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बेटियों को शिक्षित करने के लिए शुरू की गई नंदा-गौरा योजना, गरीब परिवारों को मिलेगा लाभ - Uttarakhand Latest News

राज्य सरकार ने नंदा देवी और गौरा देवी योजना का विलय करते हुए नंदा-गौरा योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत एक ही बार में बच्ची के खाते में पूरी रकम डाली जा रही है. जिससे लोग इसका आसानी से लाभ से सकते हैं.

बेटियों को शिक्षित करने के लिए शुरू की गई नंदा-गौरा योजना
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Published : Sep 15, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Sep 15, 2019, 5:36 PM IST

देहरादून: साल 2017 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई नंदा देवी और गौरा देवी योजना में बदलाव किया गया है. इन दोनों योजनाओं को विलय कर इसे नंदा-गौरा योजना का नाम दे दिया गया है. वहीं अब इस योजना कि जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की जगह महिला सशक्तिकरण विभाग को दे दी गई है. प्रदेश में नंदा-गौरा योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में लिंगानुपात को कम करना और बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है.

बेटियों को शिक्षित करने के लिए शुरू की गई नंदा-गौरा योजना

बता दें कि नंदा- गौरा योजना के तहत बच्ची के जन्म के दौरान परिजनों को 11 हजार रुपए देने का प्रावधान है. इसके अलावा बच्ची के 12 वीं पास करने पर इस योजना के तहत खाते में 51000 डाले जाने का प्रावधान. जिसका इस्तेमाल बच्ची अपनी आगे की जिंदगी को संवारने के लिए कर सकती है. इस योजना का लाभ उत्तराखंड का कोई भी मूल निवासी जिसकी न्यूनतम आय 72000 रुपए तक है ले सकता है. वहीं, इस योजना से लाभान्वित होने के लिए एक परिवार की 2 बेटियां ही पात्र मानी जांएगी.

पढ़ें-उत्तराखंडः प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा बना गले की फांस, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य निशाने पर

नंदा गौरा योजना के विषय मे जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि इस योजना को साल 2017 में शुरू किया गया था. तब बच्ची के खाते में किस्तों में पैसे डाले जाते थे. जिसकी वजह से यह योजना काफी कम लोगों को आकर्षित कर पाई थी. रेखा आर्य ने बताया कि अब इस योजना में एक ही बार में बच्ची के खाते में पूरी रकम डाली जा रही है. जिससे लोग इसका आसानी से लाभ से सकते हैं.

देहरादून: साल 2017 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई नंदा देवी और गौरा देवी योजना में बदलाव किया गया है. इन दोनों योजनाओं को विलय कर इसे नंदा-गौरा योजना का नाम दे दिया गया है. वहीं अब इस योजना कि जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की जगह महिला सशक्तिकरण विभाग को दे दी गई है. प्रदेश में नंदा-गौरा योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में लिंगानुपात को कम करना और बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है.

बेटियों को शिक्षित करने के लिए शुरू की गई नंदा-गौरा योजना

बता दें कि नंदा- गौरा योजना के तहत बच्ची के जन्म के दौरान परिजनों को 11 हजार रुपए देने का प्रावधान है. इसके अलावा बच्ची के 12 वीं पास करने पर इस योजना के तहत खाते में 51000 डाले जाने का प्रावधान. जिसका इस्तेमाल बच्ची अपनी आगे की जिंदगी को संवारने के लिए कर सकती है. इस योजना का लाभ उत्तराखंड का कोई भी मूल निवासी जिसकी न्यूनतम आय 72000 रुपए तक है ले सकता है. वहीं, इस योजना से लाभान्वित होने के लिए एक परिवार की 2 बेटियां ही पात्र मानी जांएगी.

पढ़ें-उत्तराखंडः प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा बना गले की फांस, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य निशाने पर

नंदा गौरा योजना के विषय मे जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि इस योजना को साल 2017 में शुरू किया गया था. तब बच्ची के खाते में किस्तों में पैसे डाले जाते थे. जिसकी वजह से यह योजना काफी कम लोगों को आकर्षित कर पाई थी. रेखा आर्य ने बताया कि अब इस योजना में एक ही बार में बच्ची के खाते में पूरी रकम डाली जा रही है. जिससे लोग इसका आसानी से लाभ से सकते हैं.

Intro:देहरादून- साल 2017 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई नंदा देवी और गौरा देवी योजना का विलय कर इसे नंदा गौरा योजना का नाम दे दिया गया है । वहीं अब इस योजना कि जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की जगह महिला सशक्तिकरण विभाग सम्हाल रहा है ।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नंदा- गौरा योजना के तहत बच्ची के जन्म के दौरान बच्ची के परिजनों को 11 हजार रुपए दने के प्रावधान है । इसके अलाबा बच्ची के द्वारा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण किया जाने पर योजना के तहत बच्ची के खाते में 51000 डाले जाने का प्रावधान । जिससे बच्ची अपनी आगे की जिंदगी को सवारने में इस्तमाल कर सकती है ।




Body:बता दें कि नंदा-गौरा योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में लिंगानुपात को कम करना और बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है । इस योजना का लाभ उत्तराखंड का कोई भी मूल निवासी ले सकता है । जिसकी न्यूनतम आय 72000 रुपए तक है । वहीं इस योजना से लाभान्वित होने के लिए एक परिवार की 2 बेटियां की पात्र मानी जाएगी ।




Conclusion:नंदा गौरा योजना के विषय मे जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि इस योजना को साल 2017 में जब शुरू किया गया था तब बच्ची के खाते में किस्तों में पैसे डाले जाते थे । जिसकी वजह से यह योजना काफी कम लोगो को आकर्षित कर पाई थी । लेकिन अब इस योजना के तहत एक बार में बच्ची के खाते में पूरी रकम डाली जा रही है । जिसकी वजह से लोगो को अब बच्ची का घर में जन्म लेना एक बोझ नही रहा।
Last Updated : Sep 15, 2019, 5:36 PM IST
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