देहरादून: साल 2017 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई नंदा देवी और गौरा देवी योजना में बदलाव किया गया है. इन दोनों योजनाओं को विलय कर इसे नंदा-गौरा योजना का नाम दे दिया गया है. वहीं अब इस योजना कि जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की जगह महिला सशक्तिकरण विभाग को दे दी गई है. प्रदेश में नंदा-गौरा योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में लिंगानुपात को कम करना और बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना है.
बता दें कि नंदा- गौरा योजना के तहत बच्ची के जन्म के दौरान परिजनों को 11 हजार रुपए देने का प्रावधान है. इसके अलावा बच्ची के 12 वीं पास करने पर इस योजना के तहत खाते में 51000 डाले जाने का प्रावधान. जिसका इस्तेमाल बच्ची अपनी आगे की जिंदगी को संवारने के लिए कर सकती है. इस योजना का लाभ उत्तराखंड का कोई भी मूल निवासी जिसकी न्यूनतम आय 72000 रुपए तक है ले सकता है. वहीं, इस योजना से लाभान्वित होने के लिए एक परिवार की 2 बेटियां ही पात्र मानी जांएगी.
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नंदा गौरा योजना के विषय मे जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि इस योजना को साल 2017 में शुरू किया गया था. तब बच्ची के खाते में किस्तों में पैसे डाले जाते थे. जिसकी वजह से यह योजना काफी कम लोगों को आकर्षित कर पाई थी. रेखा आर्य ने बताया कि अब इस योजना में एक ही बार में बच्ची के खाते में पूरी रकम डाली जा रही है. जिससे लोग इसका आसानी से लाभ से सकते हैं.