ETV Bharat / city

तड़प रही थी गर्भवती, बाहर निकल आया था नवजात का पैर, डॉक्टर के इनकार पर फार्मासिस्ट बनी देवदूत - एंबुलेंस में प्रसव

उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छिपी नहीं हैं. ताजा मामला सीएचसी चौखुटिया का है. गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी को परिजन प्रसव के लिए सीएचसी चौखुटिया ले गए. कुसुम की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि बच्चे का पैर बाहर निकल गया. इस पर भी सीएचसी में तैनात डॉक्टरों ने प्रसव कराने से मना कर दिया. इसके बाद एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्ट ने प्रसव कराया.

gairsain news
गैरसैंण समाचार
author img

By

Published : Jul 4, 2022, 11:06 AM IST

Updated : Jul 4, 2022, 1:13 PM IST

गैरसैंण/चौखुटिया: पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली ने फिर शर्मसार किया है. रविवार के दिन प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चौखुटिया में इलाज नहीं मिला. नवजात का पैर बाहर निकलकर नीला पड़ चुका था. डॉक्टरों ने यह कहकर प्रसव कराने से इनकार कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद है. बाद में रानीखेत ले जाते समय एंबुलेंस में फार्मासिस्ट की मदद से प्रसव कराया गया.

गैरसैंण ब्लॉक की है महिला: चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी (23) रविवार को करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद सड़क तक पहुंची. फिर यहां से परिजन उसे टैक्सी से करीब 18 किमी दूर सीएचसी चौखुटिया ले गए. परिजनों के अनुसार कुसुम की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि बच्चे का पैर बाहर निकल गया था. ये सब देखने के बाद भी सीएचसी चौखुटिया में तैनात डॉक्टरों ने प्रसव कराने से इनकार कर दिया.
ये भी पढ़ें: जिला अस्पताल ने ऑपरेशन बताकर गर्भवती को किया रेफर, सुविधा विहीन PHC में हुई नॉर्मल डिलीवरी

चौखुटिया के डॉक्टरों ने कर दिया रेफर: सीएचसी चौखुटिया के डॉक्टरों ने यह कहकर गर्भवती कुसुम को रेफर कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी है. ज्यादा विलंब करने पर महिला की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है. परिजनों का आरोप है कि एक डॉक्टर ने पुलिस बुलाने की धमकी तक दे डाली.

एंबुलेंस में फार्मासिस्ट ने कराया प्रसव: बाद में परिजन 108 एंबुलेंस से कुसुम को रानीखेत ले जाने को रवाना हो गए. दो किमी चलने पर चौखुटिया के पास ही बाखली में कुसुम की प्रसव पीड़ा असहनीय हो गई. बच्चे के दोनों पैर बाहर निकल गए थे. यह देख एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने किसी तरह सुरक्षित प्रसव करा लिया. इसके बाद जच्चा-बच्चा को फिर से सीएचसी ले जाया गया.

डॉक्टरों ने ये कहा: सीएचसी के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का पैर बाहर निकला था. पैर बाहर निकलने के साथ ही वो नीला पड़ चुका था. बच्चे की धड़कन भी नहीं मिल रही थी. ऐसी स्थिति में गर्भवती की जान बचाने के लिए तुरंत बाहर भेजा जाना जरूरी था. बच्चा समय से दो महीने पहले हो गया इसलिए भी कुछ दिक्कत हुई. एक डॉक्टर का कहना था कि गर्भवती को रेफर कर तुरंत जाने को कहा गया था लेकिन परिजन विलंब कर रहे थे. यही कारण था कि पुलिस बुलाने की बात कही गई. इसे परिजन गलत समझ बैठे.
ये भी पढ़ें: गर्भवती और बच्चों की सेहत से खिलवाड़, अल्मोड़ा में आंगनबाड़ी केंद्रों को बांटा गया सड़ा अंडा!

देवदूत बनी फार्मासिस्ट खंपा: कुसुम की सास तारा देवी और रिश्तेदार लीला देवी ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से काफी विनती की थी. मगर डॉक्टरों ने एक न सुनी. एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा नहीं होती तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान आफत में थी.खंपा उनके लिए धरती की असली भगवान साबित हुईं.

फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने उठाए सवाल: एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने आरोप लगाया कि सीएचसी में डॉक्टरों का व्यवहार अच्छा नहीं था. वे थोड़ा रुचि लेते तो बच्चे के पैर अंदर डाल सकते थे. लेकिन लटकते पैरों में ही रेफर कर दिया गया, जो उचित नहीं था. रेफर करने की मजबूरी में गर्भवती को बाहर ले जाना जरूरी था.

क्या बोले सीएचसी प्रभारी: CHC प्रभारी डॉक्टर अमित रतन ने कहा कि बच्चे का पैर बाहर निकला था. ऐसी स्थिति में महिला को बेहोश करके बच्चे को बाहर निकाला जाता है. इसके लिए बेहोश करने वाली दवाई, इंजेक्शन की जरूरत थी. ये दवाई या इंजेक्शन स्थानीय स्तर पर नहीं था. इसलिए रेफर करना जरूरी था. धड़कन भी नहीं मिल रही थी. हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी जान बचाने की थी. बच्चा जब पैदा हुआ तो हार्टबीट 70 थी जबकि 120 से 160 होनी चाहिए. यदि बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय पांडे समय पर नहीं पहुंचते तो बच्चे को बचाना मुश्किल होता.
ये भी पढ़ें: NHM निदेशक सरोज नैथानी ने किया वेलनेस सेंटर का औचक निरीक्षण, खामियां मिलने पर लगाई फटकार

प्रीमेच्योर बेबी है डॉक्टर विजय पांडे: बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विजय पांडे ने कहा कि बच्चा स्वस्थ है. उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी. इसलिए ऑक्सीजन पर रखा गया है. जो पैर नीला पड़ा है, उसे भी ठीक किया जा रहा है. बच्चा समय से दो महीने पहले हो गया है. मां का दूध सीधे नहीं पी पा रहा है. इसलिए नाक में नली लगाई गई है.

