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वित्त मंत्री बताएं कि कोरोना से पहले 'अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन' की कैसे व्याख्या की जाए: चिदंबरम

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Published : Aug 29, 2020, 12:25 PM IST

पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर राज्यों के समक्ष कर्ज लेने का विकल्प रखे जाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर प्रहार किया.

वित्त मंत्री बताएं कि कोरोना से पहले 'अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन' की कैसे व्याख्या की जाए: चिदंबरम
वित्त मंत्री बताएं कि कोरोना से पहले 'अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन' की कैसे व्याख्या की जाए: चिदंबरम

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 'दैवीय घटना' (ऐक्ट ऑफ गॉड) वाले बयान को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या वित्त मंत्री 'ईश्वर की दूत के तौर पर' इसका जवाब देंगी कि कोरोना वायरस महामारी से पहले अर्थव्यस्था के 'कुप्रबंधन' की कैसे व्याख्या की जाए.

पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर राज्यों के समक्ष कर्ज लेने का विकल्प रखे जाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर प्रहार किया.

उन्होंने निर्मला सीतारमण की टिप्पणी को लेकर उन पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, "अगर महामारी 'दैवीय घटना' है तो हम वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-2020 के दौरान अर्थव्यस्था के कुप्रबंधन की कैसे व्याख्या करेंगे? क्या वित्त मंत्री ईश्वर की दूत के तौर पर जवाब देंगी?"

गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि एक दैवीय घटना है और इससे चालू वित्त वर्ष में इसमें संकुचन आयेगा.

चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया है.

निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि स्पष्ट रूप से जीएसटी क्रियान्वयन के कारण जो क्षतिपूर्ति बनती है, केंद्र उसका भुगतान करेगा.

ये भी पढ़ें: ऋण किस्त के भुगतान पर रोक की समयसीमा संभवत: आगे नहीं बढ़ाएगा रिजर्व बैंक

चिदंबरम ने राज्य सरकारों से यह आग्रह भी किया कि वे जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर केंद्र की ओर से दिए गए विकल्प को नकार दें और एक स्वर में राशि की मांग करें.

दरअसल, बृहस्पतिवार को जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र ने राज्यों के सामने विकल्प दिया कि वे मौजूदा वित्त वर्ष में जरूरी राजस्व के लिए कर्ज ले सकते हैं और इसमें केंद्र की तरफ से मदद की जाएगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 'दैवीय घटना' (ऐक्ट ऑफ गॉड) वाले बयान को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या वित्त मंत्री 'ईश्वर की दूत के तौर पर' इसका जवाब देंगी कि कोरोना वायरस महामारी से पहले अर्थव्यस्था के 'कुप्रबंधन' की कैसे व्याख्या की जाए.

पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर राज्यों के समक्ष कर्ज लेने का विकल्प रखे जाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर प्रहार किया.

उन्होंने निर्मला सीतारमण की टिप्पणी को लेकर उन पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, "अगर महामारी 'दैवीय घटना' है तो हम वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-2020 के दौरान अर्थव्यस्था के कुप्रबंधन की कैसे व्याख्या करेंगे? क्या वित्त मंत्री ईश्वर की दूत के तौर पर जवाब देंगी?"

गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि एक दैवीय घटना है और इससे चालू वित्त वर्ष में इसमें संकुचन आयेगा.

चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया है.

निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि स्पष्ट रूप से जीएसटी क्रियान्वयन के कारण जो क्षतिपूर्ति बनती है, केंद्र उसका भुगतान करेगा.

ये भी पढ़ें: ऋण किस्त के भुगतान पर रोक की समयसीमा संभवत: आगे नहीं बढ़ाएगा रिजर्व बैंक

चिदंबरम ने राज्य सरकारों से यह आग्रह भी किया कि वे जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर केंद्र की ओर से दिए गए विकल्प को नकार दें और एक स्वर में राशि की मांग करें.

दरअसल, बृहस्पतिवार को जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र ने राज्यों के सामने विकल्प दिया कि वे मौजूदा वित्त वर्ष में जरूरी राजस्व के लिए कर्ज ले सकते हैं और इसमें केंद्र की तरफ से मदद की जाएगी.

(पीटीआई-भाषा)

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