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देहरादून: अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती महिला, मामले की जांच के आदेश

उत्तराखंड में गर्भवती महिला को उपचार देने में लापरवाही के मामले पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. दरअसल चमोली निवासी गर्भवती महिला लक्ष्मीदेवी को कई अस्पतालों में उपचार के लिए चक्कर लगाने पड़े थे. मामले का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.

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Published : Sep 21, 2019, 9:06 PM IST

अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती महिला.

देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे की बदहाल हालत किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां चमोली की एक महिला को इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े. वहीं, इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.

अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती महिला.

जानकारी के मुताबिक चमोली निवासी गर्भवती लक्ष्मी देवी को गंभीर स्थिति कहकर जिला अस्पताल से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. इसके बाद श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से गर्भवती महिला को ऋषिकेश एम्स के लिए रेफर किया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि एम्स जैसे संस्थान में वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर उसे हिमालयन मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. यहां भी वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर हिमालयन मेडिकल कॉलेज से देहरादून भेज दिया गया.

पढ़ें: मुख्य आरोपियों में पूर्व भाजपा पार्षद, लंबे समय से कर रहा अवैध कारोबार

गर्भवती महिला के तीमारदार जब महिला को पहाड़ से देहरादून लेकर आए तो निजी अस्पतालों ने भी महिला की स्थिति गंभीर कहकर उसे उपचार देने से मना कर दिया. इसके बाद महिला का एक निजी अस्पताल में ही उपचार के बाद नॉर्मल डिलीवरी की गई.

वहीं, अस्पतालों द्वारा मरीज को इस तरह उपचार न देने की बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय ने मामले पर जांच के आदेश दे दिए हैं. सीएमओ देहरादून एसके गुप्ता जांच कर दोषी अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे की बदहाल हालत किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां चमोली की एक महिला को इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े. वहीं, इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.

अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती महिला.

जानकारी के मुताबिक चमोली निवासी गर्भवती लक्ष्मी देवी को गंभीर स्थिति कहकर जिला अस्पताल से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. इसके बाद श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से गर्भवती महिला को ऋषिकेश एम्स के लिए रेफर किया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि एम्स जैसे संस्थान में वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर उसे हिमालयन मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया. यहां भी वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर हिमालयन मेडिकल कॉलेज से देहरादून भेज दिया गया.

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गर्भवती महिला के तीमारदार जब महिला को पहाड़ से देहरादून लेकर आए तो निजी अस्पतालों ने भी महिला की स्थिति गंभीर कहकर उसे उपचार देने से मना कर दिया. इसके बाद महिला का एक निजी अस्पताल में ही उपचार के बाद नॉर्मल डिलीवरी की गई.

वहीं, अस्पतालों द्वारा मरीज को इस तरह उपचार न देने की बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय ने मामले पर जांच के आदेश दे दिए हैं. सीएमओ देहरादून एसके गुप्ता जांच कर दोषी अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

Intro:summary- उत्तराखंड में गर्भवती महिला को उपचार देने में लापरवाही के मामले पर अब जांच के आदेश दे दिए गए हैं... दरअसल चमोली निवासी गर्भवती महिला लक्ष्मीदेवी को तमाम अस्पतालों में उपचार के लिए चक्कर कटवाए गए...जिसका संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं।


Body:उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का दावा करने वाली सरकार हकीकत में खुद अस्पतालों के हालातों को नही समझ नही पा रही है...शायद यही कारण है कि तमाम खामियों के बावजूद भी राज्य सरकार अस्पतालों और महकमे में चल रही तमाम योजनाओं का गुणगान करने में जुटी रहती है... ताजा मामला चमोली की एक गर्भवती महिला के उपचार से जुड़ा है... खबर है कि चमोली निवासी गर्भवती लक्ष्मी देवी को गंभीर स्थिति कहकर जिला अस्पताल से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया...इसके बाद श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से गर्भवती महिला को ऋषिकेश एम्स के लिए रेफर किया गया... हैरान करने वाली बात यह है कि एम्स जैसे संस्थान में वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर उसे हिमालयन मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया.. यहां भी वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर हिमालयन मेडिकल कॉलेज से देहरादून भेज दिया गया... गर्भवती महिला के तीमारदार जब महिला को पहाड़ से देहरादून लेकर आए तो निजी अस्पतालों ने भी महिला की स्थिति गंभीर कहकर उसे उपचार देने से मना कर दिया खास बात यह है कि इसके बाद इस महिला का एक निजी अस्पताल में ही उपचार के बाद नॉर्मल डिलीवरी करवाई गई... अस्पतालों द्वारा मरीज को इस तरह उपचार न देने की बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय ने मामले पर जांच के आदेश दे दिए हैं... मामले पर सीएमओ देहरादून एस के गुप्ता जांच करने की बात कह रहे हैं, और इसके बाद दोषी अस्पतालों पर भी कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया जा रहा है।।।

वाइट एस के गुप्ता सीएमओ देहरादून


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