गैरसैंण/चौखुटिया: पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली ने फिर शर्मसार किया है. रविवार के दिन प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चौखुटिया में इलाज नहीं मिला. नवजात का पैर बाहर निकलकर नीला पड़ चुका था. डॉक्टरों ने यह कहकर प्रसव कराने से इनकार कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद है. बाद में रानीखेत ले जाते समय एंबुलेंस में फार्मासिस्ट की मदद से प्रसव कराया गया.

गैरसैंण ब्लॉक की है महिला: चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी (23) रविवार को करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद सड़क तक पहुंची. फिर यहां से परिजन उसे टैक्सी से करीब 18 किमी दूर सीएचसी चौखुटिया ले गए. परिजनों के अनुसार कुसुम की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि बच्चे का पैर बाहर निकल गया था. ये सब देखने के बाद भी सीएचसी चौखुटिया में तैनात डॉक्टरों ने प्रसव कराने से इनकार कर दिया.
ये भी पढ़ें: जिला अस्पताल ने ऑपरेशन बताकर गर्भवती को किया रेफर, सुविधा विहीन PHC में हुई नॉर्मल डिलीवरी

चौखुटिया के डॉक्टरों ने कर दिया रेफर: सीएचसी चौखुटिया के डॉक्टरों ने यह कहकर गर्भवती कुसुम को रेफर कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी है. ज्यादा विलंब करने पर महिला की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है. परिजनों का आरोप है कि एक डॉक्टर ने पुलिस बुलाने की धमकी तक दे डाली.

एंबुलेंस में फार्मासिस्ट ने कराया प्रसव: बाद में परिजन 108 एंबुलेंस से कुसुम को रानीखेत ले जाने को रवाना हो गए. दो किमी चलने पर चौखुटिया के पास ही बाखली में कुसुम की प्रसव पीड़ा असहनीय हो गई. बच्चे के दोनों पैर बाहर निकल गए थे. यह देख एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने किसी तरह सुरक्षित प्रसव करा लिया. इसके बाद जच्चा-बच्चा को फिर से सीएचसी ले जाया गया.

डॉक्टरों ने ये कहा: सीएचसी के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का पैर बाहर निकला था. पैर बाहर निकलने के साथ ही वो नीला पड़ चुका था. बच्चे की धड़कन भी नहीं मिल रही थी. ऐसी स्थिति में गर्भवती की जान बचाने के लिए तुरंत बाहर भेजा जाना जरूरी था. बच्चा समय से दो महीने पहले हो गया इसलिए भी कुछ दिक्कत हुई. एक डॉक्टर का कहना था कि गर्भवती को रेफर कर तुरंत जाने को कहा गया था लेकिन परिजन विलंब कर रहे थे. यही कारण था कि पुलिस बुलाने की बात कही गई. इसे परिजन गलत समझ बैठे.
ये भी पढ़ें: गर्भवती और बच्चों की सेहत से खिलवाड़, अल्मोड़ा में आंगनबाड़ी केंद्रों को बांटा गया सड़ा अंडा!

देवदूत बनी फार्मासिस्ट खंपा: कुसुम की सास तारा देवी और रिश्तेदार लीला देवी ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से काफी विनती की थी. मगर डॉक्टरों ने एक न सुनी. एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा नहीं होती तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान आफत में थी.खंपा उनके लिए धरती की असली भगवान साबित हुईं.

फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने उठाए सवाल: एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने आरोप लगाया कि सीएचसी में डॉक्टरों का व्यवहार अच्छा नहीं था. वे थोड़ा रुचि लेते तो बच्चे के पैर अंदर डाल सकते थे. लेकिन लटकते पैरों में ही रेफर कर दिया गया, जो उचित नहीं था. रेफर करने की मजबूरी में गर्भवती को बाहर ले जाना जरूरी था.

क्या बोले सीएचसी प्रभारी: CHC प्रभारी डॉक्टर अमित रतन ने कहा कि बच्चे का पैर बाहर निकला था. ऐसी स्थिति में महिला को बेहोश करके बच्चे को बाहर निकाला जाता है. इसके लिए बेहोश करने वाली दवाई, इंजेक्शन की जरूरत थी. ये दवाई या इंजेक्शन स्थानीय स्तर पर नहीं था. इसलिए रेफर करना जरूरी था. धड़कन भी नहीं मिल रही थी. हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी जान बचाने की थी. बच्चा जब पैदा हुआ तो हार्टबीट 70 थी जबकि 120 से 160 होनी चाहिए. यदि बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय पांडे समय पर नहीं पहुंचते तो बच्चे को बचाना मुश्किल होता.
ये भी पढ़ें: NHM निदेशक सरोज नैथानी ने किया वेलनेस सेंटर का औचक निरीक्षण, खामियां मिलने पर लगाई फटकार

प्रीमेच्योर बेबी है डॉक्टर विजय पांडे: बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विजय पांडे ने कहा कि बच्चा स्वस्थ है. उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी. इसलिए ऑक्सीजन पर रखा गया है. जो पैर नीला पड़ा है, उसे भी ठीक किया जा रहा है. बच्चा समय से दो महीने पहले हो गया है. मां का दूध सीधे नहीं पी पा रहा है. इसलिए नाक में नली लगाई गई है.

Last Updated : Jul 4, 2022, 1:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.