देहरादून: पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद जो लोग जहां फंसे हैं वहां अब उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था बेहद मुश्किल से हो रही है. जिसके कारण हैरान परेशान लोगों ने पैदल ही अपने घरों की ओर चलना शुरू कर दिया है. ऐसे दौर में अपनों से दूर और परेशानियों की गठरी उठाये कुछ दिहाड़ी-मजदूरों से हमारे संवाददाता किरणकांत शर्मा ने बात की. ये सभी बदरीनाथ धाम में मजदूरी का काम कर रहे थे. लॉकडाउन के आदेशों के बाद ये सभी अपनों से मिलने पैदल 'मार्च' करते हुए निकल पड़े हैं.
उत्तराखंड में इन जैसे कई ऐसे दिहाड़ी मजदूर हैं जो कि घर से कोसों दूर दो वक्त की रोटी के लिए खून पसीना बहा रहे है. ऐसे मुश्किल हालातों में जब चारों और सन्नाटा पसरा है ये सभी मजदूर अपनों के पास पहुंचना चाहते हैं. अपनों का आसरा और पेट की भूख ने इनकी इस कसक को और बढ़ा दिया है. जिसके कारण ये मजदूर सहूलियतों और संसाधनों के न होने के बाद भी अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं.
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ऐसे ही मजदूरों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन का एलान हुआ उन्हें अपनों की खैरियत और सलामती की चिंता सताने लगी. जिसके कारण वे सभी 25 तारीख की सुबह 4 बजे बदरीनाथ से पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े.
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चेहरे पर उदासी, आंखों में आंसू और डगमगाए पैरों से आगे बढ़ते हुए इन लोगों के चेहरों पर अपने से दूरी का दर्द साफ झलक रहा था. आखों के कोरों से छलकते आंसू और कंधों पर जिम्मेदारी की गठरी उठाये ये लोग इस बार वापस घर की ओर लौट रहे थे. जिसकी चमक तमाम मुश्किलों के बाद भी इनके चेहरों पर थी. इन मजदूरों ने बताया कि ये तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए भूखे-प्यासे लगातार चल रहे हैं.
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इन थके हारे मजदूरों ने बताया कि वे सभी लोग हरिद्वार के उस इलाके से हैं जो उत्तर प्रदेश से लगता हुआ है. लिहाजा वहां तक पहुंचने के लिए उनके पास पैदल चलने के सिवा कोई चारा नहीं है. मजदूरों के इस ग्रुप में कुछ युवा और कुछ उम्रदराज लोग शामिल थे जो कि इस मुश्किल समय में एक दूसरे को ढांढ़स बंधाकर आगे बढ़ रहे थे. इन सभी के कंपकंपाते होंठ और भूख प्यास से ढीली पड़ चुकी देह इन सबकी कठिनाइयों को खुद ही बयां कर देती है.