नई दिल्लीः भारतीय विदेश यात्रा पर हर महीने एक अरब डॉलर से अधिक खर्च कर रहे हैं. यह आंकड़ा कोविड महामारी से पूर्व के स्तर से काफी अधिक है. भारत के निवासी लोग ने यात्रा के लिए उदारीकृत प्रेषण योजना (लिबरलाइजेशन रेमिटेंस स्कीम) के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 9.95 अरब डॉलर रुपया बाहर विदेशों में भेजा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 की समान अवधि में यह खर्च 4.16 अरब डॉलर था. कोविड महामारी से पहले 2019-20 की समान अवधि में यह आंकड़ा 5.4 अरब डॉलर था.
वी3ऑनलाइन के भागीदार सपन गुप्ता का कहना है कि भारतीय अपने परिवार या दोस्तों के साथ दुनियाभर में घूम रहे हैं. वियतनाम, थाइलैंड, यूरोप और बाली कुछ प्रमुख लोकेशन और पिकनिक स्पॉट हैं, जिन्हें भारतीय काफी पसंद करते हैं. इसके लिए भारतीय हजारों, लाखों खर्च करते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा यूरोप, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाइलैंड और दुबई भी भारतीयों की पसंद में शामिल हैं. संकैश के सह-संस्थापक आकाश दहिया ने कहा कि सस्ती यात्रा और तकनीकी प्रगति के साथ अंतरराष्ट्रीय यात्रा में वृद्धि हो रही है.
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उन्होंने कहा कि हमारे पोर्टफोलियो में 75 प्रतिशत लोग अब अंतरराष्ट्रीय यात्रा का विकल्प चुन रहे हैं. भारतीयों के बीच यूरोप, बाली, वियतनाम और दुबई जैसी जगहों की मांग बढ़ रही है. इस बीच, सरकार ने आम बजट में अगले वित्त वर्ष से विदेशी टूर पैकेज के सोर्स पर कर संग्रह (टीसीएस) की दर मौजूदा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीयों की विदेश यात्रा प्रभावित हो सकती है.
(पीटीआई-भाषा)
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