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उत्तराखंड के पौड़ी से शुरू हुआ बिपिन रावत का सफर, तमिलनाडु के कुन्नूर में हुआ खत्म

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Published : Dec 8, 2021, 6:28 PM IST

सीडीएस बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर हादसे में निधन (death of cds bipin rawat) हो गया है. इंडियन एयरफोर्स ने इसकी पुष्टि की. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर सीडीएस बिपिन रावत की मौत का दुखद समाचार दिया. बिपिन रावत का निधन देश के लिए बड़ी क्षति है. रावत का हेलीकॉप्टर तमिलनाडु कुन्नूर में वेलिंगटन आर्मी सेंटर में प्रशिक्षण के दौरान एक होटल के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हेलीकॉप्टर में बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका समेत 14 लोग सवार थे. हेलीकॉप्टर हादसे की खबर लगते ही सेना और पुलिस ने रेस्क्यू किया. वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी भी घटनास्थल पर पहुंचे.

CDS Bipin Rawat
बिपिन रावत

देहरादून: CDS बिपिन रावत अब हमारे बीच नहीं रहे. तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर क्रैश में उनकी मौत हो गई. हेलीकॉप्टर में बिपिन रावत की पत्नी समेत सेना के उच्च अधिकारियों को मिलाकर 14 लोग थे. इस खबर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस बिपिन रावत के दिल्ली स्थित घर पर पहुंचे. देशभर समेत उत्तराखंड में इस जांबांज अफसरों की सलामती के लिए दुआओं का दौर जारी था. उत्तराखंड में रह रहे उनके परिजन उनका हालचाल जानने को बेहद चिंतित थे.

बिपिन रावत ने देहरादून आईएमए (Dehradun IMA) से निकलकर देश की सेना के सर्वोच्च पद को सुशोभित किया था. थल सेनाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें देश का पहला सीडीएस बनाया गया. आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

कौन थे सीडीएस बिपिन रावत?

जन्म के समय से ही बिपिन रावत का पहाड़ों से गहरा नाता रहा है. शायद ये एक बड़ी वजह थी कि उनके इरादे चट्टानों की तरह मजबूत थे. बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे. उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई शिमला के एडवर्ड स्कूल में हुई. वो बचपन से ही चट्टानों और वादियों के बीच घिरे रहे. उनके पिता एलएस रावत भी सेना में बड़े अधिकारी थे. वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.

1978 में आईएमए से पास आउट हुए

साल 1978 में बिपिन रावत को देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने पर 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन के लिए चयनित किया गया. बिपिन रावत भारतीय सैन्य एकेडमी के बेस्ट कैडेट थे. उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था.

अनेक सम्मान मिले थे

सीडीएस बिपिन रावत को उनके पूरे करियर में अनेकों सम्मान से नवाजा जा चुका था. जिनमें अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल आदि जैसे कई सम्मान शामिल हैं.

अनुभवों से भरपूर थे

सीडीएस और सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने से पहले बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था. उन्हें कांगो में यूएन के पीस कीपिंग मिशन में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल और फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा चुका है.

बिपिन रावत ने कई लेख लिखे थे

बिपिन रावत ने कई लेख लिखे, जो दुनियाभर में काफी मशहूर हुए. जनरल बिपिन रावत के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनियाभर के कई जर्नल्स में प्रकाशित भी किए जा चुके हैं.

मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध किया था

सीडीएस बिपिन रावत के हुनर की जितनी सराहना की जाए, वो कम ही होगी. सीडीएस बिपिन रावत को मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से भी नवाजा जा चुका था.

आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर से निपटना जानते थे

बिपिन रावत को उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से सबसे सही विकल्प माना गया.

पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक

उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने तत्कालीन जनरल बिपिन रावत के ही नेतृत्‍व में 29 सितंबर 2016 को पाकिस्‍तान में स्थित आतंकी शिविरों को ध्‍वस्‍त करने के लिए सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी. भारत द्वारा पाकिस्‍तान की सीमा में की गई इस तरह की ये पहली स्‍ट्राइक थी.

इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को हर तरह से ट्रेंड पैरा कमांडो ने अंजाम दिया था. इसके ऑपरेशन के लिए जहां जमीन पर कमांडोज ने अपनी सटीक भूमिका निभाई थी. वहीं अं‍तरिक्ष में मौजूद भारतीय सेटेलाइट की भी मदद ली गई थी. रातों-रात हुई इस स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्‍तान बुरी तरह से बौखला गया था. इस स्‍ट्राइक से पाकिस्‍तान की काली करतूतों को दुनिया के सामने लाया गया था.

म्यांमार में स्ट्राइक

म्यांमार में जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे.

पिता से मिली थी सेना में जाने की प्रेरणा

सेना में उनकी सेवा को देखते हुए उन्‍हें उत्तर युद्ध सेवा मेडल, एवीएसएम, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल मिल चुका थे. बता दें कि जनरल रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे और 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे. उनका नाम लक्ष्‍मण सिंह रावत था. बिपिन रावत को सेना में जाने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली थी.

