मत, सेफ्टी वॉल, संकरे रास्तों के चौड़ीकरण जैसे विषयों पर संबंधित विभाग की मदद से सुधार लाया जा सके.
बस हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आई: उधर दूसरी ओर उत्तरकाशी के डामटा इलाके में यमुनोत्री यात्रा पर जाने वाली मध्य प्रदेश के तीर्थ यात्रियों से भरी बस के हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ गई है. हादसा का कारण तेज रफ्तार और बस अनियंत्रित होना पाया गया है. इस मामले में डीआईजी गढ़वाल ने कहा कि अभी तक की जांच पड़ताल में जानकारी सामने आयी जिस डामटा क्षेत्र में 400 मीटर की खाई में यात्रियों से भरी बस दुर्घटना का शिकार हुई, उस इलाके में सड़क न सिर्फ डबल लेन की हैं बल्कि दोनों तरफ साफ सुथरी और चौड़ी हैं. सड़क यातायात के लिए सुरक्षित है. ऐसे में घटनास्थल स्थान पर संकरे रास्ते वाली बात पूरी तरह से गलत है.
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ये हो सकते हैं हादसे का कारण: अभी तक की जांच में दो विषय प्रतीत हो रहे हैं. पहला यह कि तेज रफ्तार होने की वजह से हल्के से घुमाव में सामने से वाहन आने से नियंत्रित बस सेफ्टी गाटर व लाइट इंडिकेटर को तोड़ खाई में गिरी. हादसे की दूसरी वजह मोबाइल का इस्तेमाल या नींद की झपकी भी हो सकती है. हालांकि इस बात की अभी कोई पुष्टि नहीं है. क्योंकि जब तक घायल यात्रियों को होश नहीं आता और उनके बयान से दुर्घटना की स्थिति का पता नहीं चलता, तब तक यह पूरी तरह से स्पष्ट होना बाकी है कि यात्रियों से भरी बस किन कारणों से खाई में गिरी.
तेज रफ़्तार पर अंकुश लगाने को इंफोर्समेंट की कार्रवाई होगी: उत्तरकाशी के डामटा में बस दुर्घटना में 26 लोगों की मौत के मामले में एक बार फिर इस बात का चिंतन तेज हो रहा कि यात्रा मार्गों पर तेज रफ्तार पर लगाम कैसे लगायी जाए, ताकि ओवर स्पीड के कारण इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति ना हो. इस मामले में डीआईजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल का कहना है कि बेहद दुःख भरी इस घटना के बाद जिस तरह से तेज रफ्तार होने की बात सामने आ रही है, उसको देखते हुए यात्रा मार्गों पर ओवर स्पीड में चालान की संख्या बढ़ाने और अलग-अलग चेक पोस्टों में चेकिंग कर पहाड़ों की अपेक्षा वाहनों के फिटनेस, बस चालकों की मानसिक स्थिति जैसे कार्रवाई पहले के मुकाबले बढ़ायी जाएगी.
हादसा स्थल पर चौड़ी थी सड़क: डीआईजी ने साफ किया कि जिस जगह यह बस खाई में गिरी, वहां रोड पूरी तरह से चौड़ी और आराम से आवाजाही के लिए सुरक्षित है. ऐसा जांच के प्रथम दृष्टया में प्रतीत हो रहा है, नगन्याल ने कहा कि पहाड़ों के मुताबिक 40 से कहीं अधिक की गति में बस चालक का ध्यान भंग होने के कारण अनियंत्रित बस दुर्घटना का शिकार हुई हो. हालांकि हादसे की स्थिति स्पष्ट करने के लिए जांच चल रही है.
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जारी हैं हादसे: बता दें कि उत्तराखंड के चारधाम यात्रा मार्गों पर वाहन दुर्घटनाओं का सिलसिला विगत कई वर्षों से बदस्तूर जारी है. हादसों की कई वजह हैं. इनमें सबसे मुख्य ओवर स्पीड, अनियंत्रित वाहन सहित मैदानी राज्यों से आने वाले वाहन चालकों को पहाड़ों में वाहन चलाने का तजुर्बा ना होना भी एक कारण है. वहीं दूसरी तरफ हर वर्ष पर्वतीय आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का टूटना, पहाड़ किनारे सेफ्टी गाटर वॉल क्षतिग्रस्त होने से यातायात ब्लैक स्पॉट में न सिर्फ इज़ाफ़ा होता है, बल्कि आवाजाही के डेंजर जोन भी बढ़ते रहते हैं.