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देहरादून: नवजात का हाल जानने अस्पताल पहुंची बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष, कही ये बड़ी बात

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा इस तरह का अमानवीय व्यवहार जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. अस्पताल पहुंची उषा नेगी को डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है.

नवजात का हालचाल जानने अस्पताल पहुंची बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष.
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Published : Oct 22, 2019, 6:01 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 7:17 PM IST

देहरादून: बीते रोज राजधानी देहरादून के रांझावाला क्षेत्र में ईंटों के बीच एक नवजात के मिलने की घटना सामने थी. सूचना मिलने के बाद तुरंत मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को महिला अस्पताल में भर्ती कराया. जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी दून महिला अस्पताल पहुंची. जहां उन्होंने चिकित्सकों से नवजात का हालचाल जाना. इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सकों को नवजात के समुचित इलाज के निर्देश दिये.

नवजात का हालचाल जानने अस्पताल पहुंची बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष.

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा इस तरह का अमानवीय व्यवहार जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. अस्पताल पहुंची उषा नेगी को डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. उसके अंगों को चूहों ने कुतरा है. जिस जगह पर बच्ची को फेंका गया था वहां उसे काफी यातना झेलनी पड़ी है.

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डॉक्टरों से नवजात का हाल लेने के बाद उषा नेगी ने कहा कि बच्ची के ठीक होने के बाद उसे बालिका निकेतन में शिफ्ट करा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग सिविल सोसाइटी में रहकर ऐसा काम कर रहे हैं उन पर लगातार नजर बनाए रखनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएं न हों. उषा नेगी ने कहा कि ऐसे लोगों को चाहिए कि बच्चे को छोड़ने की बजाय उन्हें सुरक्षित हाथों में पहुंचाया जाए. उन्होंने कहा कि बालिका निकेतन में एक पालना रखा हुआ है. वहां कई लोग नवजात शिशु छोड़ कर चले जाते हैं. इससे कम से कम वो बच्चे सुरक्षित तो हैं.

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उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण आयोग जल्द ही चाइल्ड हेल्पलाइन को एक एडवाइजरी जारी करने जा रहा है. जिसमें ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाएगा जहां पालनाघर बनाया जा सके. ताकि जिन माता-पिता को बच्चों की जरूरत न हो वो बच्चों को यहां सुरक्षित छोड़कर जा सकें.

पढ़ें-काशीपुर: दिनदहाड़े हुई युवती की हत्या, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

बता दें कि रायपुर क्षेत्र के रांझावाला में सोमवार को ईटों के बीच एक नवजात बच्ची पड़ी हुई मिली थी. नवजात के रोने की आवाज सुनकर वहां से गुजर रहे राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद पुलिस ने नवजात बच्ची को दून महिला अस्पताल में भर्ती करवाया. दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. केके टम्टा के मुताबिक बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है. मगर उसके हाथ और पांव की कुछ अंगुलियां काली पड़ी हुई हैं.

देहरादून: बीते रोज राजधानी देहरादून के रांझावाला क्षेत्र में ईंटों के बीच एक नवजात के मिलने की घटना सामने थी. सूचना मिलने के बाद तुरंत मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को महिला अस्पताल में भर्ती कराया. जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी दून महिला अस्पताल पहुंची. जहां उन्होंने चिकित्सकों से नवजात का हालचाल जाना. इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सकों को नवजात के समुचित इलाज के निर्देश दिये.

नवजात का हालचाल जानने अस्पताल पहुंची बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष.

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा इस तरह का अमानवीय व्यवहार जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. अस्पताल पहुंची उषा नेगी को डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. उसके अंगों को चूहों ने कुतरा है. जिस जगह पर बच्ची को फेंका गया था वहां उसे काफी यातना झेलनी पड़ी है.

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डॉक्टरों से नवजात का हाल लेने के बाद उषा नेगी ने कहा कि बच्ची के ठीक होने के बाद उसे बालिका निकेतन में शिफ्ट करा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग सिविल सोसाइटी में रहकर ऐसा काम कर रहे हैं उन पर लगातार नजर बनाए रखनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएं न हों. उषा नेगी ने कहा कि ऐसे लोगों को चाहिए कि बच्चे को छोड़ने की बजाय उन्हें सुरक्षित हाथों में पहुंचाया जाए. उन्होंने कहा कि बालिका निकेतन में एक पालना रखा हुआ है. वहां कई लोग नवजात शिशु छोड़ कर चले जाते हैं. इससे कम से कम वो बच्चे सुरक्षित तो हैं.

