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उत्तराखंड में पल-पल रंग बदल रहा कोरोना, 'सरकार' की पेशानी पर पड़े बल

उत्तराखंड में हर बीते दिन के साथ कोरोना का कहर ही बढ़ता जा रहा है. जिसके कारण सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ने लगी हैं.

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उत्तराखंड में पल-पल रंग बदल रहा कोरोना
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Published : Jul 17, 2020, 8:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां हर पल बदल रही हैं. कभी करोना को लेकर प्रदेश में हालात सामान्य होते हैं तो कभी एक ही दिन में 199 मामले सरकार की पेशानी पर बल ला देते हैं. प्रदेश में कोरोना की बदलती स्थिति से सरकार और स्वास्थ्य विभाग चिंतित हैं. इसके साथ ही आम लोगों की भी परेशानियां भी बढ़ रही है.

उत्तराखंड में मार्च महीने से शुरू हुआ लॉकडाउन अब भी जारी है. 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 को देखते हुए एक दिन के होम क्वारंटाइन का संदेश दिया था जो कि बढ़ते-बढ़ते महीनों तक चला गया. हालांकि, इस बीच अनलॉक की प्रक्रिया भी शुरू हुई. धीरे-धीरे देश की अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें भी तेज की गई हैं. मगर, देश और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों ने सरकारों की चिंताएं बढ़ा दी है. वहीं, इसे लेकर हर दिन जारी होती नई गाइडलाइन्स ने भी जनता को उहापोह की स्थिति में डाल दिया है.

उत्तराखंड में पल-पल रंग बदल रहा कोरोना

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खास बात यह है कि कोरोना काल मे मरीजों की दवाईयों से लेकर सरकार के नियम तक में हर-रोज बदल रहे हैं. कोरोना संक्रमण का पहला मामला आने के बाद उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था, इस मामले में न केवल पॉजिटिव पाए गए आईएफएस अधिकारी को आइसोलेट किया गया, बल्कि एफआरआई जैसे बड़े संस्थान को भी पूरी तरह से सील कर दिया गया था.

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इसके बाद एक मामला सामने आने पर ही पूरी कॉलोनी को प्रतिबंधित किए जाने की परिस्थितियां भी सबने देखी. मगर धीरे-धीरे बदलते वक्त के साथ परिस्थितियां भी सामान्य होती गई. देश में अनलॉक का प्रक्रिया के साथ ही प्रदेश में भी मॉल, बाजार खोले गये. इसके साथ ही क्वारंटाइन के नियमों में भी बदलाव किये गये. जिसके बाद लोगों में भी कोरोना को लेकर खास डर नहीं दिखाई दिया. हालांकि, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कोरोना के मामलों पर नजर कड़ी नजर रही.

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उधर, प्रदेश के कंटेनमेंट जोन को नियमों के तहत धीरे-धीरे खोला गया. वहीं, बाजारों और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क अनिवार्य कर दिया गया. अब तक प्रदेश में कोरोना को लेकर सराकर और प्रदेशवासी चिंतित तो थे मगर उतने नहीं. मगर, बुधवार को प्रदेश में एक बार फिर से कोरोना बम फटा. इस दिन पूरे प्रदेश में कोरोना के 199 मामले सामने आये. जिसने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नीदें उड़ा दी. जिससे निपटने के लिए एक बार फिर से सरकार ने प्रदेश में दो दिन लॉकडाउन का फैसला लिया है.

