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आंदोलनकारियों के लिए लड़ाई लड़ेगी 'आप', शहीदों को नमन कर लेगी संकल्प

'आप' पार्टी उत्तराखंड के शहीद और आंदोलनकारियों (Martyrs and Agitators of Uttarakhand) के हक की लड़ाई लड़ेगी इसके मद्देनजर 'आप' 1 जुलाई को उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक (Memorial) जाकर शहीदों को नमन करेगी और उनके सम्मान में हुई घोषणाओं को पूरा करने का संकल्प लेगी

Dehradun
देहरादून
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Published : Jun 30, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Jun 30, 2021, 8:34 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड 2022 विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) उत्तराखंड में वोट बैंक बढ़ाने का नये-नये विकल्प ढूंढ रही है. इसी क्रम में आम आदमी पार्टी अब उत्तराखंड के शहीद और आंदोलनकारियों (Martyrs and Agitators of Uttarakhand) के हक की लड़ाई लड़ने जा रही है. इसके मद्देनजर आम आदमी पार्टी 1 जुलाई को उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक (Memorial) जाकर शहीदों को नमन करेगी. इसके अलावा उनके सम्मान में हुई घोषणाओं को पूरा करने का संकल्प लेंगे.

आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान (Aam Aadmi Party leader Ravindra Jugran) का कहना है कि राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान दिलाने के लिए आम आदमी पार्टी सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी. यदि आवश्यकता पड़ी तो उनके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी.

आंदोलनकारियों के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ेगी 'आप'

कानूनी एक्ट बनाना चाहिए था: जुगरान

रविंद्र जुगरान ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में दिए जा रहे क्षैतिज आरक्षण का विवाद 2011 से हाईकोर्ट में विचाराधीन था. लेकिन सरकारों की असंवेदनशीलता, लापरवाही और लचर पैरवी के चलते हाईकोर्ट ने साल 2018 मार्च में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को निरस्त कर दिया. ऐसे में राज्य सरकार को इस आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित करवाकर 10% क्षैतिज आरक्षण के लिए कानूनी एक्ट बनाना चाहिए था या हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देना चाहिए था. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. इसके ठीक उलट सरकार ने 2018 में ही उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शासनादेश जारी कर इसको खत्म कर दिया.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा चुनाव में महिलाओं को मिलें 50 फीसदी टिकट- रितु खंडूड़ी

यह है मामला

हाल ही में अपर सचिव गृह ने एक आदेश निकाल कर सरकारी सेवाओं में कार्यरत आंदोलनकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में नोटिस जारी किए जा रहे हैं. इसके अधीन 14 से 15 सालों से सरकारी विभागों में कार्यरत आंदोलनकारियों की नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है.

देहरादूनः उत्तराखंड 2022 विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) उत्तराखंड में वोट बैंक बढ़ाने का नये-नये विकल्प ढूंढ रही है. इसी क्रम में आम आदमी पार्टी अब उत्तराखंड के शहीद और आंदोलनकारियों (Martyrs and Agitators of Uttarakhand) के हक की लड़ाई लड़ने जा रही है. इसके मद्देनजर आम आदमी पार्टी 1 जुलाई को उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक (Memorial) जाकर शहीदों को नमन करेगी. इसके अलावा उनके सम्मान में हुई घोषणाओं को पूरा करने का संकल्प लेंगे.

आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान (Aam Aadmi Party leader Ravindra Jugran) का कहना है कि राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान दिलाने के लिए आम आदमी पार्टी सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी. यदि आवश्यकता पड़ी तो उनके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी.

आंदोलनकारियों के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ेगी 'आप'

कानूनी एक्ट बनाना चाहिए था: जुगरान

रविंद्र जुगरान ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में दिए जा रहे क्षैतिज आरक्षण का विवाद 2011 से हाईकोर्ट में विचाराधीन था. लेकिन सरकारों की असंवेदनशीलता, लापरवाही और लचर पैरवी के चलते हाईकोर्ट ने साल 2018 मार्च में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को निरस्त कर दिया. ऐसे में राज्य सरकार को इस आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित करवाकर 10% क्षैतिज आरक्षण के लिए कानूनी एक्ट बनाना चाहिए था या हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देना चाहिए था. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. इसके ठीक उलट सरकार ने 2018 में ही उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शासनादेश जारी कर इसको खत्म कर दिया.

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यह है मामला

हाल ही में अपर सचिव गृह ने एक आदेश निकाल कर सरकारी सेवाओं में कार्यरत आंदोलनकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में नोटिस जारी किए जा रहे हैं. इसके अधीन 14 से 15 सालों से सरकारी विभागों में कार्यरत आंदोलनकारियों की नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है.

Last Updated : Jun 30, 2021, 8:34 PM IST
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