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कूड़े से होगा कमाल, बनेगा सीमेंट, निगम होगा मालामाल

कूड़े के ढेर से निजात पाने के लिए दून नगर निगम ने अब कूड़े के बचे हुए आरडीएफ को राजस्थान की सीमेंट कंपनी को बेचने की प्लॉन बनाया है. एक ट्रक सेंपल के तौर पर राजस्थान भेजा गया है.

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राजधानी के कू़ड़े से राजस्थान में तैयार होगा सीमेंट
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Published : Dec 3, 2019, 5:58 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 7:59 AM IST

देहरादून: राजधानी दून के कूड़े से राजस्थान में सीमेंट बनाया जाएगा. नगर निगम राजधानी के कूड़े के बचे हुए आरडीएफ (Refuse Derived Fuel) को राजस्थान की एक सीमेंट फैक्ट्री को बेचने की योजना तैयार कर रहा है. पहले इस आरडीएफ को नगर निगम हिमाचल भेज रहा था, लेकिन इसमें गाड़ी की कॉस्टिंग अधिक होने के चलते अब निगम ने ये फैसला लिया है. इस योजना से निगम को दोहरा लाभ होगा. एक तो निगम की आमदनी बढ़ेगी, दूसरा शीशमबाड़ा में मौजूद लाखों टन कूड़े के ढेर से लोगों को निजात मिलेगी.

राजधानी के कू़ड़े से राजस्थान में तैयार होगा सीमेंट

शीशमबाड़ा में देहरादून शहर का प्रतिदिन 250 से 300 टन कूड़ा जाता है, जिससे प्लांट में खाद बनाई जाती है. इससे हर दिन करीब 50 से 60 टन आरडीएफ जाता है, जिसका न कंपनी और न ही नगर निगम के पास कोई उपचार है. इस आरटीएफ से शीशमबाड़ा में पिछले 2 साल के ढेर से स्थानीय लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें-15 सालों से कई गांवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क खस्ताहाल, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

अब कूड़े के ढ़ेर से निजात पाने के लिए नगर निगम ने अब आरडीएफ को राजस्थान की सीमेंट कंपनी को बेचने की योजना बना रहा है. जिसके लिए निगम ने एक ट्रक सेंपल के तौर पर राजस्थान भेजा है. अगर सबकुछ सही रहा तो जल्द ही राजधानी के कूड़े से राजस्थान में सीमेंट तैयार किया जाएगा.

पढ़ें- मुख्यमंत्री ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील का किया औचक निरीक्षण

नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानाकारी देते हुए बताया कि शीशमबाडा प्लांट में कूड़े से खाद और आरडीएफ बनता है. आरडीएफ को पहले निगम हिमाचल के बिलासपुर भेजता था. ये एक हिल एरिया था जिसके कारण इसकी कॉस्टिंग बहुत अधिक थी जिसके कारण निगम ने यहां आरडीएफ भेजना बन्द कर दिया था. अब निगम राजस्थान की फैक्ट्री से इस मामले में बात कर रहा है.

देहरादून: राजधानी दून के कूड़े से राजस्थान में सीमेंट बनाया जाएगा. नगर निगम राजधानी के कूड़े के बचे हुए आरडीएफ (Refuse Derived Fuel) को राजस्थान की एक सीमेंट फैक्ट्री को बेचने की योजना तैयार कर रहा है. पहले इस आरडीएफ को नगर निगम हिमाचल भेज रहा था, लेकिन इसमें गाड़ी की कॉस्टिंग अधिक होने के चलते अब निगम ने ये फैसला लिया है. इस योजना से निगम को दोहरा लाभ होगा. एक तो निगम की आमदनी बढ़ेगी, दूसरा शीशमबाड़ा में मौजूद लाखों टन कूड़े के ढेर से लोगों को निजात मिलेगी.

