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यहां है भोले बाबा की ससुराल, शिवरात्रि पर उमड़ी है भक्तों भीड़ - शिवालय

महाशिवरात्रि के अवसर पर कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रविवार शाम को भगवान शिव के विग्रह का खास श्रंगार किया गया. इसके बाद भगवान शिव की विशेष आरती और पूजा-अर्चना की गई. इस आरती में भक्तों को खासी भीड़ देखने को मिलती है. दूर-दूर भक्त इस विशेष आरती में हिस्सा लेने आते

शिवरात्रि
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Published : Mar 4, 2019, 4:10 AM IST

हरिद्वार: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मध्य रात्रि से ही उत्तराखंड के तमाम शिवालयों में शिव का जलाभिषेक शुरू हो गया और हर तरफ 'हर-हर महादेव', 'बम-बम भोले' के उद्घोष की गूंज है. महाशिवरात्रि पर शिवालयों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. वहीं भगवान शिव की ससुराल कनखल में महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर शिव की विशेष महाआरती की गई.

पढ़ें-कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया बड़ा आरोप, मामले को लेकर चुनाव आयोग जाने की तैयारी

महाशिवरात्रि के अवसर पर कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रविवार शाम को भगवान शिव के विग्रह का खास श्रंगार किया गया. इसके बाद भगवान शिव की विशेष आरती और पूजा-अर्चना की गई. इस आरती में भक्तों को खासी भीड़ देखने को मिलती है. दूर-दूर भक्त इस विशेष आरती में हिस्सा लेने आते है.

इस बार शिवरात्रि पर बन रहा विशेष योग
पुराणों और पंडितों के अनुसार शिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती के संयोग की तिथि को शिवारात्रि कहते है. कहा जाता है कि शिव और पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था. ज्योतिषाचार्यप्रतीक मिश्र पूरी ने बताया कि इस दिन शिव पूजन से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. साथ इस बार की शिवरात्रि में हरिहर ब्रह्मा विष्णु महेश योग बन रहा है. 12 सालों बाद ये योग बना है. इस योग में शिव की पूजा के साथ आप कोई भी अनुष्ठान करते है तो आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस योग में भगवान शिव के अभिषेक करने का फल एक अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है.

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हरिद्वार: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मध्य रात्रि से ही उत्तराखंड के तमाम शिवालयों में शिव का जलाभिषेक शुरू हो गया और हर तरफ 'हर-हर महादेव', 'बम-बम भोले' के उद्घोष की गूंज है. महाशिवरात्रि पर शिवालयों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. वहीं भगवान शिव की ससुराल कनखल में महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर शिव की विशेष महाआरती की गई.

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महाशिवरात्रि के अवसर पर कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रविवार शाम को भगवान शिव के विग्रह का खास श्रंगार किया गया. इसके बाद भगवान शिव की विशेष आरती और पूजा-अर्चना की गई. इस आरती में भक्तों को खासी भीड़ देखने को मिलती है. दूर-दूर भक्त इस विशेष आरती में हिस्सा लेने आते है.

इस बार शिवरात्रि पर बन रहा विशेष योग
पुराणों और पंडितों के अनुसार शिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती के संयोग की तिथि को शिवारात्रि कहते है. कहा जाता है कि शिव और पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था. ज्योतिषाचार्यप्रतीक मिश्र पूरी ने बताया कि इस दिन शिव पूजन से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. साथ इस बार की शिवरात्रि में हरिहर ब्रह्मा विष्णु महेश योग बन रहा है. 12 सालों बाद ये योग बना है. इस योग में शिव की पूजा के साथ आप कोई भी अनुष्ठान करते है तो आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस योग में भगवान शिव के अभिषेक करने का फल एक अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है.

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Intro:शिव की ससुराल कनखल में की गई शिव की विशेष महाआरती@शिव के विग्रह का किया गया खास श्रंगार 

कल है महाशिवरात्रि का पर्व महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर देर रात शिव की ससुराल कनखल में की गई शिव की विशेष महाआरती कल है भगवान शिव के विवाह का शुभ दिन इससे पहले भगवान शिव की बारात के आगमन से पहले औघङदानी शिव के लिए हुई है खास पूजा कनखल में शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भोले शिव की विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया गया इससे पहले शिव के विग्रह का किया गया खास श्रंगार इस बार जो महाशिवरात्रि का योग बन रहा है वह 12 साल बाद पड़ रहा है इस बार हरिहर ब्रह्मा विष्णु महेश योग पड़ रहा है





Body:भोले शिव के भक्तों के लिए कल का दिन है खास कल भोले शिव की आराधना का खास दिन यानि शिवरात्रि का पर्व है पुराणों के अनुसार कल शिव चर्तुदशी के दिन भगवान आशुतोष का मां पार्वती के साथ विवाह हुआ था शिव के विवाह के इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है कल शिव के भक्त अपने भगवान का जलाभिषेक कर सकेंगे शिव को प्रसन्न और मनोकामना पूरी होने का मांगेंगें आर्शीवाद शिवरात्रि से पहले भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में की जाती है खास पूजा और आरती देर रात को होने वाली इस खास आरती में पहले शिव का खास तरह से क्ष्रंगार किया जाता है इसके बाद शिव की शुरू होती है खास आरती घंटे घङियालों और बङे बङे ङमरूओं की थाप पर भोले शिव की होती है आरती इस खास आरती में जुटती है श्रद्धालुओं की भारी भीङ


ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि सारे तंत्र का सार भगवान शंकर और माता पार्वती है इनका जो विवाह हुआ था वह शिवरात्रि पर हुआ था इस विवाह के पर्व को हम महाशिवरात्रि बोलते हैं यह 3 रात्रिया होती है सबसे ज्यादा तंत्र के लिए प्रयोग की जाती है महारात्रि कालरात्रि और महाशिवरात्रि महाशिवरात्रि पर्व सारे तंत्रों की उत्पत्ति ही से हुई है जब श्रवण नक्षत्र में शिवयोग पड़ जाए या हरिहर ब्रह्मा विष्णु योग पड़ जाए हरी योग बोलते जब सूर्य अपनी राशि सिंह राशि में होते हैं और हर योग उसे बोलते हैं जो चंद्रमा अपनी राशि को देखें और ब्रह्मा योग उसको बोलते जब बृहस्पति अपनी मीन राशि में हो इस बार 12 वर्ष बाद यह योग एक साथ पढ़ रहा है और इस योग को हरिहर ब्रह्मा विष्णु महेश योग बोलते हैं यह काफी महत्वपूर्ण है और इस दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सब मुरादे पूरी हो जाती है और इस दौरान किया गया अभिषेक एक अश्वमेघ यज्ञ के बराबर का फल दायक होता है


बाइट--प्रतीक मिश्र पुरी--ज्योतिषाचार्य 





Conclusion:शिव की विशेष आरती के साथ शिव का शयनकाल हो गया पर शिवरात्रि के मौके पर आधी रात 3 बजे से ही मंदिर खुल जायेगा और श्रद्धालुओं की भीङ भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने के लिए उमङनी शुरू हो जायेगी बङी संख्या में दूर दूर से आये शिवभक्त कांवङियें भी शिव का जलाभिषेक करने के लिए शिव की ससुराल में पहुंचेंगें
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