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देहरादून: घंटों से भूखे-प्यासे पैदल चल रहे मजदूरों की सुनो 'सरकार', लगा रहे मदद की गुहार

चेहरे पर उदासी, आंखों में आंसू और डगमगाए पैरों से आगे बढ़ते हुए मजदूरों के चेहरों पर अपने से दूरी का दर्द साफ झलक रहा था. आखों के कोरों से छलकते आंसू और कंधों पर जिम्मेदारी की गठरी उठाये ये लोग इस बार वापस घर की ओर लौट रहे थे.

Lockdown Uttarakhand
घंटों से भूखे-प्यासे पैदल चल रहे मजदूरों की सुनो 'सरकार'
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Published : Mar 26, 2020, 8:24 PM IST

Updated : Mar 27, 2020, 10:21 AM IST

देहरादून: पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद जो लोग जहां फंसे हैं वहां अब उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था बेहद मुश्किल से हो रही है. जिसके कारण हैरान परेशान लोगों ने पैदल ही अपने घरों की ओर चलना शुरू कर दिया है. ऐसे दौर में अपनों से दूर और परेशानियों की गठरी उठाये कुछ दिहाड़ी-मजदूरों से हमारे संवाददाता किरणकांत शर्मा ने बात की. ये सभी बदरीनाथ धाम में मजदूरी का काम कर रहे थे. लॉकडाउन के आदेशों के बाद ये सभी अपनों से मिलने पैदल 'मार्च' करते हुए निकल पड़े हैं.

उत्तराखंड में इन जैसे कई ऐसे दिहाड़ी मजदूर हैं जो कि घर से कोसों दूर दो वक्त की रोटी के लिए खून पसीना बहा रहे है. ऐसे मुश्किल हालातों में जब चारों और सन्नाटा पसरा है ये सभी मजदूर अपनों के पास पहुंचना चाहते हैं. अपनों का आसरा और पेट की भूख ने इनकी इस कसक को और बढ़ा दिया है. जिसके कारण ये मजदूर सहूलियतों और संसाधनों के न होने के बाद भी अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं.

घंटों से भूखे-प्यासे पैदल चल रहे मजदूरों की सुनो 'सरकार'

पढ़ें- लॉकडाउन के बीच सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटे 'कोरोना वॉरियर्स'

ऐसे ही मजदूरों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन का एलान हुआ उन्हें अपनों की खैरियत और सलामती की चिंता सताने लगी. जिसके कारण वे सभी 25 तारीख की सुबह 4 बजे बदरीनाथ से पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े.

पढ़ें- कोरोना इफेक्ट: लॉकडाउन के बाद घर के लिए पैदल निकले मजदूर, नहीं मिल रहा भोजन

चेहरे पर उदासी, आंखों में आंसू और डगमगाए पैरों से आगे बढ़ते हुए इन लोगों के चेहरों पर अपने से दूरी का दर्द साफ झलक रहा था. आखों के कोरों से छलकते आंसू और कंधों पर जिम्मेदारी की गठरी उठाये ये लोग इस बार वापस घर की ओर लौट रहे थे. जिसकी चमक तमाम मुश्किलों के बाद भी इनके चेहरों पर थी. इन मजदूरों ने बताया कि ये तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए भूखे-प्यासे लगातार चल रहे हैं.

पढ़ें- हरिद्वार के सुभाष चन्द्र घर-घर जाकर लोगों को बता रहे कोरोना से बचने के उपाय

इन थके हारे मजदूरों ने बताया कि वे सभी लोग हरिद्वार के उस इलाके से हैं जो उत्तर प्रदेश से लगता हुआ है. लिहाजा वहां तक पहुंचने के लिए उनके पास पैदल चलने के सिवा कोई चारा नहीं है. मजदूरों के इस ग्रुप में कुछ युवा और कुछ उम्रदराज लोग शामिल थे जो कि इस मुश्किल समय में एक दूसरे को ढांढ़स बंधाकर आगे बढ़ रहे थे. इन सभी के कंपकंपाते होंठ और भूख प्यास से ढीली पड़ चुकी देह इन सबकी कठिनाइयों को खुद ही बयां कर देती है.

देहरादून: पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद जो लोग जहां फंसे हैं वहां अब उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था बेहद मुश्किल से हो रही है. जिसके कारण हैरान परेशान लोगों ने पैदल ही अपने घरों की ओर चलना शुरू कर दिया है. ऐसे दौर में अपनों से दूर और परेशानियों की गठरी उठाये कुछ दिहाड़ी-मजदूरों से हमारे संवाददाता किरणकांत शर्मा ने बात की. ये सभी बदरीनाथ धाम में मजदूरी का काम कर रहे थे. लॉकडाउन के आदेशों के बाद ये सभी अपनों से मिलने पैदल 'मार्च' करते हुए निकल पड़े हैं.

उत्तराखंड में इन जैसे कई ऐसे दिहाड़ी मजदूर हैं जो कि घर से कोसों दूर दो वक्त की रोटी के लिए खून पसीना बहा रहे है. ऐसे मुश्किल हालातों में जब चारों और सन्नाटा पसरा है ये सभी मजदूर अपनों के पास पहुंचना चाहते हैं. अपनों का आसरा और पेट की भूख ने इनकी इस कसक को और बढ़ा दिया है. जिसके कारण ये मजदूर सहूलियतों और संसाधनों के न होने के बाद भी अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं.

घंटों से भूखे-प्यासे पैदल चल रहे मजदूरों की सुनो 'सरकार'

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ऐसे ही मजदूरों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन का एलान हुआ उन्हें अपनों की खैरियत और सलामती की चिंता सताने लगी. जिसके कारण वे सभी 25 तारीख की सुबह 4 बजे बदरीनाथ से पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े.

पढ़ें- कोरोना इफेक्ट: लॉकडाउन के बाद घर के लिए पैदल निकले मजदूर, नहीं मिल रहा भोजन

चेहरे पर उदासी, आंखों में आंसू और डगमगाए पैरों से आगे बढ़ते हुए इन लोगों के चेहरों पर अपने से दूरी का दर्द साफ झलक रहा था. आखों के कोरों से छलकते आंसू और कंधों पर जिम्मेदारी की गठरी उठाये ये लोग इस बार वापस घर की ओर लौट रहे थे. जिसकी चमक तमाम मुश्किलों के बाद भी इनके चेहरों पर थी. इन मजदूरों ने बताया कि ये तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए भूखे-प्यासे लगातार चल रहे हैं.

पढ़ें- हरिद्वार के सुभाष चन्द्र घर-घर जाकर लोगों को बता रहे कोरोना से बचने के उपाय

इन थके हारे मजदूरों ने बताया कि वे सभी लोग हरिद्वार के उस इलाके से हैं जो उत्तर प्रदेश से लगता हुआ है. लिहाजा वहां तक पहुंचने के लिए उनके पास पैदल चलने के सिवा कोई चारा नहीं है. मजदूरों के इस ग्रुप में कुछ युवा और कुछ उम्रदराज लोग शामिल थे जो कि इस मुश्किल समय में एक दूसरे को ढांढ़स बंधाकर आगे बढ़ रहे थे. इन सभी के कंपकंपाते होंठ और भूख प्यास से ढीली पड़ चुकी देह इन सबकी कठिनाइयों को खुद ही बयां कर देती है.

Last Updated : Mar 27, 2020, 10:21 AM IST
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