ETV Bharat / city

कहीं बदरंग न हो जाए आपकी होली, रंग खेलने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

बाजारों में मिलने वाले गुलाल पूरी तरह से रसायनिक तत्वों से तैयार किए जाते हैं, जो कि त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. साथ ही साथ इनके इस्तेमाल से आंखों में जलन, अंधापन, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं.

author img

By

Published : Mar 2, 2020, 9:21 PM IST

avoid-the-use-of-chemical-colors-in-holi
केमिकल रंग बदरंग न कर दें आपकी होली

देहरादून: रंगों के त्योहार होली में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में हर किसी में इस त्योहार को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. हर कोई होली के लिए अभी से रंगों की खरीदारी में लगा हुआ है. मगर क्या आप जानते हैं कि बाजार में मिलने वाले ये सिंथेटिक गुलाल आपकी त्वचा के लिए कितने हानिकारक साबित हो सकते हैं ? अपनी इस खास रिपोर्ट के माध्यम से ईटीवी भारत आपको सिंथेटिक रंगों से त्वचा को होने वाले नुकसान से रूबरू कराने जा रहा है.

सोसाइटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट के वैज्ञानिकों ने बाजार में होली पर मिलने वाले 50 अलग अलग रंग के गुलालों के सैंपल एकत्रित कर उन पर एक शोध किया. जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. बृजमोहन शर्मा के मुताबिक होली के मौके पर बाजारों में मिलने वाले गुलाल पूरी तरह से रसायनिक तत्वों से तैयार किए जाते हैं, जो कि त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. साथ ही साथ इनके इस्तेमाल से आंखों में जलन, अंधापन, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं.

केमिकल रंग बदरंग न कर दें आपकी होली

पढ़ें- बजट सत्रः भराड़ीसैंण पहुंचे सीएम और स्पीकर, विधानसभा भवन का लिया जायजा

ये सभी गुलाल अधिकतर धातु के ऑक्साइड, औद्योगिक रंग और इंजन ऑयल मिलाकर तैयार किए जाते हैं. डॉ. बृजमोहन शर्मा के मुताबिक रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए सभी को प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिन्हें आसानी से अपने घरों में उपलब्ध फल, सब्जियों और फूलों से तैयार किया जा सकता है. प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से हमारी त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

पढ़ें- स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित हुआ केदारनाथ धाम, बनाए जाएंगे वार्मरूम

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. आर्य बताते हैं कि इन रंगों के दुष्प्रभाव से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में लोगों को हर्बल कलर्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए. होली खेलने से पहले त्वचा पर एहतियात के तौर पर तेल, बॉडी लोशन या वेसलीन जरूर लगा लेनी चाहिए, जिससे कि होली के सिंथेटिक कलर सीधे त्वचा को न छू सकें.

पढ़ें- यहां झील में तैरते हैं नर कंकाल, ऐसी है रूपकुंड की रहस्यमयी दुनिया

प्राकृतिक रंगों को हम आसानी से घरों में तैयार कर सकते हैं. लेकिन यदि समय की कमी के चलते आप होली में केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल करने जा रहे हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें.

इन बातों का रखें ख्याल

  • होली के दिन सुबह ही अपने शरीर पर नारियल का तेल या क्रीम अवश्य लगा लें.
  • ऐसे वस्त्र पहने जो आपके शरीर के ज्यादा भाग को ढकें.
  • रंग छुड़ाने के लिए हल्के गर्म पानी का प्रयोग करें.
  • नहाने के बाद क्रीम का प्रयोग जरूर करें.
  • अगर कोई रंग आसानी से न छूटे तो उसे दही व बेसन के लेप से छुड़ाएं.

देहरादून: रंगों के त्योहार होली में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में हर किसी में इस त्योहार को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. हर कोई होली के लिए अभी से रंगों की खरीदारी में लगा हुआ है. मगर क्या आप जानते हैं कि बाजार में मिलने वाले ये सिंथेटिक गुलाल आपकी त्वचा के लिए कितने हानिकारक साबित हो सकते हैं ? अपनी इस खास रिपोर्ट के माध्यम से ईटीवी भारत आपको सिंथेटिक रंगों से त्वचा को होने वाले नुकसान से रूबरू कराने जा रहा है.

सोसाइटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट के वैज्ञानिकों ने बाजार में होली पर मिलने वाले 50 अलग अलग रंग के गुलालों के सैंपल एकत्रित कर उन पर एक शोध किया. जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. बृजमोहन शर्मा के मुताबिक होली के मौके पर बाजारों में मिलने वाले गुलाल पूरी तरह से रसायनिक तत्वों से तैयार किए जाते हैं, जो कि त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. साथ ही साथ इनके इस्तेमाल से आंखों में जलन, अंधापन, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं.

केमिकल रंग बदरंग न कर दें आपकी होली

पढ़ें- बजट सत्रः भराड़ीसैंण पहुंचे सीएम और स्पीकर, विधानसभा भवन का लिया जायजा

ये सभी गुलाल अधिकतर धातु के ऑक्साइड, औद्योगिक रंग और इंजन ऑयल मिलाकर तैयार किए जाते हैं. डॉ. बृजमोहन शर्मा के मुताबिक रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए सभी को प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिन्हें आसानी से अपने घरों में उपलब्ध फल, सब्जियों और फूलों से तैयार किया जा सकता है. प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से हमारी त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

पढ़ें- स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित हुआ केदारनाथ धाम, बनाए जाएंगे वार्मरूम

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. आर्य बताते हैं कि इन रंगों के दुष्प्रभाव से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में लोगों को हर्बल कलर्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए. होली खेलने से पहले त्वचा पर एहतियात के तौर पर तेल, बॉडी लोशन या वेसलीन जरूर लगा लेनी चाहिए, जिससे कि होली के सिंथेटिक कलर सीधे त्वचा को न छू सकें.

पढ़ें- यहां झील में तैरते हैं नर कंकाल, ऐसी है रूपकुंड की रहस्यमयी दुनिया

प्राकृतिक रंगों को हम आसानी से घरों में तैयार कर सकते हैं. लेकिन यदि समय की कमी के चलते आप होली में केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल करने जा रहे हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें.

इन बातों का रखें ख्याल

  • होली के दिन सुबह ही अपने शरीर पर नारियल का तेल या क्रीम अवश्य लगा लें.
  • ऐसे वस्त्र पहने जो आपके शरीर के ज्यादा भाग को ढकें.
  • रंग छुड़ाने के लिए हल्के गर्म पानी का प्रयोग करें.
  • नहाने के बाद क्रीम का प्रयोग जरूर करें.
  • अगर कोई रंग आसानी से न छूटे तो उसे दही व बेसन के लेप से छुड़ाएं.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.