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स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी बताते हैं कि अभी तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण मामलों की बात करें तो ये प्रवासियों में ही सामने आये हैं. इन्हें रोकने के लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा सैंपल टेस्ट कराना चाहती है. उन्होंने बताया संक्रमण को लेकर मई महीने में मामले बढ़ने शुरू हुए थे जो जून में भी तेजी से बढ़ते रहे. जुलाई का महीना आते ही तमाम कंटेनमेंट जोन खुलने शुरू हो गये. जिसके बाद प्रदेश में कोरोना के नियंत्रण में आने के सिग्नल भी मिलने लगे. राज्य का रिकवरी रेट भी इसकी तस्दीक करने लगे. मगर, कुछ दिनों में जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं उसके बाद से प्रदेश में एक बार फिर से कोरोना का संकट बढ़ता दिखाई दे रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां हर पल बदल रही हैं. कभी करोना को लेकर प्रदेश में हालात सामान्य होते हैं तो कभी एक ही दिन में 199 मामले सरकार की पेशानी पर बल ला देते हैं. प्रदेश में कोरोना की बदलती स्थिति से सरकार और स्वास्थ्य विभाग चिंतित हैं. इसके साथ ही आम लोगों की भी परेशानियां भी बढ़ रही है.

उत्तराखंड में मार्च महीने से शुरू हुआ लॉकडाउन अब भी जारी है. 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 को देखते हुए एक दिन के होम क्वारंटाइन का संदेश दिया था जो कि बढ़ते-बढ़ते महीनों तक चला गया. हालांकि, इस बीच अनलॉक की प्रक्रिया भी शुरू हुई. धीरे-धीरे देश की अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें भी तेज की गई हैं. मगर, देश और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों ने सरकारों की चिंताएं बढ़ा दी है. वहीं, इसे लेकर हर दिन जारी होती नई गाइडलाइन्स ने भी जनता को उहापोह की स्थिति में डाल दिया है.

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खास बात यह है कि कोरोना काल मे मरीजों की दवाईयों से लेकर सरकार के नियम तक में हर-रोज बदल रहे हैं. कोरोना संक्रमण का पहला मामला आने के बाद उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था, इस मामले में न केवल पॉजिटिव पाए गए आईएफएस अधिकारी को आइसोलेट किया गया, बल्कि एफआरआई जैसे बड़े संस्थान को भी पूरी तरह से सील कर दिया गया था.

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इसके बाद एक मामला सामने आने पर ही पूरी कॉलोनी को प्रतिबंधित किए जाने की परिस्थितियां भी सबने देखी. मगर धीरे-धीरे बदलते वक्त के साथ परिस्थितियां भी सामान्य होती गई. देश में अनलॉक का प्रक्रिया के साथ ही प्रदेश में भी मॉल, बाजार खोले गये. इसके साथ ही क्वारंटाइन के नियमों में भी बदलाव किये गये. जिसके बाद लोगों में भी कोरोना को लेकर खास डर नहीं दिखाई दिया. हालांकि, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की कोरोना के मामलों पर नजर कड़ी नजर रही.

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उधर, प्रदेश के कंटेनमेंट जोन को नियमों के तहत धीरे-धीरे खोला गया. वहीं, बाजारों और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क अनिवार्य कर दिया गया. अब तक प्रदेश में कोरोना को लेकर सराकर और प्रदेशवासी चिंतित तो थे मगर उतने नहीं. मगर, बुधवार को प्रदेश में एक बार फिर से कोरोना बम फटा. इस दिन पूरे प्रदेश में कोरोना के 199 मामले सामने आये. जिसने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नीदें उड़ा दी. जिससे निपटने के लिए एक बार फिर से सरकार ने प्रदेश में दो दिन लॉकडाउन का फैसला लिया है.

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स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी बताते हैं कि अभी तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण मामलों की बात करें तो ये प्रवासियों में ही सामने आये हैं. इन्हें रोकने के लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा सैंपल टेस्ट कराना चाहती है. उन्होंने बताया संक्रमण को लेकर मई महीने में मामले बढ़ने शुरू हुए थे जो जून में भी तेजी से बढ़ते रहे. जुलाई का महीना आते ही तमाम कंटेनमेंट जोन खुलने शुरू हो गये. जिसके बाद प्रदेश में कोरोना के नियंत्रण में आने के सिग्नल भी मिलने लगे. राज्य का रिकवरी रेट भी इसकी तस्दीक करने लगे. मगर, कुछ दिनों में जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं उसके बाद से प्रदेश में एक बार फिर से कोरोना का संकट बढ़ता दिखाई दे रहा है.

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