ETV Bharat / briefs

सीमांत क्षेत्रों में खिले बुरांस के फूल, पर्यावरणविदों ने जाहिर की चिंता

author img

By

Published : May 29, 2021, 9:02 PM IST

सीमांत क्षेत्रों में बुरांस के पेड़ों पर फूल खिल रहे है. जिसे लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता जाहिर की है.

rudrapryag
rudrapryag

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के सीमांत क्षेत्रों में बुरांस के फूल सहित प्रकृति के यौवन पर आने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. उनके मुताबिक प्रकृति में ऐसा बदलाव पहली बार देखने को मिल रहा है. उन्हेंने कहा कि इन दिनों धरती पर हरियाली छाई हुई है. जिसे अभी से जुलाई माह का एहसास हो रहा है. पेड़-पौधों में नवांकुर और बुरांस के फूल खिल रहे हैं. मई और जून माह में भीषण आग की चपेट में आने वाली धरती पर हरियाली छाने से पर्यावरणविद सोचने पर मजबूर हो गए हैं.

बता दें कि बुरांस के फूल का खिलने का समय जनवरी से मार्च माह तक होता है. लेकिन केदारघाटी के सीमांत क्षेत्रों में मई माह में बुरांस खिल रहा है. इस वर्ष वैसे भी जनवरी और फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हुई. जिस कारण प्रकृति बसंत आगमन तक अपने नव श्रृंगार करने से वंचित रह गयी. परिणामस्वरूप फरवरी महीने में अधिकांश जंगल भीषण आग की चपेट में आने से लाखों की वन संपदा स्वाहा होने के साथ ही वन्य जीवों को भी काफी नुकसान पहुंचा. क्षेत्र के अधिकांश जंगलों में भीषण आग लगने से तापमान में निरंतर वृद्धि होने के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों का जल स्तर घटने से अधिकांश गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा था.

पढ़ें:Allopath vs Ayurveda: IMA ने रामदेव को पत्र भेजकर दी खुली बहस की चुनौती

बीस अप्रैल के बाद क्षेत्र में अचानक मौसम ने करवट ली. जिसे हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश शुरू होने से जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू पाया गया. हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश होने से प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होने से इन दिनों प्रकृति अपने यौवन पर है. मई माह के निरन्तर तीसरे सप्ताह तक बर्फबारी और बारिश होने से इन दिनों संपूर्ण धरती पर जुलाई माह का एहसास हो रहा है, वहीं, पेड़-पौधों में बसंत ऋतु के समान बीच अंकुरित हो रहे है.

पर्यावरणविद् जसपाल सिंह नेगी ने बताया कि जनवरी और फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हुई. लेकिन बिना मौसम बुरांस के फूल खिलना चिंता का विषय है.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के सीमांत क्षेत्रों में बुरांस के फूल सहित प्रकृति के यौवन पर आने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. उनके मुताबिक प्रकृति में ऐसा बदलाव पहली बार देखने को मिल रहा है. उन्हेंने कहा कि इन दिनों धरती पर हरियाली छाई हुई है. जिसे अभी से जुलाई माह का एहसास हो रहा है. पेड़-पौधों में नवांकुर और बुरांस के फूल खिल रहे हैं. मई और जून माह में भीषण आग की चपेट में आने वाली धरती पर हरियाली छाने से पर्यावरणविद सोचने पर मजबूर हो गए हैं.

बता दें कि बुरांस के फूल का खिलने का समय जनवरी से मार्च माह तक होता है. लेकिन केदारघाटी के सीमांत क्षेत्रों में मई माह में बुरांस खिल रहा है. इस वर्ष वैसे भी जनवरी और फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हुई. जिस कारण प्रकृति बसंत आगमन तक अपने नव श्रृंगार करने से वंचित रह गयी. परिणामस्वरूप फरवरी महीने में अधिकांश जंगल भीषण आग की चपेट में आने से लाखों की वन संपदा स्वाहा होने के साथ ही वन्य जीवों को भी काफी नुकसान पहुंचा. क्षेत्र के अधिकांश जंगलों में भीषण आग लगने से तापमान में निरंतर वृद्धि होने के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों का जल स्तर घटने से अधिकांश गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा था.

पढ़ें:Allopath vs Ayurveda: IMA ने रामदेव को पत्र भेजकर दी खुली बहस की चुनौती

बीस अप्रैल के बाद क्षेत्र में अचानक मौसम ने करवट ली. जिसे हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश शुरू होने से जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू पाया गया. हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश होने से प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होने से इन दिनों प्रकृति अपने यौवन पर है. मई माह के निरन्तर तीसरे सप्ताह तक बर्फबारी और बारिश होने से इन दिनों संपूर्ण धरती पर जुलाई माह का एहसास हो रहा है, वहीं, पेड़-पौधों में बसंत ऋतु के समान बीच अंकुरित हो रहे है.

पर्यावरणविद् जसपाल सिंह नेगी ने बताया कि जनवरी और फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हुई. लेकिन बिना मौसम बुरांस के फूल खिलना चिंता का विषय है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.