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ये देवडोली खुद तय करती है अपना मार्ग, सदियों से चली आ रही परंपरा - Baba Vishwanath and Mother Dagali of Mother Jagdishila

बाबा विश्वनाथ और मां जगदीशिला की देव डोली, जो आज भी यात्रा के लिए खुद अपना चुनती है. साथ ही इस यात्रा में मां जागेश्वरी लाखों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण कर उन्हें आशीर्वाद देती है. इस साल भी 18 मई से यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है.

मां जागेश्वरी की डोली से आशीर्वाद लेते श्रद्धालु.
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Published : May 4, 2019, 3:37 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में साक्षात देवों का वास है. जिसके प्रमाण आज भी देवभूमि में देखने को मिलते हैं. ऐसा ही एक अद्भुत प्रमाण है बाबा विश्वनाथ और मां जगदीशिला की देव डोली, जो आज भी यात्रा के लिए खुद अपना चुनती है. साथ ही इस यात्रा में मां जागेश्वरी लाखों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण कर उन्हें आशीर्वाद देती है. इस साल भी 18 मई से यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है.

जानकारी देते डोली रथ यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी.

बता दें कि आदि काल से चली आ रही देवभूमि की लोक परंपरा आज भी उत्तराखंड के देव अंचलों में अपना अद्भुत प्रभाव डालती है. ऐसा ही एक अविस्मरणीय मंजर बाबा विश्वनाथ एवं मां जगदिशिला देव डोली रथ यात्रा में देखने को मिलता है. गुरु वशिष्ठ और व्यवहारिक देवांत के धनी स्वामी रामतीर्थ की तपस्थली उत्तराखंड के टिहरी जनपद में मौजूद पट्टी ग्यारहगांव-हिंदाव के विशोन पर्वत के लिए इस यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से होती है.

इस साल भी 18 मई को इस यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है. अपनी यात्रा के दौरान ये देव डोली उत्तराखंड के 13 जनपदों में दस हजार पांच सौ किलोमीटर की दूरी तय करती है. इस बार ये देवयात्रा 18 मई को हरिद्वार से शुरू होकर सभी 13 जिलों में होते हुए 12 जून को गंगा दशहरा के शुभ पर्व पर विशोन पर्वत के नीलाछाड़ में अपने तय कार्यक्रमों के तहत विधि-विधान से सम्पन्न होगी.

देव डोली की है ये खास विशेषता

ये देवडोली आदि काल से देवभूमि के लोगों की आस्था का केंद्र रही है. भक्तों का कहना है कि इस देवडोली में एक विशेष तरह की वाइब्रेशन होती है, जिसे देवंश कहते है और ये डोली खुद ही अपना मार्ग तय करती है. देव डोली के साथ मौजूद पुजारी डोली के आदेशों का पालन करते हुए अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हैं.

ये भी पढ़े: इस बार 'अतिथि देवो भव:' की थीम पर चारधाम यात्रा, श्रद्धालुओं का फूल-माला से होगा स्वागत

इस देव डोली यात्रा के बारें में पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी बताते हैं कि हमेशा से ये देवडोली कई लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती आई है. जिसके बाद इस पर लोगों में आस्था और मजबूत हुई है. नैथानी का कहना है कि ये देव डोली अपने मार्ग में आने वाली सभी महिलाओं पर विशेष कृपा बनाती है. साथ ही मार्ग में पड़ने वाली किसी नकारात्मक शक्तियों का चिन्हिकरण भी करती है.

देहरादून: उत्तराखंड में साक्षात देवों का वास है. जिसके प्रमाण आज भी देवभूमि में देखने को मिलते हैं. ऐसा ही एक अद्भुत प्रमाण है बाबा विश्वनाथ और मां जगदीशिला की देव डोली, जो आज भी यात्रा के लिए खुद अपना चुनती है. साथ ही इस यात्रा में मां जागेश्वरी लाखों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण कर उन्हें आशीर्वाद देती है. इस साल भी 18 मई से यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है.

जानकारी देते डोली रथ यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी.

बता दें कि आदि काल से चली आ रही देवभूमि की लोक परंपरा आज भी उत्तराखंड के देव अंचलों में अपना अद्भुत प्रभाव डालती है. ऐसा ही एक अविस्मरणीय मंजर बाबा विश्वनाथ एवं मां जगदिशिला देव डोली रथ यात्रा में देखने को मिलता है. गुरु वशिष्ठ और व्यवहारिक देवांत के धनी स्वामी रामतीर्थ की तपस्थली उत्तराखंड के टिहरी जनपद में मौजूद पट्टी ग्यारहगांव-हिंदाव के विशोन पर्वत के लिए इस यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से होती है.

