नई दिल्लीः 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडाणी समूह के कारोबार पर रिपोर्ट जारी होने के बाद भारतीय वित्तीय बाजार में काफी उथल पुथल मचा हुआ है. रिपोर्ट के आने के बाद से अडाणी समूह आर्थिक नुकसान के साथ उसके ब्रांड इमेज पर काफी नकारात्मक असर पड़ा है. समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को खारिज किया है. इसके साथ ही वह हिंडनबर्ग पर कानूनी विकल्पों पर विचार करने के लिए एक बड़ी अमेरिकी लॉ फर्म के संपर्क में है. वहीं दूसरी ओर अडाणी समूह की शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को खारिज करने के लिए स्वतंत्र ऑडिट की तैयारी में है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी की ओर से अमेरिकी अकाउंटेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन की सेवाएं कंपनी लेने जा रही है.
हालांकि इस बारे में अभी तक ऑडिट फर्म या अडाणी समूह की ओर से कोई आधिकारिक दावा नहीं किया गया है. न ही मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया गया है. बता दें अडाणी समूह की ओर से हायर की गई अमेरिकी अकाउंटेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन अमेरिका की जानी-मानी कंपनी है. यह दुनिया का सातंवा बड़ा अकाउंटिंग नेटवर्क है और अमेरिका का छठा एकाउंटिंग फर्म है, जो आडिट और वित्तीय मामलों मे सलाहकार का काम करती है. फर्म में 8500 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि अडाणी समूह की ओर से कंपनियों के स्वतंत्र ऑडिट करने के लिए ग्रांट थॉर्नटन को काम पर रखा गया है. इस बात को पूरी तरह से कंपनी ओर से गोपणीय रखा गया है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडाणी समूह पर स्टॉक में हेर-फेर सहित कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं. बता दें कि इस रिपोर्ट के आने के बाद कंपनी की ओर से स्वयं गौतम अडाणी और कंपनी की ओर कई तरह से खंडन किया गया है. रिपोर्ट को खारिज करने के लिए अडाणी समूह की ओर से कई कदम उठाये जा रहे हैं. इसके बाद भी बाजार के जानकारों के अनुसार बीते 3 सप्ताह में समूह को को 120 बिलियन के करीब संपत्ति का नुकसान हुआ. हीं भारतीय नियामक एजेंसी की ओर से दबाव बढ़ है. भारतीय नियामक एजेंसी की ओर से हिंडनबर्ग रिसर्च के बाद से कई तरह की जांच की रही है.
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