नई दिल्ली: प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार ने इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डालर प्रति टन तय किया है. इससे प्याज निर्यात कम करने में मदद मिलेगी और घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ने से दाम में कुछ राहत मिलेगी.
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमत बढ़कर 40- 50 रुपये प्रति किलो हो गई. कुछ दिन पहले यह 20- 30 रुपये प्रति किलोग्राम थी. न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय होने के बाद उस जिंस का उससे कम दाम पर निर्यात नहीं किया जा सकता.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, "प्याज की सभी किस्मों का निर्यात अगले आदेश तक न्यूनतम 850 डालर प्रति टन (लदान मूल्य) के न्यूनतम निर्यात मूल्य के अनुसार केवल साख पत्र के तहत निर्यात की अनुमति होगी."
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केंद्र सरकार ने पिछले महीने प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों - महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बाढ़ के कारण इस महत्वपूर्ण सब्जी की आपूर्ति बाधित होने की आशंकाओं के बीच प्याज की जमाखोरी करने वालों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों के कुछ हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे आपूर्ति बाधित होने की आशंका बढ़ गई. मदर डेयरी के सफल बिक्री केन्द्र में प्याज की खुदरा कीमत की सीमा 23.90 रुपये प्रति किलोग्राम (ग्रेड-ए किस्म) निर्धारित करने का फैसला किया गया है.
अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 3.21 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जुलाई में 3.15 प्रतिशत थी, ऐसा मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के महंगे होने के कारण हुई है. देश से प्रति वर्ष औसतन 15 लाख टन प्याज का निर्यात करता है. भारत प्रति वर्ष लगभग 1.7-1.8 करोड़ टन प्याज का उत्पादन करता है.