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सोलर प्लांट ने बदली 'जिंदगी' की रोशनी, पर सरकार को नहीं पसंद ये 'उजाला'

सोलर प्लांट ग्रामीणों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है. रोशनी देने के साथ ही रोजगार भी दे रहे हैं. सोलर पैनलों से 500 किलोवाट से 1 मेगावाट तक बिजली उत्पादित की जा सकती है.

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Published : Apr 15, 2019, 9:07 PM IST

सोलर प्लांट

देवप्रयागः उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. नदियों पर छोटे-छोटे बांधों को बनाने के कॉन्सेप्ट को लेकर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद विरोध जाहिर करते रहे हैं. इसके विपरीत सोलर एनर्जी से उत्पादित बिजली के इस्तेमाल पर न ही सरकारें ध्यान दे रहीं हैं, न ही इससे सम्बन्धित विभाग. देखिये ये रिपोर्ट...

सोलर प्लांट रोशनी देने के साथ ही रोजगार भी दे रहा है.

आप जो तस्वीरें देख रहे हैं ये अमूमन छोटे पैमाने पर आस-पास के घरों में लगे सोलर पैनल की देखी होगी जो विद्युत उत्पादन करने के इस्तेमाल में लाई जाती है. लेकिन जब इन सोलर पैनलों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है.

इन पैनलों से 500 किलोवाट से 1 मेगावाट तक बिजली उत्पादित की जा सकती है. जिससे श्रीनगर जैसे एक पूरे शहर को बिजली से रोशन किया जा सकता है.

पौड़ी गढ़वाल में इसी तरह दो सोलर प्लांटों को लगाया गया है जो यूपीसीएल को प्लांट से उत्पादित बिजली का विक्रय करते हैं. इन प्लांटों से जहां बिजली उत्पादित की जा रही है, वहीं आस-पास के गांवों के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

जनपद के सीकू गांव में कवीन्द्र बिष्ट द्वारा लगाये गये सोलर सिस्टम में वर्ष भर में सात लाख किलोवाट बिजली उत्पादित हो रही है. कवीन्द्र की मानें तो अन्य युवाओं को भी इसे शुरू करना चाहिए, बशर्ते वो सरकार द्वारा मिलने वाली सब्सिडी के भरोसे न बैठें. कवींद्र के अनुसार 500 किलोवाट की परियोजना शुरू करने के लिए कम से कम 1 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट लगाता है,

जिसमें राज्य सरकार 30 प्रतिशत सब्सिडी देती है व केन्द्र सरकार 35 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. कविंद्र बताते हैं कि आज तक उनकी सब्सिडी उन्हें नहीं मिली है. जिसकी वजह से वे नुकसान भी उठा रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः पांच बच्चों के पिता के साथ युवती फरार, कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने किया बरामद
यूपीसीएल सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली पर प्रति यूनिट पर 5 रुपए 20 पैसे चार्ज करता है, लेकिन इन सोलर प्लांटों से जहां बिजली उत्पादित हो रही है, वहीं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और पर्यावरण सन्तुलन भी बना हुआ है, जिससे आस-पास के लोग भी इसे समाज के लिए अच्छा बता रहे हैं.

देवप्रयागः उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. नदियों पर छोटे-छोटे बांधों को बनाने के कॉन्सेप्ट को लेकर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद विरोध जाहिर करते रहे हैं. इसके विपरीत सोलर एनर्जी से उत्पादित बिजली के इस्तेमाल पर न ही सरकारें ध्यान दे रहीं हैं, न ही इससे सम्बन्धित विभाग. देखिये ये रिपोर्ट...

सोलर प्लांट रोशनी देने के साथ ही रोजगार भी दे रहा है.

आप जो तस्वीरें देख रहे हैं ये अमूमन छोटे पैमाने पर आस-पास के घरों में लगे सोलर पैनल की देखी होगी जो विद्युत उत्पादन करने के इस्तेमाल में लाई जाती है. लेकिन जब इन सोलर पैनलों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है.

इन पैनलों से 500 किलोवाट से 1 मेगावाट तक बिजली उत्पादित की जा सकती है. जिससे श्रीनगर जैसे एक पूरे शहर को बिजली से रोशन किया जा सकता है.