ये भी पढ़ें: तमिलनाडु में सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, तीन की मौत

सीडीएस बिपिन रावत की उपलब्धियां

  • म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ सफल सर्जिकल स्ट्राइक.
  • म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक वाली टीम को बिपिन रावत ने लीड किया.
  • सितंबर 2016 में PoK सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई.
  • जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट.
  • जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका.
  • आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के टॉप कमांडर ढेर.
  • आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू किया.
  • सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाई.
  • सीजफायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया.
  • पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में मुखर रहे बिपिन रावत.

देहरादून: CDS बिपिन रावत अब हमारे बीच नहीं रहे. तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर क्रैश में उनकी मौत हो गई. हेलीकॉप्टर में बिपिन रावत की पत्नी समेत सेना के उच्च अधिकारियों को मिलाकर 14 लोग थे. इस खबर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस बिपिन रावत के दिल्ली स्थित घर पर पहुंचे. देशभर समेत उत्तराखंड में इस जांबांज अफसरों की सलामती के लिए दुआओं का दौर जारी था. उत्तराखंड में रह रहे उनके परिजन उनका हालचाल जानने को बेहद चिंतित थे.

बिपिन रावत ने देहरादून आईएमए (Dehradun IMA) से निकलकर देश की सेना के सर्वोच्च पद को सुशोभित किया था. थल सेनाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें देश का पहला सीडीएस बनाया गया. आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

कौन थे सीडीएस बिपिन रावत?

जन्म के समय से ही बिपिन रावत का पहाड़ों से गहरा नाता रहा है. शायद ये एक बड़ी वजह थी कि उनके इरादे चट्टानों की तरह मजबूत थे. बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे. उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई शिमला के एडवर्ड स्कूल में हुई. वो बचपन से ही चट्टानों और वादियों के बीच घिरे रहे. उनके पिता एलएस रावत भी सेना में बड़े अधिकारी थे. वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.

1978 में आईएमए से पास आउट हुए

साल 1978 में बिपिन रावत को देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने पर 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन के लिए चयनित किया गया. बिपिन रावत भारतीय सैन्य एकेडमी के बेस्ट कैडेट थे. उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था.

अनेक सम्मान मिले थे

सीडीएस बिपिन रावत को उनके पूरे करियर में अनेकों सम्मान से नवाजा जा चुका था. जिनमें अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल आदि जैसे कई सम्मान शामिल हैं.

अनुभवों से भरपूर थे

सीडीएस और सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने से पहले बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था. उन्हें कांगो में यूएन के पीस कीपिंग मिशन में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल और फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा चुका है.

बिपिन रावत ने कई लेख लिखे थे

बिपिन रावत ने कई लेख लिखे, जो दुनियाभर में काफी मशहूर हुए. जनरल बिपिन रावत के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनियाभर के कई जर्नल्स में प्रकाशित भी किए जा चुके हैं.

मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध किया था

सीडीएस बिपिन रावत के हुनर की जितनी सराहना की जाए, वो कम ही होगी. सीडीएस बिपिन रावत को मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से भी नवाजा जा चुका था.

आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर से निपटना जानते थे

बिपिन रावत को उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से सबसे सही विकल्प माना गया.

पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक

उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने तत्कालीन जनरल बिपिन रावत के ही नेतृत्‍व में 29 सितंबर 2016 को पाकिस्‍तान में स्थित आतंकी शिविरों को ध्‍वस्‍त करने के लिए सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी. भारत द्वारा पाकिस्‍तान की सीमा में की गई इस तरह की ये पहली स्‍ट्राइक थी.

इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को हर तरह से ट्रेंड पैरा कमांडो ने अंजाम दिया था. इसके ऑपरेशन के लिए जहां जमीन पर कमांडोज ने अपनी सटीक भूमिका निभाई थी. वहीं अं‍तरिक्ष में मौजूद भारतीय सेटेलाइट की भी मदद ली गई थी. रातों-रात हुई इस स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्‍तान बुरी तरह से बौखला गया था. इस स्‍ट्राइक से पाकिस्‍तान की काली करतूतों को दुनिया के सामने लाया गया था.

म्यांमार में स्ट्राइक

म्यांमार में जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे.

पिता से मिली थी सेना में जाने की प्रेरणा

सेना में उनकी सेवा को देखते हुए उन्‍हें उत्तर युद्ध सेवा मेडल, एवीएसएम, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल मिल चुका थे. बता दें कि जनरल रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर थे और 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे. उनका नाम लक्ष्‍मण सिंह रावत था. बिपिन रावत को सेना में जाने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली थी.

ये भी पढ़ें: तमिलनाडु में सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, तीन की मौत

सीडीएस बिपिन रावत की उपलब्धियां

  • म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ सफल सर्जिकल स्ट्राइक.
  • म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक वाली टीम को बिपिन रावत ने लीड किया.
  • सितंबर 2016 में PoK सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई.
  • जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट.
  • जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका.
  • आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के टॉप कमांडर ढेर.
  • आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू किया.
  • सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाई.
  • सीजफायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया.
  • पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में मुखर रहे बिपिन रावत.
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