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PM मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से वाइब्रेंट होंगे विलेज, देश के सीमांत गांवों की बदलेगी तस्वीर, सीमाएं होंगी मजबूत

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Published : May 13, 2023, 8:16 PM IST

Updated : May 13, 2023, 8:49 PM IST

पड़ोसी देशों से लगती भारत के सीमांत गांवों को मजबूत करने के मकसद से केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की है. इस योजना के तहत सीमांत गांवों को विकसित किया जाएगा. वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखंड के 51 सीमांत गांवों को भी शामिल किया है, ताकि यहां पर विकास का पहिया तेजी से घूम सके. जानिए क्या है ये योजना और कैसे इस पर काम किया जा रहा है.

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M मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से वाइब्रेंट होंगे विजेल

देहरादून (उत्तराखंड): देश के सीमांत गांवों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना की शुरुआत की है. वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखंड के तीन जिलों के 51 गांवों को भी शामिल किया है. जिन 51 गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया है, वो सभी चीन और नेपाल सीमा पर स्थित हैं. इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत कैसे विकसित किया जाएगा, इसके बारे जानिए पूरी जानकारी.

दरअसल, सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड काफी संवेदनशील प्रदेश है, क्योंकि उत्तराखंड की सीमा दो देशों- चीन और नेपाल से लगी हुई है. उत्तराखंड में जहां एक तरफ चीन की 350 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, तो वहीं उत्तराखंड का करीब 275 किमी लंबा हिस्सा पड़ोसी देश नेपाल से सटा हुआ है. यही कारण है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड के सीमांत गांवों को विकसित करने में जुटी हुई है. इन गांवों में विकास का पहिया तेजी से घूम सके, इसलिए प्रदेश के 51 सीमांत गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है.
पढ़ें- बजट 2022 में उत्तराखंड: सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना, राज्य को ऐसे मिलेगा फायदा

उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज योजना के नोडल अधिकारी उत्तराखंड आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल को बनाया गया है. नितिका खंडेलवाल के मुताबिक, वाइब्रेंट विलेज योजना को लेकर सरकार ने अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. आईटीडीए निदेशक ने बताया कि एक गांव को वाइब्रेंट यानी विकसित करने के लिए कई मानक होते है. सबसे पहले गांव तक सड़क का पहुंचना. इसके बाद मोबाइल कनेक्टिविटी. वहां पर लोगों की आजीविका कैसे चलेगी, वहां की संस्कृति को कैसे सजोया जाए, इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है.

नितिका खंडेलवाल ने बताया कि तीनों जिलों के अधिकारियों को गांव के विकास का खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इस दौरान गांव की मौजूद स्थिति को देखते हुए वहां भविष्य में क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं, इस पर विचार किया जाएगा. जिलाधिकारियों की रिपोर्ट को शासन में भेजा जाएगा, जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विस्तृत योजना पर बनाई जाएगी, जिसे आखिर में केंद्र को भेजा जाएगा.
पढ़ें- वाइब्रेंट विलेज योजना: 16 अप्रैल को पिथौरागढ़ आएंगे पीयूष गोयल, सीमांत क्षेत्र गुंजी में करेंगे रात्रि विश्राम

आईटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि वाइब्रेंट विलेज योजना में एक विभाग का नहीं बल्कि कई अलग-अलग विभागों की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक शासन स्तर की कमेटी गठित की गई है. जिसमें सभी विभाग के अधिकारियों को रखा गया है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस कमेटी के माध्यम से सभी विभागों का आपस में सामंजस्य बैठाकर इस योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई है.

बता दें कि वाइब्रेंट विलेज योजना न सिर्फ सीमांत गांवों को विकास होगा, बल्कि इस योजना से भारत के बॉर्डर विजेल डिवेलप होंगे. इस योजना के बाद जहां चीन सीमा पर सेना का पहुंच आसान होगी, तो वहीं बॉर्डर एरिया में होने चीन घुसपैठ पर भी आसानी से नजर रखी जा सकेगी.

M मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से वाइब्रेंट होंगे विजेल

देहरादून (उत्तराखंड): देश के सीमांत गांवों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना की शुरुआत की है. वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखंड के तीन जिलों के 51 गांवों को भी शामिल किया है. जिन 51 गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया है, वो सभी चीन और नेपाल सीमा पर स्थित हैं. इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत कैसे विकसित किया जाएगा, इसके बारे जानिए पूरी जानकारी.

दरअसल, सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड काफी संवेदनशील प्रदेश है, क्योंकि उत्तराखंड की सीमा दो देशों- चीन और नेपाल से लगी हुई है. उत्तराखंड में जहां एक तरफ चीन की 350 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, तो वहीं उत्तराखंड का करीब 275 किमी लंबा हिस्सा पड़ोसी देश नेपाल से सटा हुआ है. यही कारण है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड के सीमांत गांवों को विकसित करने में जुटी हुई है. इन गांवों में विकास का पहिया तेजी से घूम सके, इसलिए प्रदेश के 51 सीमांत गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है.
पढ़ें- बजट 2022 में उत्तराखंड: सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना, राज्य को ऐसे मिलेगा फायदा

उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज योजना के नोडल अधिकारी उत्तराखंड आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल को बनाया गया है. नितिका खंडेलवाल के मुताबिक, वाइब्रेंट विलेज योजना को लेकर सरकार ने अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. आईटीडीए निदेशक ने बताया कि एक गांव को वाइब्रेंट यानी विकसित करने के लिए कई मानक होते है. सबसे पहले गांव तक सड़क का पहुंचना. इसके बाद मोबाइल कनेक्टिविटी. वहां पर लोगों की आजीविका कैसे चलेगी, वहां की संस्कृति को कैसे सजोया जाए, इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है.

नितिका खंडेलवाल ने बताया कि तीनों जिलों के अधिकारियों को गांव के विकास का खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इस दौरान गांव की मौजूद स्थिति को देखते हुए वहां भविष्य में क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं, इस पर विचार किया जाएगा. जिलाधिकारियों की रिपोर्ट को शासन में भेजा जाएगा, जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विस्तृत योजना पर बनाई जाएगी, जिसे आखिर में केंद्र को भेजा जाएगा.
पढ़ें- वाइब्रेंट विलेज योजना: 16 अप्रैल को पिथौरागढ़ आएंगे पीयूष गोयल, सीमांत क्षेत्र गुंजी में करेंगे रात्रि विश्राम

आईटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि वाइब्रेंट विलेज योजना में एक विभाग का नहीं बल्कि कई अलग-अलग विभागों की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक शासन स्तर की कमेटी गठित की गई है. जिसमें सभी विभाग के अधिकारियों को रखा गया है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस कमेटी के माध्यम से सभी विभागों का आपस में सामंजस्य बैठाकर इस योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई है.

बता दें कि वाइब्रेंट विलेज योजना न सिर्फ सीमांत गांवों को विकास होगा, बल्कि इस योजना से भारत के बॉर्डर विजेल डिवेलप होंगे. इस योजना के बाद जहां चीन सीमा पर सेना का पहुंच आसान होगी, तो वहीं बॉर्डर एरिया में होने चीन घुसपैठ पर भी आसानी से नजर रखी जा सकेगी.

Last Updated : May 13, 2023, 8:49 PM IST
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