रुद्रप्रयाग: जिले में दो दिव्यांग बच्चों के माता-पिता कोरोना के कारण जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. बेसहारा हो चुके इन बच्चों की देख-रेख करने वाला कोई नहीं है. मूल रूप से चमोली जनपद के पोखरी निवासी संतोष भट्ट ट्रक चालक हैं. कुछ दिन पहले ही संतोष भट्ट की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई थी. सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें रुद्रप्रयाग के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया.
इसके कुछ दिन बाद उनकी पत्नी रोशनी देवी भी कोविड पॉजिटिव पाई गईं. जिसके बाद दोनों पति-पत्नी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. माता-पिता के अस्पताल में भर्ती होने से दिव्यांग बच्चे बेसहारा हो गए हैं. स्थिति यह है कि कोरोना के कारण उनके पास कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं हैं.
बता दें कि दोनों बच्चों को हीमोफीलिया यानी पैतृक रक्तस्राव की बीमारी है. ये एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें खून का थक्का बनना बंद हो जाता है. हीमोफीलिया नामक बीमारी से लड़ रहा अंशुल दसवीं और अंकुर छठवीं कक्षा मेंं है. मां-पिता के बीमार होने के बाद उनकी देख-भाल करने वाला कोई नहीं है. दोनों बच्चों की दवाई और इंजेक्शन का खर्च हर माह करीब 15 से 20 हजार रुपये है. स्थिति यह है कि ट्रक चालक पिता के पास कमरे का किराया देने तक के लिए पैसा नहीं है. वहीं, अभी तक परिवार को किसी भी तरह की सरकार से कोई मदद नहीं मिल पाई है.
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वहीं, जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी बच्चों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर बच्चों की मदद करनी चाहिए. स्वयं सेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि जन अधिकार मंच बच्चों की मदद के लिए मुहिम चलाएगा.