ऋषिकेश: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवताओं का वास है. यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिनका वर्णन पुराणों में भी मिलता है. ऐसा ही एक मंदिर है वीरभद्र मंदिर, इस धाम को भगवान शिव का पवित्र धाम माना जाता है. जिसका पुराणों नें भी उल्लेख मिलता है. जहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है.प्रदेश में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शिवालयों में तैयारियां शुरू हो गई हैं.
धार्मिक मान्यता
महाशिवरात्रि को लेकर तीर्थनगरी ऋषिकेश स्थित पौराणिक वीरभद्र मंदिर का अपना विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त बड़ी संख्या में पहुंच कर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. साथ ही चारों ओर बम- बम भोले के उद्घोष से पूरी तीर्थनगरी शिवमय हो जाती है.मान्यता के अनुसार, वीरभद्र मंदिर भगवान शिव का सिद्ध पीठ है, जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है. साथ ही इस मंदिर का उल्लेख केदारखंड में मिलता है.
केदारखंड में मिलता है मंदिर का उल्लेख
कहा जाता है कि वीरभद्र की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई थी. जब राजा दक्ष ने भगवान भोलेनाथ का अपमान किया तो माता सती ने हवन कुंड में अग्नि समाधि ले ली, जिसके बाद क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपनी जटाओं को जोर से धरती पर पटका, जिससे वीरभद्र की उत्त्पत्ति हुई. क्रोध से उत्पन्न हुए वीरभद्र ने राजा दक्ष का वध कर हवन कुंड को तहस-नहस कर दिया. इसके बाद भगवान शिव को स्तुति कर प्रसन्न किया गया. महादेव ने प्रसन्न होकर स्वयं शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए.
मंदिर में लगा रहता है श्रद्धालुओं का तांता
महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर तीर्थनगरी के शिवालयों में काफी भीड़ रहती है. साथ ही नीलकंठ महादेव मंदिर, वीरभद्र महादेव, सोमेश्वर महादेव मंदिर और चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में रात से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. श्रद्धालु लोग शिवमंदिर में जल चढ़ाकर पुण्य अर्जित करते हैं. साथ ही माना जाता है कि ऋषिकेश स्थित वीरभद्र मंदिर एक पौराणिक मंदिर है. महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर भक्तों की भीड़ सुबह से ही लगना शुरू हो जाती है.
मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवानवीरभद्र महादेव की उपासना करते हैं, उनकी हर मुराद पूरी होती है. महाशिवरात्रि पर्व पर स्थानीय लोगों के साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु वीरभद्र महादेव के दर्शन के लिए यहां आते हैं.