इस साल भी 18 मई को इस यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है. अपनी यात्रा के दौरान ये देव डोली उत्तराखंड के 13 जनपदों में दस हजार पांच सौ किलोमीटर की दूरी तय करती है. इस बार ये देवयात्रा 18 मई को हरिद्वार से शुरू होकर सभी 13 जिलों में होते हुए 12 जून को गंगा दशहरा के शुभ पर्व पर विशोन पर्वत के नीलाछाड़ में अपने तय कार्यक्रमों के तहत विधि-विधान से सम्पन्न होगी.

देव डोली की है ये खास विशेषता

ये देवडोली आदि काल से देवभूमि के लोगों की आस्था का केंद्र रही है. भक्तों का कहना है कि इस देवडोली में एक विशेष तरह की वाइब्रेशन होती है, जिसे देवंश कहते है और ये डोली खुद ही अपना मार्ग तय करती है. देव डोली के साथ मौजूद पुजारी डोली के आदेशों का पालन करते हुए अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हैं.

ये भी पढ़े: इस बार 'अतिथि देवो भव:' की थीम पर चारधाम यात्रा, श्रद्धालुओं का फूल-माला से होगा स्वागत

इस देव डोली यात्रा के बारें में पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी बताते हैं कि हमेशा से ये देवडोली कई लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती आई है. जिसके बाद इस पर लोगों में आस्था और मजबूत हुई है. नैथानी का कहना है कि ये देव डोली अपने मार्ग में आने वाली सभी महिलाओं पर विशेष कृपा बनाती है. साथ ही मार्ग में पड़ने वाली किसी नकारात्मक शक्तियों का चिन्हिकरण भी करती है.

Intro:Note- एक फाइल फुटेज Mail से भेजा जा रहा है।

ये दैव डोली खुद चुनती है अपना रास्ता- Special


एंकर- देवभूमि अपने देवत्व के लिए आदिकाल से प्रचलित है और इसके सक्षम प्रमाण आज भी उत्तराखंड में देखने को मिलते हैं ऐसा ही एक अद्भुत प्रमाण है बाबा विश्वनाथ और मां जगदिशिला की देव डोली जो आज भी अपनी यात्रा के लिए खुद अपना रास्ता तय करती है और इस यात्रा में माँ जागेश्वरी लाखों श्रद्धालुओं को की मनोकामना पूरी कर उन्हें आशीर्वाद देती है।


Body:वीओ- आदि काल से चली आ रही देवभूमि उत्तराखंड की लोक परंपरा आज भी उत्तराखंड के देव अंचलों में अपना अद्भुत प्रभाव डालती है। ऐसा ही एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है श्री बाबा विश्वनाथ एवं मां जगदिशिला देव डोली रथ यात्रा में।

गुरु वशिष्ठ और व्यवहारिक देवांत के धनी स्वामी रामतीर्थ की तपस्थली उत्तराखंड के टिहरी जनपद में मौजूद पट्टी ग्यारहगांव-हिंदाव के विशोन पर्वत के लिए इस यात्रा की शुरुवात हरिद्वार से होती है। इसी तरह से इस बार भी 18 मई को इस यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी हरिद्वार से होने जा रही है। अपनी यात्रा के दौरान ये देव डोली उत्तराखंड के 13 जनपदों में दस हजार पांच सौ किलोमीटर की दूरी तय करती है। इस बार ये देव यात्रा 18 मई को हरिद्वार से शुरू होकर सभी 13 जिलों में होते हुए 12 जून को गंगा दशहरा के शुभ पर्व पर विशोन पर्वत के नीलाछाड़ में अपने तय कार्यक्रमों के तहत विधि-विधान से सम्प्पन होगी।

बाइट- मंत्री प्रसाद नैथानी, डोली रथ यात्रा संयोजक


देव डोली की है ये खास विशेषता---
ये देव डोली आदि काल से देवभूमि के लोगों की आस्था का केंद्र रही है। लोग बताते हैं कि इस देव डोली में एक विशेष तरह की वाइब्रेशन होती जिसे देवंश कहते है और ये डोली खुद ही अपना मार्ग तय करती है। देव डोली के साथ मौजूद पुजारी डोली के आदेशों का पालन करते हुए अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हैं। इस देव डोली यात्रा में सेवा भाव से समर्पित पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी बताते हैं कि हमेशा से ये देव डोली कई लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती आई है जिसके बाद इस पर लोगों में आस्था और बढ़ी है। नैथानी बताते हैं कि ये देव डोली अपने मार्ग में आने वाले सभी महिलाओं पर विशेष कृपा बनाती है साथ ही मार्ग में पड़ने वाले कीसी नकारात्मक शक्तियों वाले मकानो का चिन्हीकरण करती है साथ ही यात्रा को तय करने का मार्ग भी खुद ही तय करती है।

बाइट- मंत्री प्रसाद नैथानी, डोली रथ यात्रा संयोजक




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