पौड़ी गढ़वाल में इसी तरह दो सोलर प्लांटों को लगाया गया है जो यूपीसीएल को प्लांट से उत्पादित बिजली का विक्रय करते हैं. इन प्लांटों से जहां बिजली उत्पादित की जा रही है, वहीं आस-पास के गांवों के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

जनपद के सीकू गांव में कवीन्द्र बिष्ट द्वारा लगाये गये सोलर सिस्टम में वर्ष भर में सात लाख किलोवाट बिजली उत्पादित हो रही है. कवीन्द्र की मानें तो अन्य युवाओं को भी इसे शुरू करना चाहिए, बशर्ते वो सरकार द्वारा मिलने वाली सब्सिडी के भरोसे न बैठें. कवींद्र के अनुसार 500 किलोवाट की परियोजना शुरू करने के लिए कम से कम 1 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट लगाता है,

जिसमें राज्य सरकार 30 प्रतिशत सब्सिडी देती है व केन्द्र सरकार 35 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. कविंद्र बताते हैं कि आज तक उनकी सब्सिडी उन्हें नहीं मिली है. जिसकी वजह से वे नुकसान भी उठा रहे हैं.

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यूपीसीएल सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली पर प्रति यूनिट पर 5 रुपए 20 पैसे चार्ज करता है, लेकिन इन सोलर प्लांटों से जहां बिजली उत्पादित हो रही है, वहीं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और पर्यावरण सन्तुलन भी बना हुआ है, जिससे आस-पास के लोग भी इसे समाज के लिए अच्छा बता रहे हैं.

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एकर-ंउत्तराखण्ड मे विद्युत उत्पादन की अपार समभावनाए है लेकिन जहा नदियो मे छोटे छोटे बाधो को बनाने के कोनसेप्ट को लेकर वैज्ञानिक प्रयार्वरणविद् विरोध जाहिर करते रहते है लेकिन इसके विपरित सोलर एनेजी से उत्पादित बिजली के इस्तेमाल पर ना ही सरकारे ध्यान दे रही है ना ही इससे सम्बन्धित विभाग उरेडा इसके प्रचार प्रसार मे ही अपनी रूची दिखा रहा है देखिये ये सक्षिप्त रिर्पोट-

विओ 1-आप जो तस्वीरे देख रहे है ये अमुमन आपने छोटे पेमाने पर अपने आस पास के घरो मे लगे सोलर पेनल की देखी होगी जो विद्युत उत्पादन करने के इस्तेमाल मे लाई जाती है लेकिन जब इन सोलर पेनलो को प्रयोग बडे पैमाने पर किया जाता है तो इन पैनलो से 500 किलोवाट से 1 मेगावाट तक बिजली उत्पादित की जा सकती है जिससे श्रीनगर जैसे एक पुरे शहर को बिजली से रोशन किया जा सकता है पौडी गढवाल मे इसी तरह दो सोलर प्लान्टो को लगाया गया है जो यूपीसीएल को प्लान्ट से उत्पादित बिजली का विक्रय करते है इन प्लान्टो से जहा बिजली उत्पादित की जा रही है तो वही आस पास के गावो के लोगो को रोजगार भी मिल रहा है जनपद के सीकू गाव मे कवीन्द्र बिश्ठ के द्वारा लगाये गये सोलर सिस्टम मे वर्ष भर मे सात लाख किलोवाट बिजली उत्पादित हो रही है कवीन्द्र की माने तो अन्य युवाओ को भी इसे शुरू करना चाहिए बसर्ते वो सरकार द्वारा मिलने वाली सब्सिडी के भरोषे न बैठे।आपको बताए की 500 किलोवाट की परियोजना शुरू करने के लिए कम से कम 1 करोड रूपये का इन्व्ेास्टमेट लगाता है जिसमे राज्य सरकार 30 प्रतिशत सब्सिडी देती है व केन्द्र सरकार 35 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है परन्तु कविन्द्र बताते है की आजतक उनकी सब्सिडी उन्हे नही मिली है जिसकी वजह से वे नुकसान भी उठा रहे है ।युपीसीएल सोलर प्लाट से उत्पादित बिजली पर पर युनिट पर 5रूपे 20पैसे जार्च करता है लेकिन इन सोलर प्लाटो से जहा बिजली उत्पादित हो रही है तो वही लोगो को रोजगार भी मिल रहा है और पर्यावरण सन्तुलन भी बना हुआ है जिससे आप पास के लोग भी इसे समाज के लिए अच्छा बता रहे है।

बाइट-कविन्द्र मालिक सोलर प्लान्ट


बाइट-नवल खाली स्थानीय युवाConclusion:

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