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उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण आयोग जल्द ही चाइल्ड हेल्पलाइन को एक एडवाइजरी जारी करने जा रहा है. जिसमें ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाएगा जहां पालनाघर बनाया जा सके. ताकि जिन माता-पिता को बच्चों की जरूरत न हो वो बच्चों को यहां सुरक्षित छोड़कर जा सकें.

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बता दें कि रायपुर क्षेत्र के रांझावाला में सोमवार को ईटों के बीच एक नवजात बच्ची पड़ी हुई मिली थी. नवजात के रोने की आवाज सुनकर वहां से गुजर रहे राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद पुलिस ने नवजात बच्ची को दून महिला अस्पताल में भर्ती करवाया. दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. केके टम्टा के मुताबिक बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है. मगर उसके हाथ और पांव की कुछ अंगुलियां काली पड़ी हुई हैं.

Intro:राजधानी देहरादून के रांझावाला क्षेत्र में कोई नवजात को ईटों के बीच में छोड़कर चला गया। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने बच्ची को महिला अस्पताल में भर्ती करा दिया, आज मामले की गंभीरता को देखते हुए बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा ऊषा नेगी दून महिला अस्पताल पहुंची, और वहां मौजूद चिकित्सकों से बच्ची का हाल-चाल जानते हुए उसका समुचित इलाज करने को कहा।
नोट- कृपया 2 दिन की नवजात बच्ची के विजुअल्स और फोटो मेल से उठाने का कष्ट करें।


Body:बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष आशा नेगी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि नवजात के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया गया है वह एक जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि नवजात बच्ची की स्थिति बेहद नाजुक है और उसके अंगों को चूहों ने कुतर रखा है। जिस जगह पर बच्ची को फेंका गया था वहां उसको काफी यातना झेलनी पड़ी है। नवजात बच्ची के ठीक होने के बाद उसे बालिका निकेतन में शिफ्ट करा दिया जाएगा हालांकि उन्होंने कहा कि जो लोग सिविल सोसाइटी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं उन्हें ऐसे लोगों पर नजर बनाकर रखनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि ऐसी अपराधी प्रवृत्ति के वे लोग कौन हैं। उषा नेगी ने कहा कि ऐसे लोगों को चाहिए कि बच्चे को छोड़ने की बजाय उन्हें सुरक्षित जगह पर रख दिया जाए ताकि जिन माता पिता को बच्चों की आवश्यकता है, वो उसकी परवरिश कर सकें ताकि ऐसे बच्चों को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान हो सके। उन्होंने कहा कि बालिका निकेतन में एक पालना रखा हुआ है और वहां कई लोग नवजात शिशु छोड़ कर चले जाते हैं ।इससे कम से कम वो बच्चा सुरक्षित हो जाता है। बाल संरक्षण आयोग जल्द ही चाइल्ड हेल्पलाइन को एक एडवाइजरी जारी करने जा रहा है कि ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाए जहां पालनाघर बनाये जा सके और जिन माता-पिता को बच्चों की जरूरत है उन्हें सुरक्षित हाथों में सौंपा जा सके।

बाइट- उषा नेगी, अध्यक्षा बाल संरक्षण आयोग


Conclusion: दरअसल रायपुर क्षेत्र के रांझावाला में सोमवार को ईटों के बीच एक नवजात बच्ची पड़ी हुई मिली थी। नवजात के रोने की आवाज सुनकर वहां से गुजर रहे राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद पुलिस ने नवजात बच्ची को दून महिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। फिलहाल महिला अस्पताल के निक्कू वार्ड में भर्ती बच्ची की हालत को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा ने नवजात बच्ची की हालत नाजुक बताई है,तो वहीं दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ केके टम्टा के मुताबिक बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है मगर उसके हाथ और पांव की कुछ उंगलिया काली पड़ी हुई है।
Last Updated : Oct 22, 2019, 7:17 PM IST
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