राजधानी के कू़ड़े से राजस्थान में तैयार होगा सीमेंट

शीशमबाड़ा में देहरादून शहर का प्रतिदिन 250 से 300 टन कूड़ा जाता है, जिससे प्लांट में खाद बनाई जाती है. इससे हर दिन करीब 50 से 60 टन आरडीएफ जाता है, जिसका न कंपनी और न ही नगर निगम के पास कोई उपचार है. इस आरटीएफ से शीशमबाड़ा में पिछले 2 साल के ढेर से स्थानीय लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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अब कूड़े के ढ़ेर से निजात पाने के लिए नगर निगम ने अब आरडीएफ को राजस्थान की सीमेंट कंपनी को बेचने की योजना बना रहा है. जिसके लिए निगम ने एक ट्रक सेंपल के तौर पर राजस्थान भेजा है. अगर सबकुछ सही रहा तो जल्द ही राजधानी के कूड़े से राजस्थान में सीमेंट तैयार किया जाएगा.

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नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानाकारी देते हुए बताया कि शीशमबाडा प्लांट में कूड़े से खाद और आरडीएफ बनता है. आरडीएफ को पहले निगम हिमाचल के बिलासपुर भेजता था. ये एक हिल एरिया था जिसके कारण इसकी कॉस्टिंग बहुत अधिक थी जिसके कारण निगम ने यहां आरडीएफ भेजना बन्द कर दिया था. अब निगम राजस्थान की फैक्ट्री से इस मामले में बात कर रहा है.

Intro:देहरादून के कूड़े से राजस्थान में सीमेंट बनेगा जी हां देहरादून के शीशमबाड़ा सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में कूड़े से खाद के बाद जो भी आरडीएफ जाने की रिफ्यूज्ड आई फ्यूल जिसका उपयोग केवल सीमेंट बनाने या बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। इस आरडीएफ को अब नगर निगम राजस्थान में स्थित सीमेंट फैक्ट्री में बेचने की योजना तैयार कर रहा है।पहले इस आरडीएफ को नगर निगम हिमाचल में भेज रहा था,लेकिन इसमें गाड़ी की कॉस्टिंग अधिक होने के चलते अब निगम इस आरडीएफ को राजस्थान में बेचने जा रहा है जिससे निगम को दोहरा लाभ होगा एक निगम की आमदनी बढ़ी को दूसरा से शीशमबाड़ा में लगे लाखों टन के बड़े-बड़े चट्टानों से निजात मिल सकेगी।


Body:देहरादून शहर का प्रतिदिन ढाई सौ से तीन सौ टन कूड़ा शीशमबाड़ा प्लांट में जाता है जिससे प्लांट में खाद बनाई जाती है और हर दिन करीब 50 से 60 टन आरडीएफ जाता है,जिसका कि ना कंपनी और ना ही नगर निगम के पास कोई उपचार है। और इस आरटीएफ से शीशमबाड़ा में पिछले 2 साल के ढेर से स्थानीय लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने कूड़े से निजात पाने के लिए कई बार कुड़े की गाड़ियों रोकी गायब ओर प्रदर्शन भी किया।लेकिन अब लगता है कि स्थानीय लोगो को इस कुड़े के ढेर से निजात मिल सकेगा।कुड़े से निजात पाने के लिए नगर निगम ने अब आरडीएफ को राजस्थान की सीमेंट कंपनी को बेचने की बात चल रही है।जिसके निगम ने एक का ट्रक सेम्पल के तौर पर राजस्थान भेजा है।और अगर कंपनी की रजामंदी हो जाती है तो नगर निगम आरडीएफ को राजस्थान भेजने का काम करेगा।


Conclusion:नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानाकारी देते हुए बताया कि हमारा जो शीशमबाडा में प्लांट बना हुआ है इसमें खाद और दूसरा आरडीएफ बनता है।आरडीएफ के लिए हमने पहले प्रयास हिमाचल में बिलासपुर किया था लेकिन हिल एरिया ओर बहुत दूर के कारण कॉस्टिंग अधिक होने के कारण हमने आरडीएफ भेजना बन्द कर दिया था।अभी हमारा राजस्थान की फैक्ट्री से वार्ता हुई है,हमने एक ट्रक सेम्पल के तौर पर भेजा है।और हम उम्मीद कर रहे है कि अगर हमारी वार्ता सफल हो जाती है तो जो यह हमारी सबसे बड़ी समस्या से निजात मिल सकेगा।वर्तमान में शीशमबाडा में करीब सवा लाख से ज़्यादा आरडीएफ है।

बाइट-विनय शंकर पांडे(नगर आयुक्त)
विसुल मेल किये है।मेल से उठाने की कृपा करें।
धन्यवाद।
Last Updated : Dec 3, 2019, 7:59 AM IST
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